भ्रष्टाचार पर निबंध | bhrashtachar par nibandh

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भूमिका

जिस देश में नैतिकता का पतन होगा और स्वार्थ वृत्ति में वृद्धि होगी, वहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला होगा । वह दशा हमारे देश की है। हमारे देश में श्रेष्ठ जनों में नैतिकता का नितांत अभाव होता जा रहा है । हमारे देश के नेता, पढ़े-लिखे उच्च पदों पर बैठे अधिकारी अपने स्वार्थ की पूर्ति में पूर्णतया लिप्त हो गए हैं। उन्हें अपना स्वार्थ , अपने प्रिय जनों के स्वार्थ के आगे राष्ट्रहित नगण्य हो गया है । देश के मंत्री और सन्तरी दोनों अपने हाथों देश को लूटने में लगे हैं । उन्हीं के देखा – देखी यहाँ की जनता भी अपने नैतिक मूल्यों को छोड़ बैठी है , जिसका परिणाम है देश में फैला भ्रष्टाचार ।

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प्रभाव

आज देश में भ्रष्टाचार उन्नति का साधन बन गया है । घूस लेना और देना दोनों अपराध माना जा रहा था , अब उसका नाम सुविधा शुल्क हो गया है । उद्योग धंधों में घूसखोरी से व्यापार किया जा रहा है और निरीह जनता को घास डालकर चार गुना मूल्य पर उत्पाद बेचा जा रहा है । जनता से लेकर सरकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि तक सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । आज भ्रष्टाचार हमारे देश का शिष्टाचार बन गया है और इसके सामने राष्ट्रीयता तथा चरित्र की बात गौण हो गई है ।

हमारे देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही अनेक समस्याएँ उत्पन्न होने लगी । जिन माध्यमों का प्रयोग कर हमें स्वतन्त्रता मिली थी , स्वतन्त्र होने के बाद हमारे देश में उन्हीं माध्यमों का प्रयोग भ्रष्टाचार और बेईमानी छिपाने के लिए किया जाने लगा । स्वतन्त्र होने के बाद ही देश में साम्प्रदायिकता , जातिवाद , भाषावाद , प्रान्तवाद , बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की समस्याएँ उत्तरोत्तर बढ़ती गई ।

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कारण

हमारे देश में भ्रष्टाचार के कई कारण हैं । उनमें से कुछ इस प्रकार हैं – – –

  1. भौतिक सुख – सुविधाओं की उत्कट चाह और पाश्चात्य ढंग से जीवन यापन करने की चाहत । इसलिए आदमी गलत तरीके अपनाकर भी रातोंरात लखपति बनना चाहता है ।
  2. हमारे देश में भ्रष्ट राजनीति का पनपना – आज राजनेता अपना घर भरने के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं , उनकी देखा – देखी शासन – तंत्र में छोटे – बड़े अहलकार भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं ।
  3. ऊपरी आमदनी की चाहत भी भ्रष्टाचार का कारण है । इसकी दौड़ में सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ति हर तरीके से अपनी पदोन्नति चाहता है , ऐसे ऑफिस में तबादला चाहता है , जहाँ ऊपरी आमदनी हो । इसके लिए वह मंत्रियों और उच्चाधिकारियों को मुँह माँगी रिश्वत देता है ।
  4. भाई – भतीजावाद के कारण योग्य लोगों को नौकरी में उचित अवसर नहीं मिलता है , फलतः बेरोजगारी बढ़ रही है । महँगाई रात – दिन बढ़ रही है । इस कारण से भ्रष्टाचार की गति स्वतः बढ़ रही है ।

नैतिक मूल्यों में गिरावट

भ्रष्टाचार के कारण आज हमारे देश में नैतिक चरित्र तथा सांस्कृतिक मूल्यों का दिनोंदिन अभाव होता जा रहा है । नैतिक मूल्यों के दिनोंदिन ह्रास होने के कारण सामाजिक जीवन में नैतिकता का लोप होने लगा है । स्वार्थ और लालच के चक्कर में आदमी अपने आदर्शों को भूलता जा रहा है । राजनीति भ्रष्टाचार की सबसे बढ़ी केन्द्र बन गयी है । आज के राजनेता जन – सेवा के नाम पर अपने परिवार और सम्बन्धी रिश्तेदारों की सेवा में ही लग जाते हैं ।

हर काम में दलाली , कमीशन व रिश्वत लेकर जनता के सामने सफेदपोश बनने की चेष्टा करते हैं । उनकी देखादेखी सरकारी कर्मचारी , अफसर भी जनता का शोषण करने पर लगे हैं और जनता भी आज उसी भ्रष्टाचार का एक अंग बन गयी है । नौकरी पाने के लिए अब योग्यता का माप – दण्ड नहीं रह गया है । इसके लिए रिश्वत तथा भाई – भतीजावाद चल रहा है । फलस्वरूप नवयुवकों में असन्तोष बढ़ रहा है , समाज में अशान्ति फैल रही है , लूटपाट तथा अपराध में वृद्धि हो रही है । मूल्य वृद्धि और अन्य कई समस्याएँ इसी भ्रष्टाचार के कारण बढ़ रही हैं ।

जन-जागरण की आवश्यकता

आज राजनीति में आदर्श आचरण और नैतिक मूल्यों की जरूरत है । राजनेताओं को स्वयं भ्रष्टाचार से दूर रहना चाहिए और उनके लिए आचार – संहिता होनी चाहिए । नवयुवकों को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर मिलने चाहिए । शिक्षा में चरित्र – विकास को प्राथमिक लक्ष्य बनाना चाहिए । भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए यद्यपि सरकार ने अलग से भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग बना रखा है । किन्तु यह सब दिखावटी है । यद्यपि कहने को सरकार ने इस विभाग को बहुत व्यापक अधिकार दिए हैं किन्तु वह विभाग स्वयं भ्रष्टाचार का शिकार हो गया है । इसके निराकरण का सर्वोत्तम उपाय है जन – जागरण ।

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उपसंहार

भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में भ्रष्टाचार का होना इस राष्ट्र के लिए हितकर नहीं है । भ्रष्टाचार के बढ़ते वर्चस्व के कारण हमारे सांस्कृतिक मूल्य तो गिर ही रहे हैं , राष्ट्र की प्रगति भी बाधित हो रही है । राष्ट्रीय चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है तथा हमारा नैतिक स्तर एकदम नीचे गिर गया है । भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए राजनेताओं , सरकारी – तंत्र और जनता का पारस्परिक सहयोग अपेक्षित है , तभी यह दुष्प्रवृत्ति समाप्त हो सकती है ।

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