बाल श्रमिकों की समस्या पर निबंध | bal shramikon ki samasya

bal shramikon ki samasya par nibandh

भूमिका

जब किसी देश का बालक 5 साल का होते ही बुढ़ापे में ढकेल दिया जाए, तो उस देश का भविष्य क्या होगा। इसका अनुमान स्वयं लगाया जा सकता है। हमारे देश की यही स्थिति है। बालपन खेलने-खाने का दिन होता है। नौकरी करने और पैसे कमाने का नहीं। हमारे देश में 90% बालक युवा अवस्था में पैर ही नहीं रख पाते । वे सीधे बालक से बूढ़े हो जाते हैं । इसलिए भारत आज विश्वपटल पर विज्ञान में पीछे है ।

bal shramikon ki samasya

हमारे देश की जितनी विशालता है , उतनी ही इसकी समस्याएँ हैं । आज देश का ऐसा कोई भाग नहीं है , जो समस्याओं से ग्रस्त न हो । हमारे देश की खाद समस्या , महँगाई की समस्या , जनसंख्या की समस्या , बेरोजगारी की समस्या , दहेजप्रथा की समस्या , जातिवाद की समस्या , भाषा की समस्या , क्षेत्रवाद की समस्या , साम्प्रदायिकता की समस्या आदि न जाने कितनी समस्याएँ हैं । बालश्रमिक की समस्या भी एक समस्या है । सरकार का ध्यान बालश्रम के उन्मूलन की ओर गया है । लेकिन अभी समाधान नहीं ढूँढ़ा जा सका ।

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विकास में बाधक तत्व

बालश्रम की समस्या को विकास से जोड़ा जाता है । देश में विकास के अभाव में बालश्रम लिया जाता है । यह तो सरकार का भ्रम में डालने का उपाय है । बालश्रम के तह में गरीबी है । जब से सरकार का ध्यान वैश्विक आर्थिकीकरण की ओर गया है , यह समस्या और गम्भीर हो गयी है । गरीब दिनोंदिन और गरीब एवं अमीर और अधिक अमीर होता जा रहा है । गरीबी सिर पर सवार होने के कारण बहुत से माता – पिता अपने बच्चों का लालन – पालन नहीं कर पाते हैं । इसलिए वे अपने बच्चों से कुछ आय प्राप्त करना चाहते हैं और इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्हें कम पर भेज देते हैं । फलतः वे एक मजदूर की जिंदगी जीने लगते है।

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राष्ट्रीय चिंता का कारण

सरकारी सूचना के अनुसार हमारे देश के जो बालमज़दूर या बालश्रमिक हैं , उनकी आयु लगभग 5 वर्ष से 12 वर्ष तक है । इस आयु के बच्चे अनपढ़ और पढ़े – लिखे दोनों ही प्रकार के हैं । इनमें लड़के और लड़कियाँ दोनों हैं । ये बच्चे केवल एक राज्य या क्षेत्र से सम्बन्धित न होकर पूरे भारत में हैं । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि बालकों से काम लेने की समस्या लगभग पूरे देश में व्याप्त है । यह एक राष्ट्रीय चिन्ता का कारण है । जिस देश का नौनिहाल खेलने – कूदने और शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में धनार्जन की चिन्ता में पड़ जाएगा , उस देश का भविष्य क्या होगा , यह भगवान के भरोसे ही है ।

सरकारी आँकड़े के अनुसार बालश्रमिकों की सबसे अधिक संख्या उत्तरप्रदेश , बिहार, झारखंड उड़ीसा , मध्य प्रदेश में है । यहाँ शिक्षा का अभाव भी है , गरीबी भी बहुत है । जनसंख्या अधिक और जीवन – यापन का स्रोत कम होने से मजबूरन बालकों को श्रम के लिए भेजा जाता है। बाल मजदूर या बालश्रमिकों की बढ़ती हुई संख्या हमारे राष्ट्र के विकास के लिए एक गम्भीर चुनौती और चिन्ता दोनों का विषय है । इसका निदान होना आवश्यक है । अभी हमारे लिए एक अच्छा अवसर है कि इस समस्या की शुरुआत बहुत दिनों की नहीं है , अपितु यह समस्या कुछ ही वर्षों की है । अतः इस समस्या का निदान कुछ ही वर्षों में किया जा सकता है ।

उपाय

बालश्रम को रोकने के लिए सबसे पहले तो कानून बनना चाहिए और वह कानून ऐसा हो जिसमें बालश्रम लेने वाले और बालश्रम कराने के लिए भेजने वाले माता – पिता दोनों के लिए दंड का विधान हो । इसके साथ ही गरीबी का राजनीतिकरण न करते हुए सच्चाई के साथ बाल श्रमिकों को उपयुक्त शिक्षा और आम आदमी को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं ।

हमारे भारत देश में बाल श्रमिकों की दुर्दशा को पहले समझना होगा,फिर उनकी स्थिति या दशा को सुधारने के लिए प्रयत्न की आवश्यकता है। साथ ही इनके बाल मजदूर बनने के कारण को जानना होगा।

मजबूरी

एक बात तो निर्विवाद है कि कोई बालक स्वेच्छा से अल्प आयु में काम करने नहीं जा सकता । वह खेलने तो जा सकता है किन्तु काम करने नहीं । बहुत से माता – पिता अपनी गरीबी के कारण अपने बच्चों को उचित शिक्षा नहीं दिला पाते हैं ।वे उनकी सहायता के बिना परिवार का व अपना जीवन – निर्वाह कर सकने में असमर्थ होते हैं । इसलिए ऐसे माता – पिता अपने बच्चों को गाँवों से शहरों में रोजी – रोटी के लिए भेज देते हैं । सरकार राजस्व के लिए गाँव – गाँव में शराब और दूसरे मादक पदार्थों के ठेके वितरित किये हैं । बालक आजकल नशे के अभ्यस्त हो रहे हैं । बालकों के माता – पिता जो कमाते हैं , उसका प्रयोग नशा के व्यसन में खर्च करते हैं । पेट की ज्वाला को शान्त करने के लिए बच्चों को नौकरी या परिश्रम करना मजबूरी हो जाती है ।

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निष्कर्ष

इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे देश के बाल श्रमिक कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे है। बाल श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने और उनकी समस्याओं के निदान हेतु हमारी सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए । ताकि हमारे बाल मजदूरों के जीवन में सुधार आ सके।

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