Rabindranath Tagore par nibandh
भूमिका
रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार और प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भागीदारी के साथ, रवींद्रनाथ टैगोर ने भारतीय नायकों को अपनी कविता से उनके दिलों में आग और ज्वाला प्रज्वलित करके मातृभूमि को मुक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। रवीन्द्रनाथ टैगोर में मातृभूमि के प्रति प्रेम कूट-कूट कर भरा हुआ था।
जीवन परिचय
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स स्कूल में प्राप्त की। जब वे ग्यारह वर्ष के थे, तब वे उपनयन अनुष्ठान के बाद अपने पिता देवेंद्रनाथ के साथ हिमालय की यात्रा पर गए थे। उन्होंने सितंबर 1877 में अपने भाई के साथ इंग्लैंड की यात्रा की। उन्होंने पश्चिमी संगीत सीखते हुए अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया। इंग्लैंड से लौटने के बाद वे साहित्य लेखन के क्षेत्र में आ गए। 1914 में कोलकाता विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘डॉक्टर’ की मानद उपाधि प्रदान की। ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘डी-लिट’ की उपाधि भी प्रदान की। 7 अगस्त 1941 को उनका निधन हो गया।
Rabindranath Tagore par nibandh
साहित्यिक परिचय
रवीन्द्रनाथ टैगोर हमारे देश के एक प्रसिद्ध कवि , देशभक्त तथा दार्शनिक थे । ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । इन्होंने कहानी , उपन्यास , नाटक तथा कविताओं की रचना की । इन्होंने अपनी स्वयं की कविताओं के लिए अत्यन्त कर्णप्रिय संगीत का सृजन किया । ये हमारे देश के एक महान चित्रकार तथा शिक्षाविद् थे । 1901 ई ० में इन्होंने शान्ति निकेतन में एक ललित कला स्कूल की स्थापना की , जिसने कालान्तर में विश्व भारती का रूप ग्रहण किया । यह एक ऐसा विश्वविद्यालय बना रहा जहां दुनिया के हितों और महान विचारों को एक घर मिला, और कई संस्कृतियों और परंपराओं के व्यक्तियों को एक साथ रहने की सीख मिली।
टैगोर ने अपनी प्रारंभिक रचनाएँ अपनी मातृभाषा बंगाली में लिखीं। जब उन्होंने अपने लेखन का अंग्रेजी में अनुवाद किया, तो उन्हें दुनिया भर में प्रशंसा मिली। उन्हें उनकी प्रसिद्ध अमर कृति ‘गीतांजलि’ के लिए 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ‘गीतांजलि’ का अर्थ है ‘गीत भेंट’ या ‘गीतों की अंजलि’। यह कृति टैगोर की कविताओं का एक मुक्त काव्य अनुवाद है, जो टैगोर ने बंगाली मूल से किया था, और महान आयरिश कवि डब्ल्यू . बी . येट्स ने इस किताब की प्रस्तावना लिखी थी। यह रचना भक्ति गीतों का एक संग्रह है,जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने परम पिता परमेश्वर के प्रति अर्पित की थी । ब्रिटिश सरकार ने टैगोर को ‘सर’ की उपाधि प्रदान की, लेकिन उन्होंने 1919 ई. में जलियांवाला बाग हत्याकांड के प्रतिशोध में इस उपाधि का त्याग कर दिया।
व्यक्तित्व
टैगोर की कविता गहन धार्मिक भावना , देशभक्ति और अपने देशवासियों के प्रति प्रेम से ओत – प्रोत है । टैगोर को दुनिया में सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित भारतीयों में से एक माना जाता है। हम उन्हें बड़ी श्रद्धा के साथ ‘गुरुदेव’ कहकर संबोधित करते हैं। वे एक संगीतकार, विचारक और शिक्षक थे । इन्होंने अपने स्वयं के गीतों को संगीत दिया , उनका गायन किया और अपने अनेक रंगकर्मी शिष्यों को शिक्षित करने के साथ ही अपने नाटकों में अभिनय भी किया । उनके रवीन्द्र संगीत का आज के संगीत परिदृश्य में विशेष स्थान है।
टैगोर एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे, जो अपने विश्वास को ‘मनुष्य का धर्म’ कहना पसंद करते थे। वह पूर्ण मुक्ति की कामना करते थे । अपने अनुयायियों के मन में उन्होंने सत्य की भावना स्थापित की। उन्होंने प्रकृति, संगीत और कविता के सीधे संपर्क के माध्यम से अपनी और अपने शिष्यों की कल्पना – शक्ति को सौन्दर्य , अच्छाई तथा विस्तृत सहानुभूति के प्रति जाग्रत कराया ।
Rabindranath Tagore par nibandh
प्रमुख रचनायें
कविताएँ
दूज का चाँद , भारत का राष्ट्रगान ( जन – गण – मन ) , बागवान , मानसी , सोनार तारी , गीतांजलि , गीतिमय , बलक आदि ।
कहानी
काबुलीवाला , दी बेबी , नयनजोड़ के बाबू , भिखारिन , जिन्दा अथवा मुर्दा , घर वापिसी , मास्टर साहब और पोस्टमास्टर , हंगरी स्टोन्स , माई लॉर्ड , अनधिकार प्रवेश ,
उपन्यास
गोरा , नाव दुर्घटना , आँख की किरकिरी , राजर्षि , दि होम एण्ड दी वर्ल्ड , चोखेरवाली ।
नाटक
प्रकृति का प्रतिशोध , चाण्डालिका , रुद्रचण्ड , पोस्ट ऑफिस , बलिदान , मुक्तधारा , नातिर – पूजा , फाल्गुनी , वाल्मीकि प्रतिभा , राजा और रानी , विसर्जन , चित्रांगदा ।
आत्मजीवन चरित – मेरे बचपन के दिन ।
निबन्ध एवं भाषण – मानवता की आवाज ।
भाषा शैली
टैगोर की भाषा सहज , प्रवाहपूर्ण एवं प्रभावशाली है । वह एक बहुभाषी व्यक्ति थे, जो बताते हैं कि उनके रचनाओं में कई भाषाओं के शब्द क्यों हैं। उन्होंने विषय और प्रसंग के आधार पर परिचयात्मक, आलोचनात्मक, आत्मकथात्मक, निबंधात्मक और अन्य शैलियों का उपयोग किया है।
निष्कर्ष
टैगोर एक अद्भुत व्यक्ति थे जिन्होंने देश को, देश के साहित्य को और देश के लोगों को एक नई पहचान दी। हमारे इतिहास को रवींद्रनाथ टैगोर पर गर्व है। हमारे लिए उनका योगदान असाधारण है। उनके जन्म से देश का मान बढ़ा है। उनकी हर रचना देशभक्ति की महक से महकती है। उनके विचारों ने देश को हमेशा एक नई दिशा प्रदान की है। उनके द्वारा बोले गए प्रत्येक शब्द का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हम उनके जीवन को हमेशा याद रखेंगे।