essay on forest conservation : हमारी वन-संपदा और उसका संरक्षण

हमारी वन-संपदा और उसका संरक्षण : essay on forest conservation

Forest conservation

प्रस्तावना

वन प्रकृति के द्वारा दिया गया एक अमूल्य उपहार हैं , जो मनुष्य जीवन के लिए काफी उपयोगी है , किंतु मनुष्य इसके महत्व को समझ नहीं पा रहा है । जो व्यक्ति वन क्षेत्रों में निवास करते हैं अथवा जिनकी जीविकोपार्जन का मुख्य साधन वन हैं वे तो वनों के महत्व को भलीभाँति जानते हैं , किंतु जो लोग वन क्षेत्रों से सुदूर निवास करते हैं वे केवल इसे प्राकृतिक शोभा का साधन समझते हैं। वनों का हमारे जीवन से घनिष्ठ संबंध है । किसी भी देश या राज्य की उन्नति एवं समृद्धि में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

वनों का प्रत्यक्ष योगदान

मनोरंजन का साधन

वन सैलानियों के लिए मनोरंजन का एक विस्तृत साधन है । अवकाश के दिनों में लोग छुटियाँ मनाने के उद्देश्य से बहुत बड़ी संख्या में पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा करते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर आनंद उठाते हैं । यदि पर्यावरण में वृक्षों का अभाव होगा, तो प्रकृति का सौंदर्य बिलकुल नष्ट हो जाएगा। लोग फिर इनकी सुंदरता का नजारा नहीं देख सकते हैं। (essay on forest conservation)

प्रचुर फलों की प्राप्ति

वनों से हमें प्रचुर मात्रा में भिन्न-भिन्न प्रकार के फल-फूल आदि प्राप्त होते हैं। साथ ही साथ ऊर्जा एवं ईंधन की समस्या के समाधान के स्रोत के रूप में भी वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अनेक ऋषि – मुनि और वनवासी वनों में रह कर कंद – मूल ,फलों पर अपना जीवन – निर्वाह करते हैं । वनों को ही वे अपना घर समझते है। essay on forest conservation

जीवनोपयोगी जड़ी बूटियों का भंडार

प्राचीन काल के लोग विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार हेतु जड़ी-बूटियों पर आश्रित होते थे। आज के वैज्ञानिक युग में भी इनका प्रयोग कम नहीं हुआ है। दवाइयों के निर्माण में इन्हीं जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है। अतः वन अनेक जीवनोपयोगी जड़ी – बूटियों का भंडार है । वनों में ऐसी अनेक वनस्पतियाँ पायी जाती हैं , जिनसे अनेक असाध्य रोगों का निदान संभव हो सका है । भविष्य में भी इनका योगदान कम नहीं होने वाला है। अतः हमारा कर्तव्य है कि हम वनों को कटने से बचायें।

वन्य पशु – पक्षियों को संरक्षण

यदि वनों में पशु-पक्षियों की संख्या निरंतर बरकरार हो ,तो वे प्रकृति की सुदंरता में चार- चाँद लगा देते हैं। वन अनेक वन्य पशु – पक्षियों को अपना संरक्षण प्रदान करते हैं । उनके लिए वन ही उनका घर है। वन विभिन्न प्रकार के जीवों यथा बाघ , भालू , शेर , लोमड़ी ,चीता ,गैंडा ,हिरन , हाथी आदि के लिए एक क्रीड़ास्थल है । ये पशु निर्भय होकर वनों में स्वतंत्र विचरण करते हैं , और संरक्षण भी पाते हैं । स्थानीय लोग अपने पालतू पशुओं को चराने के लिए चरागाह के रूप में वनों का इस्तेमाल करते हैं ।

वनों का अप्रत्यक्ष योगदान
वर्षा

भारत एक कृषि प्रधान देश है । भारतीय किसान सिंचाई के लिए पूर्णतः मानसून पर निर्भर करते है । वन वर्षा लाने में सहायक होते हैं । अतः कृषि कार्य हेतु वन का बहुत अधिक महत्व है। वर्षा होने से वनों को जीवन मिलता है उनकी संख्या बढ़ती है। इस कारण से भी हमें विचार करने की आवश्यकता है कि हम वनों को बचाने का प्रयास करें और हम अधिक से अधिक वृक्ष लगाए ।

पर्यावरण संतुलन

वृक्ष पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड और जल ग्रहण करते हैं। जिससे वे अपना भोजन निर्माण करते हैं और हमारे लिए प्राणवायु ऑक्सीजन मुक्त करते हैं। इस ऑक्सीजन का प्रयोग हम साँस लेने में भी करते है जो हमारे जीवन का आधार है। साथ ही पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने में भी वृक्ष सहायक होते हैं । वन है तभी पर्यावरण है और फिर हम स्वयं है। इस प्रकार वन पर्यावरण में संतुलन बनाए रखते हैं । essay on forest conservation

भूमि कटाव पर रोक

वनों के कारण वर्षा का जल मंद गति से प्रवाहित होता है । वृक्ष की जड़ें मृदा को जकड़े रखती है। अतः भूमि का कटाव कम होता है । वर्षा के अतिरिक्त जल को वन सोख लेते हैं और नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करके भूमि के कटाव को रोकते हैं , फलस्वरूप भूमि ऊबड़ – खाबड़ नहीं हो पाती और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रहती है ।

बाढ़ नियंत्रण में सहायता

वर्षा के दिनों में बाढ़ एक गंभीर समस्या के रूप आती है । जिन क्षेत्रों में वनों का अभाव होता है ,वहाँ यह विकराल रूप ले लेती है। बाढ़ के कारण काफी जान-माल की भी क्षति होती है, किन्तु वृक्ष की जड़ें वर्षा के अतिरिक्त जल को सोख लेती हैं , जिनके कारण नदियों का जल – प्रवाह नियंत्रित रहता है । इससे बाढ़ की स्थिति से बचाव हो जाता है ।

उपसंहार

निस्संदेह वन मनुष्य के जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं , इसलिए वनों का संरक्षण बहुत आवश्यक है । इस कार्य के लिए जनता और सरकार दोनों का सहयोग जरूरी है । किसी एक के सहयोग से वनों का बचाव काफी कठिन है। बड़े दुख का विषय है कि एक ओर तो सरकार वनों को बचाने के लिए विभिन्न कानून की स्थापना कर रही है , तो दूसरी ओर कुछ स्वार्थी तत्वों के हाथों में वनों को सौंप कर आर्थिक लाभ हेतु नष्ट कराती जा रही है । आज दिनोंदिन वृक्षों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है। इसलिए आवश्यक है कि सरकार वन संरक्षण कानूनों का कड़ाई से पालन कराये। प्रत्येक व्यक्ति वर्ष में एक बार कम से कम एक वृक्ष लगा कर इस ओर अपना बहुमूल्य योगदान दे सकता है ।

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