vidyut ke chamatkar par nibandh
भूमिका
वर्तमान जीवन की सभी प्रकार की गतिविधियों का आधार है विद्युत। विद्युत यानी बिजली। वह बिजली, जिसके कारण आज के युग को बटन का युग कहा जाता है। अर्थात बटन दबाया नहीं कि अंधकार में प्रकाश जगमगाने लगा, मशीनें, कारखाने चलने लगे। ठण्डा गर्म और गर्म ठण्डा होने लगा। जमा हुआ पिघलने और पिघला हुआ जमने लगा। जी हाँ , यह सब विद्युत् का ही चमत्कार है। चमत्कार का यह प्राकृतिक साधन मानव को कैसे प्राप्त हुआ , इसकी भी अपनी एक रोचक कहानी है।
विद्युत का आविष्कार
सावन का बरसाती महीना और उमस भरी रात। आकाश में काली घटाओं का मेला सा लगा था। सहसा गम्भीर गर्जन हुआ , प्रचंड प्रकाश की एक बलखाती रेखा कौंधकर बादलों के आर – पार निकल गयी। मानव ने विद्युत का यह पहला चमत्कार देखा तो वह चकित रह गया। सचमुच कितनी चंचल है यह ज्योति – अभी यहाँ , अभी वहाँ , अभी सब कहीं , अभी कहीं नहीं।
वास्तव में बड़ा ही रोमांचकारी था वह क्षण , जब 640 ई० पू० में मिलिटस – निवासी केलेज ने अभ्रक को रेशम पर रगड़कर विद्युत की क्षीण – सी धारा उत्पन्न की थी। पुनः इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक गलवैनी ने विद्युत की वैसी ही प्रबल धारा उत्पन्न कर दिखायी , जैसी आकाश में कौंधती थी। परन्तु वह आकाश की विद्युत के समान स्वतन्त्र न थी। उसे मानव के संकेतों की प्रतीक्षा रहती थी। वह दूसरा चमत्कार था — मानव ने विद्युत जैसी शक्ति को अपने अधिकार में कर लिया। वस्तुतः विद्युत एक ऐसी शक्ति है , जिसे प्रकाश , ताप , चुम्बकीय , यान्त्रिक और रासायनिक शक्तियों के रूप में बदला जा सकता है। आज बदल कर उसका कई तरह से उपयोग किया जा रहा है।
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विद्युत शक्ति के उपयोग
विद्युत की शक्ति के मनुष्य के हाथ में आने से उसका जीवन ही बदल गया है। उसे जैसे अलादीन का चिराग ही मिल गया है। जो यन्त्र पहले हाथ से भाप से या गैस से चलाया जाता था , अब वह विद्युत शक्ति से चलाया जाने लगा है। आटा पीसने की चक्की , धान कूटने का यन्त्र , तेल पेरने की मशीन , कपड़ा , कागज़ आदि बनाने के कारखाने , कपास ओटने की चर्खियाँ , सूत कातने के पुतलीघर , कपड़ा बुनने की मिलें , सभी काम विद्युत के बल से होने लगे हैं। आज घरों में बल्ब जलते हैं , पंखे चलते हैं , रेडियो , टेलीविजन बोलते हैं , यह विद्युत शक्ति के साधारण चमत्कार हैं। अब तो रेलें भी विद्युत शक्ति से चलायी जा रही हैं।
बिजली या विद्युत के बल से एक क्रेन ऊँचे पर्वतों पर बीस – पच्चीस हजार मन बोझ उठा ले जाता है , रेलगाड़ियाँ ढकेल ले जाता है। यह बिजली का ही बल है जो एक लाख छियासी हजार मील प्रति सैकंड के वेग से बेतार के समाचार दस – दस हजार मील समुद्र पार पहुँचाता है। वह आकाश में उड़ते हुए विमानों से , जल में सैर करते हुए जहाजों में आनन – फानन में ऐसे बातचीत करवा देता है , जैसे कोई कान में बात कर रहा हो। घरों में बिजली झाडू देती है , बर्तन माँजती है , भोजन पकाती है , वस्त्र धोती है , पंखा झलती है , चौकीदारी करती है ; निदान वह घर की बाँदी हो गयी है। बस , उसे घर के मालिकों का एक इशारा चाहिए , झट से सारा काम ठीक से पूरा और समाप्त।
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बैटरी का उपयोग
