निरक्षरता : एक सामाजिक अभिशाप | niraksharta par nibandh

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भूमिका

किसी भी समाज या देश का निरक्षर होना उस समाज या देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है । निरक्षरता पिछड़ेपन का प्रमाण है । यद्यपि भारत के स्वतन्त्र होने के बाद देश में निरक्षरों की संख्या बहुत कम हुई है । सरकार ने साक्षर बनाने के अनेक प्रयत्न किये हैं । बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत बड़ी संख्या में पाठशालाएँ खुली हैं जिसमें वे शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं , इसके अतिरिक्त प्रौढ़ शिक्षा का भी कार्यक्रम चलाया गया जिससे गाँवों में रहने वाले बड़े – बूढ़े भी शिक्षित हो सकें ।

इतना शिक्षित तो अवश्य हो जाएं कि अपना हस्ताक्षर आसानी से कर सकें और हस्ताक्षर करने से पहले जान सकें कि वे किस कागज या दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहे हैं । सरकार का शिक्षा और स्वास्थ्य पर बहुत अधिक खर्च होता है । किन्तु अब भी भारत में शत – प्रतिशत साक्षर नहीं हो सके हैं । अब भी भारत में बहुतायत में निरक्षर हैं ।

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निरक्षरता के कारण

भारत में निरक्षर होने के कई कारण हैं । सबसे बड़ा कारण है यहाँ की गरीबी । दूसरा कारण है समझ का अभाव । तीसरा कारण है शिक्षा का महत्त्व न जानना । इसके अतिरिक्त भी बहुत से कारण हैं । उनमें एक कारण है शिक्षण संस्थानों का अभाव , जाति – पाँति की भावना से प्रेरित शिक्षकों का होना और राजनीति में जाति का वर्चस्व होना । इन सब कारणों से भारत अभी पूर्ण साक्षर नहीं हो पाया है ।

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गरीबी ऐसा अभिशाप है कि दो जून की रोटी के लिए शिक्षा को नजरअन्दाज कर दिया जाता है । आज भी देश की राजधानी दिल्ली में अनेक ऐसे रैकेट चल रहे हैं जो राँची और अन्य दूसरे क्षेत्रों से जाकर अशिक्षित लड़के लड़कियों को लाते हैं और बड़े – बड़े घरों में चौका – बरतन धोने के लिए घरेलू नौकरों की आपूर्ति करते हैं और अच्छा खासा कमीशन लेते हैं । आखिर वे बच्चे यहाँ क्यों आते हैं इतनी कम उम्र में नौकरी ढूँढ़ने? क्यों उनके माँ – बाप अपने नौनिहालों को विद्यालय भेजने के स्थान पर महानगरों के असमय नौकरी करने के लिए भेजते हैं ? इसकी जड़ में वही गरीबी ही है । सरकार कागजों पर शिक्षा के लिए बहुत बड़ा बजट खर्च करती है । किन्तु वह बजट का पैसा जाता कहाँ है ? यह एक सोचनीय प्रश्न है?

शिक्षा आज की जरूरत

जिस देश में शिक्षा का अभाव होगा , उस देश की प्रगति कभी भी सम्भव नहीं है । अतः देश के प्रत्येक नागरिक का साक्षर और शिक्षित होना आवश्यक है । आज कृषि के क्षेत्र में नये – नये वैज्ञानिक अनुसन्धान हो रहे हैं जिनकी जानकारी होने पर ही किसान अच्छी खेती कर सकता है। अतः अब कृषि कार्यों में भी शिक्षित होना आवश्यक है, तभी वैज्ञानिक तरीके से खेती की जा सकती है ।

शिक्षा का महत्व

भारत के संविधान में सभी के लिए समान शिक्षा का अधिकार है । इससे पूर्व अंग्रेजी शासन में शिक्षा की जो व्यवस्था थी। उससे पूरा भारत भली- भाँति परिचित है । अंग्रेज शिक्षा के महत्त्व को अच्छी तरह जानते थे। इसलिए वे भारतीयों को सुशिक्षित होने से वंचित करते रहे । शिक्षा मनुष्य में जागरूकता लाती है । शिक्षित व्यक्ति को अपने अधिकारों का बोध होता है । शिक्षित व्यक्ति विवेकशील होता है । उसमें गलत – सही की समझ होती है , उचित – अनुचित की समझ होती है । उसे कार्य और कार्य के परिणाम की समझ होती है । वह कोई काम अन्धा होकर नहीं करता । अशिक्षित व्यक्ति के विषय में संस्कृत के सुप्रसिद्ध रचनाकर भर्तृहरि ने कहा है—

साहित्य संगीत कला विहीनः , साक्षात पशुः पुच्छ विषाणहीनः ।
अर्थात् जो व्यक्ति साहित्य , कला और संगीत को नहीं जानता, वह पूँछ और सींग के बिना भी पशु के समान है । इस प्रकार अशिक्षित व्यक्ति पशु के समान होता है ।

सरकार की जिम्मेदारी

अब भी इतना प्रयत्न करने के बावजूद भारत अभी पूर्ण रूप से साक्षर नहीं हो पाया है । इसके लिए सरकार को नैतिक जिम्मेदारी के साथ समाज के इस अभाव को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए । तभी इस देश की प्रगति सम्भव हो सकेगी । शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ लेना और लिख लेना ही नहीं है । इसका उद्देश विवेकशील और प्रज्ञावान होना भी है। शिक्षा का प्रभाव मनुष्य के रहन – सहन पर भी पड़ता है । शिक्षा जीने का ढंग बताती है । शिक्षा से आचार – विचार बनता है ।

निष्कर्ष

निरक्षरता देश के लिए तथा समाज के लिए एक कलंक है , अभिशाप है । खेद का विषय यह है कि भारत को स्वतंत्र हुए 74 वर्ष बीत गये, किन्तु अभी निरक्षरता समाप्त नहीं हो सकी है । आज की शिक्षा – व्यवस्था में कुछ सुधार की भी आवश्यकता है – शिक्षा सस्ते शुल्क पर उपलब्ध कराई जाए तो सभी को लाभ मिलेगा । शिक्षा पर होने वाला व्यय कुछ महँगा पड़ता है । इसके अतिरिक्त कुछ लोगों का ध्यान अब भी शिक्षा की ओर अपेक्षाकृत कम है । हमारे राष्ट्र का कल्याण तभी सम्भव है जब हमारे देशवासी साक्षरता की दिशा में ठोस कदम उठाएँगे और निरक्षरता के निवारणार्थ यथासम्भव प्रयत्न करेंगे । वह दिन वास्तव में कितना सुखद होगा जब निरक्षरता पूर्णतः समाप्त हो जाएगी ।

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