Long essay on manoranjan ke adhunik sadhan

Long essay on manoranjan ke adhunik sadhan : मनोरंजन के आधुनिक साधन पर हिंदी निबंध

manoranjan ke adhunik sadhan

भूमिका

मनुष्य जब काम करते-करते थक जाता है, तब वह अपने मन और शरीर को सुख और आनंद देने के लिए कोई न कोई सुविधाजनक या मन को अच्छे लगने वाले साधनों को अपनाने का प्रयास करता है। इस प्रकार के अपनाए जाने वाले साधनों से मन जब खुश हो जाता है, तब इसे मनोरंजन कहते हैं। इसे मनोविनोद भी कहते हैं। मनोरंजन शब्द दो शब्दों के योग से बना है— मन और रंजन। इन दोनों शब्दों से बना हुआ शब्द मनोरंजन का सामान्य अर्थ यही है कि मन का रंजन अर्थात मन का आनंद।

manoranjan ke adhunik sadhan

आज विज्ञान का युग है। विज्ञान के इस युग में मनुष्य ने अनेक नए-नए आविष्कार किए हैं। विज्ञान के द्वारा मनुष्य अपने जीवन की विभिन्न प्रकार की इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के साधन भी ढूँढ़ लिए हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाए हैं। इन साधनों की सहायता से वह अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा कर लेता है। मनुष्य ने जैसे विज्ञान में प्रगति की है, मनोरंजन के नए-नए साधन भी ढूँढ़ लिए हैं। अब पुराने साधन प्रतीत होने लगे हैं। पहले के मनोरंजन के साधन श्रमबध्द होते थे। अब आदमी आराम परस्त हो गया है। वह चाहता है कि बिना हाथ-पैर चलाए ही उसका भरपूर मनोरंजन होता रहे।

मनोरंजन के पुरातन साधन

प्राचीन काल में भी मानव मनोरंजन किया करता था। उस समय उसके मनोरंजन के साधन कम और सीमित थे। प्राचीन काल के मनोरंजन के साधन शिकार या आखेट,पर्यटन ,घुड़सवारी, तैराकी, कथा-कहानी, चौसर, खेल-तमाशे, कला, प्रदर्शन, संगीत, नृत्य, बाजा आदि थे। मनुष्य इन साधनों के द्वारा अपना मनोरंजन किया करता था। उस समय यह साधन सीमित होने के साथ-साथ बहुत ही कम लागत और कम खर्च के होते थे। इन साधनों का प्रचार और प्रसार भी बहुत सीमित स्थानों पर होता था। यह साधन प्रत्येक मौसम या समय में बड़े आनंद के साथ मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित किया करते थे।

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मनोरंजन के आधुनिक साधन

मनोरंजन के नए साधनों को भी मनुष्य ने प्राचीन काल के साधनों के आधार पर प्राप्त कर लिया। आधुनिक मनोरंजन के साधनों में मनुष्य ने टेलीविजन, टेपरिकॉर्डर वी.सी.आर. , वी.डि.यो. , वीडियो गेम ,आवागमन के विभिन्न साधनों को प्राप्त कर लिया है।

आधुनिक समय में टेलीविजन मनोरंजन के साधनों में सबसे अधिक लोकप्रिय मनोरंजन का साधन है। अर्थात टेलीविजन हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है। टेलीविजन का आविष्कार मनुष्य ने महाभारत काल में हुए युद्ध के समय महर्षि वेदव्यास के द्वारा संजय को प्रदान की गई दिव्य दृष्टि के आधार पर ही किया गया है। संजय एक सरोवर में महाभारत की युद्ध की झलक को देखकर युद्ध में घटित हो रहे पूरी घटना का वर्णन महाराज धृतराष्ट्र को सुनाया करते थे।

मनोरंजन की आवश्यकता

टेलीविजन के द्वारा आज हम घर बैठे हजारों किलोमीटर दूर देश-विदेश की खबरें देख और सुन कर मनोरंजन करते हैं। यह हमारे विज्ञान का चमत्कार ही है कि आज टेलीविजन में ठीक वैसे ही चित्र,ध्वनि, संगीत,हाव-भाव प्रदर्शन आदि सब कुछ भी दिखाई पड़ते हैं, जिस प्रकार के घटित और आयोजित होते हैं। टेलीविजन की लोकप्रियता का मुख्य कारण यही है कि आज टेलीविजन के द्वारा हम मनोरंजन करने के साथ-साथ अपनी विभिन्न प्रकार की ज्ञान पिपासा को भी बुझाते हैं। इससे हमारी कार्य क्षमता बढ़ जाती है।

मोबाइल, टेपरिकॉर्डर, वी०डि०यो० आदि आधुनिक मनोरंजन के साधन टेलीविजन से ही संबंधित है। आज मोबाइल का प्रयोग हर तबके के लोग करने लगे हैं। मोबाइल से अब टीवी देखना, गाने सुनाना, गेम खेलना बहुत आसान हो गया है। हम कहीं भी हो इसका प्रयोग आसानी से कर सकते है। टेप रिकॉर्डर से किसी ध्वनि को स्वर बंद करके फिर से से सुना जा सकता है। इस प्रकार मोबाइल, टेलीस्कोप ,माइक्रोस्कोप आदि हमारे आधुनिक मनोरंजन के साधन हैं।

कलात्मक मनोरंजन के साधनों में सिनेमा और नाटक बहुत लोकप्रिय हैं। आज के इस भौतिकवादी युग में सिनेमा जगत से बहुसंख्य व्यक्तियों का मनोरंजन होता है। मन मोह लेने वाली संगीत, मनोहारी नृत्य कला और कर्णप्रिय वाद्य मनोविनोद के साधनों में सबसे ऊपर है।

उपसंहार

आधुनिक मनोरंजन के साधनों के विकसित हो जाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर भी पड़ा है। मनुष्य बहुत आराम तलब हो गया है। वह बिना हाथ पर चलाए घर में बैठे मनोरंजन कर लिया करता है जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त नहीं रह पाता और अनेक आधुनिक रोगों का कारक बनता है। आज हमारे देश में बहुसंख्यक लोग मधुमेह के शिकार हो गए हैं। तनाव और रक्तचाप की परेशानी तो आम हो गई है। यह सारी परेशानियाँ मनुष्य के आराम तलब होने का ही परिणाम है। खाना जीभ के स्वाद के अनुसार चाहिए किंतु खाने को पचने के लिए श्रम की आवश्यकता होती है जिससे आम आदमी बचने लगा है और दिनोंदिन रोगी होता जा रहा है।

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