देखने में बैटरी छोटी – सी है , किन्तु वह विद्युत का महत्वपूर्ण साधन है। कहाँ तो बिजली बनाने के लिए नदियाँ और प्रपात ऊपर से नीचे गिराने पड़ते हैं , बड़ी – बड़ी मशीनें चलानी पड़ती हैं , तार बिछाने पड़ते हैं और सैकड़ों व्यक्तियों को काम करना पड़ता है , और कहाँ बैटरी की नन्हीं – सी काया में विद्युत चुपचाप सोयी – सी रहती है। बस बटन दबाओ तो प्रकाश हो जाता है। जिस बैटरी से रेडियो और टॉजिस्टर चलते हैं , वह भी विद्युत का ही छोटा रूप है। जिस बैटरी से मोटरे और वायुयान चलते हैं , वह भी विद्युत की संगीत शक्ति है। इस प्रकार विद्युत की शक्ति आज सारे विश्व का संचालन कर उसे अपार सुख – सुविधा पहुंचा रही है। वह जीवन के समस्त क्रिया – कलापों का मूल आधार बन गयी है। उसके अभाव में आज के जीवन की कल्पना ही संभव नहीं। vidyut ke chamatkar par nibandh
विद्युत के रासायनिक उपयोग
विद्युतधारा ताप उत्पन्न करती है , तो उससे अंगीठियाँ , प्रेस , हीटर , आर्कलैम्प आदि काम करते हैं। विद्युत से प्रकाश की उत्पत्ति होती हैं। विद्युत की चुम्बकीय शक्ति से इलैक्ट्रोमैगनिट , वोल्टामीटर और ट्यूबवेल , बिजली का पंखा , बिजली की घंटी आदि चलाये जाते हैं। विद्युत के रासायनिक प्रभाव से धातु का पानी चढ़ाया जाता है। रेडियो , सिनेमा , तार , टेलीफोन , टेलीविज़न , एवं विविध प्रकार की मशीन – यन्त्र सब विद्युत के पैरों से चलते, उसी से जीवन की आशा रखते हैं।
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समृद्धि का आधार
आधुनिक युग में किसी भी देश को समृद्ध बनाने में विद्युत का बहुत बड़ा हाथ रहता है। भारत जैसे विकासशील देश में विद्युत द्वारा ही औद्योगिक क्रान्ति सम्भव हो पा रही है। तभी तो विद्युत उत्पादन को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। भारत में कारखानों का उत्पादन और विद्युत शक्ति साथ – साथ बढ़ रहे हैं। देश की विद्युत शक्ति का तीन – चौथाई भाग उद्योगों में खपता है। भारत में उर्वरक कारखाने ऐसे स्थानों पर खड़े किये जा रहे हैं जहाँ बिजली बनती है , खेती का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद की माँग बढ़ेगी ही , जिसे पूरा करने के लिए बिजली का उत्पादन बढ़ाना होगा। अल्यूमिनियम के कारखानों को भी अधिक वोल्टेज़ की आवश्यकता पड़ती है , अतः वे हीराकुड , रिहंद , कोयना आदि पनबिजली योजनाओं के आसपास खोले गये हैं , ताकि उनकी आवश्यकता पूर्ति सरलता से हो सके।
भारत में बिजली का वास्तविक चमत्कार तो तब दिखाई देगा , जब ग्रामों में बिजली से पैदावार बढ़ने लगेगी , छोटे उद्योग – धंधे विकसित होने लगेंगे। यह प्रक्रिया आरम्भ होकर निरन्तर जारी है। पानी , कोयला और परमाणु – तीनों साधनो से बिजली का उत्पादन होने लगा है और हमारा भारत औद्योगिक उन्नति के शिखरों की ओर अग्रसर है।
निष्कर्ष
विद्युत शक्ति ने मानव को आज एकदम परावलम्बी बना दिया है। वह बहुत कोमल और नाजुक हो गया है। तभी तो वह बिजली का अभाव एक क्षण के लिए भी सहन नहीं कर पाता। परन्तु विद्युत – शक्ति के मानवता पर जितने उपकार हैं , उनके कारण उसके क्षणिक अभाव को कोसा नहीं जा सकता। फिर इस अभाव का दोष उसका अपना न होकर व्यवस्था का होता है। अतः हमें इस पर दोषारोपण न कर उसका आभार मानना होगा। न मानना घोर कृतघ्नता ‘ और अमानवीयता होगी।