anushasan ka mahatva par nibandh
भूमिका
अनुशासन का अर्थ है— नियमबद्ध आचरण करना । जिन लोगों का इन पर नियंत्रण नहीं होता , वही लक्ष्यहीन हो जाते हैं और संसार के ऊपर भार स्वरूप हो जाते हैं । प्राणी मात्र के जीवन में अनुशासन बहुत महत्त्वपूर्ण है । अनुशासन जीवन जीने की एक कला है । अनुशासन के बिना मनुष्य पशु के समान हो जाता है और एक अनुशासित पशु मानवीय गुणों का अनुसरण करने में अग्रसर हो उठता है । अनुशासन का अभिप्राय है – स्वयं को वश में रखना ।
anushasan ka mahatva par nibandh
अनुशासन की पहली पाठशाला
अनुशासन की प्रथम पाठशाला व्यक्ति का घर होता है और उस पाठशाला के प्रथम गुरु होते हैं नवजात शिश के माता – पिता । नवजात के माता – पिता उसे बैठने , चलने , बोलने की शिक्षा देते हैं जिससे वह बिना कोई नुकसान उठाए आसानी से चलना , बोलना , उठाना – बैठना सीख लेता है । पाँच साल तक उसे माता – पिता , परिवार के अन्य लोग – भाई – बहिन , चाचा – ताऊ सभी अपने – अपने व्यवहार के अनुसार अनुशासित रहने का पाठ पढ़ाते हैं । इसके बाद बच्चा विद्यालय में प्रविष्ट होता है । वहाँ उसे अध्यापक का सान्निध्य मिलता है ।
अध्यापक उसको अनुशासन का पाठ पढ़ाता है और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाता है। शिक्षक का आदेश मानना पड़ता है । ऐसा करने पर वह बाद में योग्य, चरित्रवान व आदर्श नागरिक कहलाता है । विद्यार्थी जीवन में बच्चे में शारीरिक व मानसिक गुणों का विकास सम्भव होता है और यह बिना अनुशासन के सम्भव नहीं है । यदि हम अनुशासनहीन होकर , नियमों का उल्लंघन करते हुए तथा उचित – अनुचित का विचार किए बिना किसी कार्य को करते हैं तो हमें उस कार्य में गलती होने का डर लगा रहता है । अतः हमें अनुशासन में रहना चाहिए।
प्रकृति में अनुशासन
यदि हम अपने वातावरण को देखें तो पता चलता है कि प्रकृति तथा प्राकृतिक वस्तुएँ भी अनुशासन में हैं । पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रही है । सूर्य पूर्व दिशा से निकल रहा है । चन्द्रमा तथा असंख्य तारे और अन्य ग्रह – नक्षत्र अपने – अपने मार्ग में यात्रा कर रहे हैं । यदि ये अनुशासन तोड़ अपने मार्गों में परिवर्तन कर लें तो संसार की क्या दशा होगी । प्रारम्भ से ही यदि हमारा जीवन अनुशासित होगा तो हम जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान आसानी से कर सकते हैं । अनुशासनप्रिय होने के लिए हमें स्वप्रेरणा के आधार पर कार्य करना होगा ।
अनुशासन का महत्व
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन में रहना विद्यार्थी को माता – पिता सिखाते हैं । वे अनुशासन के पाठ से उसे परिचय कराते हैं । शिक्षक , अभिभावक आदि सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे अनुशासित रहें । विद्या – अध्ययन के दौरान विद्यार्थी सभी प्रकार की जिम्मेदारियों से स्वतंत्र होता है । विद्यालय में प्रवेश करते समय विद्यार्थी को अनुशासन में रहना होता है । कई वर्ष तक विद्यालय में रहने पर अनुशासन उसकी दैनिक दिनचर्या में शामिल हो जाता है । अनुशासन से ही विद्यार्थी में आत्म – विश्वास और आत्म – निर्भरता की वृद्धि होती है ।
अनुशासन की जरूरत जीवन के हर क्षेत्र में पड़ती है । जो व्यक्ति अनुशासित होता है, वही प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है । विद्यार्थी जीवन ही ऐसा जीवन होता है जहाँ से विद्यार्थी की निजी प्रगति साथ ही देश की , समाज की प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है ।
अनुशासनहीनता के कारण
अनुशासनहीनता के कारण ही आजकल विद्यार्थी अपना अमूल्य जीवन बरबाद कर रहे हैं । आज कोई भी बुरा कार्य ऐसा नहीं बचा है जिसमें विद्यार्थी शामिल न होते हो । दंगा – फसाद , मार – पिटाई , तोड़ – फोड़ , हिंसा , महिलाओं से अभद्र व्यवहार , परीक्षा में नकल , अध्यापकों से दुर्व्यवहार करना आदि विद्यार्थी के लिए साधारण कार्य हैं ।
आज विद्यार्थी के अनुशासन में नहीं रहने के अनेक कारण हैं । विद्यार्थी को अनुशासन में बनाये रखने के लिए माता – पिता का उचित संरक्षण व मार्गदर्शन जरूरी है । लेकिन कुछ अभिभावक इस ओर ध्यान नहीं देते । इस कारण उनके बच्चे अनुशासनहीन तो होते ही हैं साथ ही उनमें मर्यादा व अच्छे संस्कार भी नहीं पाये जाते । आज के शिक्षक भी इसके लिए कम दोषी नहीं हैं । उनका उदेश्य बच्चों को अच्छी शिक्षा देना न होकर सिर्फ नौकरी करना ही रह गया है । वे सिर्फ गृहकार्य देकर व कक्षा कार्य कराकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं । शिक्षक का कर्तव्य है कि वे विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ – साथ प्रेरक कहानी , घटना सुनाकर उन्हें नैतिकता का भी पाठ पढ़ाएं ।
निष्कर्ष
सत्यता , सच्चरित्रता तथा अनुशासन की परम्परा टूटने पर कोई भी व्यक्ति , परिवार , समाज और देश को नष्ट होने से नहीं बचा सकता । और जहाँ अनुशासन का अभाव होगा , सत्यता , सच्चरित्रता का भी अभाव होगा । विद्यार्थी में जिस गति से अनुशासनहीनता बढ़ रही है यदि उसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके बुरे परिणाम सामने आयेंगे । आज का विद्यार्थी कल का देश का भविष्य आदि होता है ।