धर्मवीर भारती पर निबंध | biography of Dharmveer Bharti in hindi

dharmveer bharti par nibandh

भूमिका

प्रयोगवाद के प्रवर्तक अज्ञेय जी द्वारा संपादित “दूसरा तार सप्तक” के साथ ही धर्मवीर भारती जी का हिंदी साहित्य में आगमन हुआ । धर्मवीर भारती का हिन्दी साहित्य में एक कथाकार , नाटककार , निबन्धकार एवं कवि के रूप में ख्याति प्राप्त स्थान रहा है। उन्होंने हिंदी के जिस विधा पर अपनी लेखनी चलाई हिंदी साहित्य में वह प्रसिद्ध हो गई।

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जीवन परिचय

धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबाद में हुआ था। धर्मवीर भारती के पिता का नाम चिरंजीव लाल वर्मा और माता जी का नाम श्रीमती चंदादेवी था। उनकी स्कूली शिक्षा डी. ए. वी. हाई स्कूल से हुई । उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में एम.ए. और पी-एचडी की डिग्री प्राप्त की। इन्होंने कुछ वर्षों तक यहीं से प्रकाशित होनेवाले साप्ताहिक पत्र ‘ संगम ‘ का भी सम्पादन किया । कुछ समय तक ये इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक भी रहे ।

सन् 1959 ई. से 1987 ई. तक ये मुम्बई से प्रकाशित होनेवाले हिन्दी के प्रसिद्ध साप्ताहिक पत्र ‘ धर्मयुग ‘ के सम्पादक रहे । सन् 1972 ई. में भारती जी को ‘ पद्मश्री ‘ की उपाधि , भारत – भारती सम्मान ( 1989 ) , महाराष्ट्र गौरव ( 1990 ) , व्यास सम्मान ( 1994 ) , हल्दीघाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार से अलंकृत किया गया । 4 सितम्बर , 1997 ई. को यह कलम का सिपाही इस असार संसार से विदा लेकर परलोकवासी हो गया ।

साहित्यिक परिचय

धर्मवीर भारती प्रतिभाशाली कवि , कथाकार व नाटककार थे । इनकी कविताओं में रागतत्त्व की रमणीयता के साथ बौद्धिक उत्कर्ष की आभा दर्शनीय है । कहानियों और उपन्यासों में इन्होंने सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं को उठाते हुए बड़े ही जीवन्त चरित्र प्रस्तुत किये हैं । साथ ही समाज की विद्रूपता पर व्यंग्य करने की विलक्षण क्षमता भारती जी में रही । कहानी , नाटक , निबन्ध , उपन्यास , आलोचना , एकांकी , सम्पादन व काव्य – सृजन के क्षेत्र में भारती जी ने अपनी विलक्षण सृजनात्मक प्रतिभा का परिचय दिया । वस्तुतः साहित्य की जिस विधा का भी उन्होंने स्पर्श किया , वही विधा इनका स्पर्श पाकर धन्य हो गयी । “गुनाहों का देवता” जैसा सशक्त उपन्यास लिखकर भारती जी अमर हो गये । इस उपन्यास पर बनी फिल्म भारतीय समाज में अधिक लोकप्रिय हुई ।

प्रमुख कृतियाँ

धर्मवीर भारती की प्रमुख रचनाएँ कुछ इस प्रकार हैं :—

कहानी संग्रह – बन्द गली का आखिरी मकान (1969), मुर्दो का गाँव (1946), चाँद और टूटे हुए लोग (1955) , स्वर्ग और पृथ्वी (1949) , साँस की कलम से (2000)।

काव्य रचनाएँ – ठण्डा लोहा (1952) , सात गीत वर्ष (1959) , कनुप्रिया (1959) , सपना अभी भी (1993), आद्यान्त (1999) ।

उपन्यास – गुनाहों का देवता (1949) , ग्यारह सपनों का देश (1952), सूरज का सातवाँ घोड़ा (1952) , प्रारंभ व समापन (1952)।

कहानियाँ – अनकही , नीली झील , मानव मूल्य और साहित्य , नदी प्यासी थी (1954)।

निबन्ध – ठेले पर हिमालय(1958) , कहनी-अनकहनी (1970), पश्यंती (1969) ,मानव मूल्य और साहित्य (1960) , शब्दिता (1997), कुछ चेहरे कुछ चिंतन (1997)।

नाटक और एकांकी – ‘ नदी प्यासी थी ‘ (1954) इनका चर्चित नाटक है । ‘ नीली झील ‘ संग्रह में इनकी एकांकियाँ संकलित हैं ।

पद्य नाटक – अंधायुग (1954)

यात्रा-साहित्य – यादें यूरोप की , यात्रा चक्र (1994)

रिपोतार्ज – युद्ध यात्रा (1972)

आलोचना — प्रगतिवाद : एक समीक्षा (1949) , साहित्य और मानव मूल्य (1960)। इसके अतिरिक्त विश्व की कुछ प्रसिद्ध भाषाओं की कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी ‘ देशान्तर ‘ नाम से प्रकाशित हुआ है ।

भाषा शैली

भारती जी की भाषा परिष्कृत एवं परिमार्जित खड़ीबोली है । इनकी भाषा में सरलता , सजीवता और आत्मीयता का पुट है और देशज , तद्भव एवं तत्सम शब्दों का प्रयोग किया गया है। मुहावरों और कहावतों के प्रयोग ने भाषा को गति और बोधगम्यता प्रदान की है। विषय और विचार के अनुसार भारती जी की रचनाओं में भावात्मक, आलोचनात्मक, वर्णनात्मक, चित्रात्मक शैलियों का प्रयोग किया गया है। dharmveer bharti par nibandh

उपसंहार

भारती जी को आलोचकों द्वारा “प्रेम और रोमांस का निर्माता” करार दिया गया है। उनकी कविताओं, कहानियों और उपन्यासों में प्रेम और जोश की प्रबल भावना है। लेकिन, साथ ही, उन्हें इतिहास और वर्तमान घटनाओं के बारे में तीव्र जागरूकता है, जिसे उनकी कविता, कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, आलोचना और संपादकीय में देखा जा सकता है। उनकी लघु कथाएँ और उपन्यास मध्यम वर्ग की वास्तविकता को चित्रित करते हैं।

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