प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय-Biography of pranav mukharjee

प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय-Biography of pranav mukharjee

भूमिका

प्रणव मुखर्जी पहले ऐसे बंगाली राजनेता थे जिन्होंने राष्ट्रपति जैसे गरिमामय पद का भार अपने हाथों पर लिया। प्रणव मुखर्जी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पी ए संगमा को हराकर भारत के तेरहवें राष्ट्रपति बने। मुखर्जी का राजनीतिक जीवन बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा। अपने कैरियर में उन्होंने कई बार खट्टे- मीठे अनुभव किए और धैर्य और बुद्धिमता के साथ सबका सामना किया।

श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद जिस तरह से वे कांग्रेस पार्टी से दूध की मक्खी की तरह पृथक कर दिए गए थे लेकिन कौन जानता था कि वे एक दिन भारत के राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। उनकी वफादारी दूर और धर्म ने ही उन्हें यह मुकाम दिलाने में मदद की थी। श्री राजीव गांधी द्वारा नजरअंदाज कर दिए जाने के बावजूद वे कांग्रेस का दामन पकड़ रहे। जब राजीव गांधी की निर्मम हत्या की गई। उसके बाद पी ० वी ० नरसिन्हा राव को प्रधानमंत्री बनाया गया और उन्होंने प्रणव मुखर्जी की कांग्रेसनिष्ठा का पुरस्कार उन्हें अपने मंत्रिमंडल में स्थान देेेकर किया।

( प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय)

प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय-Biography of Pranav mukharjii
pranav mukharjee

प्रारंभिक जीवन

श्री प्रणव मुखर्जी का जन्म बंगाल प्रांत के मिराटी गांव में 11 दिसंबर 1935 में एक बंगाली परिवार में हुआ था। प्रणव मुखर्जी के पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता जी का नाम श्रीमती राजलक्ष्मी मुखर्जी था। इनका विवाह सन 1935 की 13 जुलाई को सुश्री सुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ। प्रणब मुखर्जी के 2 पुत्र और एक पुत्री हुई। पुत्रों का नाम अभिजीत और इंद्रजीत एवं पुत्री का नाम शर्मिष्ठा है। इनकी पत्नी का देहांत 18 अगस्त 2015 को हो गया। उन्हें बागवानी करने अध्ययन करने और भारतीय संगीत सुनने में बहुत रूचि थी। अत्यधिक व्यस्त जीवन के बावजूद वे अपनी रूचि की संतुष्टि के लिए समय निकाल ही लेते थे। उनके पिताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे तथा उन्होंने 10 वर्षों से ज्यादा का समय जेल में बिताया था।

शिक्षा

प्रणव मुखर्जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के विद्यालय से आंरभ की। वे 7 किलोमीटर चलकर,नदी पार कर स्कूल जाया करते थे। प्रणव मुखर्जी ने सुरी विद्यासागर कॉलेज से स्नातकोत्तर की परीक्षा इतिहास और राजनीतिक शास्त्र जैसे विषयों को लेकर पास की थी। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एल०एल०बी० की पढ़ाई पूरी की।

( प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय)

केरियर

उन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत डिप्टी अकाउंटेंट जनरल में वरीय लिपिक के रूप में शुरू की थी। उसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की परीक्षा भी पास की थी। उन्होंने एक बंगाली पब्लिकेशन के लिए भी कार्य किया था। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी विभाग कोलकाता के चेयरमैन के पद पर कुशलतापूर्वक काम किया था। वे रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय और निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के चेयरमैन और अध्यक्ष भी रहे थे। वे बंगिया साहित्य परिषद और विधान मेमोरियल ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी भी रहे थे।

राजनीतिक जीवन

प्रणव मुखर्जी ने जब भारतीय राजनीति में कदम रखा था। उस समय उनका घरेलू प्रांत बंगाल वामपंथी विद्रोह के कहर से गुजर रहा था। वे सर्व प्रथम राज्यसभा के लिए कांग्रेस की ओर से चुने गए थे। इसके बाद वे लगातार राज्यसभा के लिए ही मनोनीत होते रहे। सन् 2004 में वे लोकसभा के लिए चयनित हुए उन्हें सर्वप्रथम इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उन्हें सन् 1973 में राजस्व और बैंकिंग विभाग का पदभार सौंपा गया था। उस समय से अब तक उन्होंने कई सरकारों में अत्यंत महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और अपनी योग्यता का योगदान दिया।

वे इंदिरा गांधी के विश्वस्त वफादारों में से एक थे उन्हें राजनीति में “सभी समस्याओं के उचित समाधान का घोतक” भी कहा जाता था। उन्होंने आपातकाल के समय इंदिरा कैबिनेट में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय शाह कमीशन ने सरकार के कार्यकलाप को प्रभावित करने के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था। लेकिन वे इस पर खरे उतरे।

इंदिरा मंत्रिमंडल में 1982 से 1984 तक भारत के वित्त मंत्री भी रहे थे। उनके कार्यकाल को भारतीय अर्थव्यवस्था को समृद्धशाली बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इसी के पश्चात इंदिरा गांधी को तीव्र सफलता मिली थी। जिसमें उन्होंने विश्व मौद्रिक संगठन के ऋण की अंतिम किस्त अदा की थी। उनके कार्यकाल में मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर नियुक्त हुए थे। सन् 1978 में वे राज्यसभा के कांग्रेस के उपनेता भी चुने गए थे। उन्हें सन् 1980 में राज्य सभा का नेता भी बनाया गया था।


राजीव गांधी की मृत्यु के बाद पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में पुनः प्रकाश में आए। उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने राव सरकार में प्रथम बार 1935 से सन 1996 के बीच मैं विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाला। सन 1998 -99 में सोनिया गांधी के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया और उन्होंने 2010 तक इस पद को संभाला।

कार्यकाल

  • फरवरी 1973 से अक्टूबर 1974 तक उपमंत्री
  • अक्टूबर 1974 से दिसंबर 1975 तक वित्त राज्य मंत्री
  • दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक राजस्व और बैंकिंग मंत्री( स्वतंत्र प्रभार )
  • जनवरी 1980 से जनवरी 1982 तक वाणिज्य मंत्री
  • जनवरी 1982 से दिसंबर 1984 तक वित्त मंत्री
  • जनवरी 1993 से फरवरी 1995 तक वाणिज्य मंत्री
  • फरवरी 1995 से मई 1996 तक विदेश मंत्री
  • मई 2004 से अक्टूबर 2006 तक रक्षा मंत्री
  • अक्टूबर 2006 से मई 2009 तक विदेश मंत्री
  • जनवरी 2009 से जून 2012 तक वित्त मंत्री
  • 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक राष्ट्रपति

प्रणव मुखर्जी 2004 में लोकसभा के नेता चुने गए। उन्होंने पश्चिम बंगाल के जांगीपुर चुनाव क्षेत्र से 2009 में चुनाव जीता। उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में अनेक पदों का कार्यभार संभाला। उन्हें पद्म विभूषण, बेस्ट एडमिनिस्ट्रेटर आवार्ड इन इंडिया,2001 तथा एशिया के वित्त मंत्री 2010 के सम्मान से भी सम्मानित किया गया उनके कार्यकाल में भारत एक नया तेरा देखा भारतीय लोकतंत्र को उन्होंने एक नया आयाम दिया। उनकी मृत्यु 84 वर्ष की अवस्था में 31अगस्त 2020 को हो गयी।

( प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय)

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