गैलीलियो गैलिली की जीवनी | Galileo Galilei ki jivani

Galileo Galilei ki jivani

जीवन परिचय

गैलीलियो का जन्म 15 फरवरी 1564 ई० में इटली के पीसा नामक नगर में हुआ था । इसके पिता गाने का व्यवसाय करते थे । वे भी अपने पिता की तरह गाने – बजाने में निपुण थे । इसके अतिरिक्त वे एक चित्रकार एवं कवि भी थे । जब गैलीलियो बालक थे तो एक दिन सांयकाल वह गिरजाघर गये । उन्होंने देखा कि रोशनी करने के लिए वहाँ के नौकर ने लैम्प को अपनी ओर खींचा और जलाकर छोड़ दिया । लैम्प घड़ी के पेन्डूलम की तरह एक कोने से दूसरे कोने की ओर चक्कर काटने लगा ।

बालक गैलीलियो लैम्प के चक्करों को गिनने लगा और यह भी देखने लगा कि उसको एक कोने से दूसरे कोने में जाने में कितना समय लगता है । उस समय घड़ी नहीं होती थी । अतः उसने घड़ी का काम अपनी नब्ज से लिया । अन्त में उसे मालूम हुआ कि लैम्प चाहे जोर से चक्कर काटे या धीरे से , उसके एक पूर्ण चक्कर काटने में एक ही समय लगता है । उसने इसी आधार पर नाड़ी – दर्शक यन्त्र बनाया ।

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शिक्षा

डॉक्टर बनने के ध्येय से गैलीलियो को पीसा के विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान के अध्ययन के लिए भेजा गया । चार वर्ष तक यह पढ़ता रहा परन्तु आर्थिक कठिनाईयों के कारण उसका अध्ययन आगे न चल सका । गणित में रूचि होने के कारण वह चिकित्सा विज्ञान के साथ गणित शास्त्र का भी अध्ययन करता रहता था । 1589 ई० में वह गणित का अध्यापक हो गया ।

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प्रमुख खोज

गैलीलियो ने अरस्तू द्वारा कही गई अनेक बातों का खण्डन किया । अरस्तू का कहना था कि यदि एक ही पदार्थ की बनी विभित्र संहतियों वाली वस्तुएँ ऊपर से गिराई जायें तो भारी वस्तु नीचे की ओर जल्दी और हल्की वस्तु देर से आती है । परन्तु गैलीलियो ने प्रयोग द्वारा सिद्ध कर दिया कि भारी और हल्की दोनों वस्तुएँ ऊपर से गिराये जाने पर पृथ्वी पर एक साथ आती है । 1609 ई० में गैलीलियो ने दूरदर्शी यन्त्र का आविष्कार किया जिसके द्वारा वस्तुएँ हजार गुनी बड़ी और 30 गुनी समीप दिखाई देती थीं ।

उसने अपने दूरदर्शी यन्त्र से आकाश की वस्तुओं का निरीक्षण किया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा । रात को जब सारी दुनिया सोती थी , उस समय गैलीलियो दूरदर्शी यंत्र से आकाश ओर उसके ग्रहों की ओर देखा करता था । उसने अनेक नए ग्रहों का पता लगाया और बताया कि आकाश गंगा सितारों का बहुत बड़ा झुरमुठ है । इस प्रकार आकाश की अनेक बातों से लोगों को परिचित कराया ।

प्रमुख रचना

1632 ई० में गैलीलियो ने ‘ गैलीलियो के संसार का क्रम ‘ नामक एक पुस्तक लिखी । यह पुस्तक आकाश सम्बन्धी खोज पर लिखी गई थी और इसमें इस बात का उल्लेख था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घुमती है । इसने यूरोप में हलचल मचा दी । बाइबिल में तो लिखा था कि पृथ्वी स्थित है , सूर्य और चन्द्रमा उसके चारों ओर घुमते हैं । फिर क्या था कि धर्माचार्य गैलीलियो पर बिगड़ उठे । पोप के दरबार में उस पर मुकदमा चलाया गया और उसके लिए आज्ञा हुई कि या तो वह अपने सिद्धान्तों का प्रचार करना छोड़ दे अन्यथा उसको सजा हो जायेगी । परन्तु वह अपनी बातों का प्रचार करता रहा । अन्त में 70 वर्ष की आयु में वह सदा के लिए जेल भेज दिया गया ।

निधन

उसके जीवन के अन्तिम दिन बुरी तरह बीते । उसका स्वास्थ्य गिरता गया और आँख व कानों की शक्ति जाती रही । 8 जनवरी 1642 ई० में इस महान वैज्ञानिक की मृत्यु हुई । उस समय भी वह अपने लड़के को पैण्डुलम के सिद्धान्त पर घड़ी बनाना बता रहा था ।

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