मृदा प्रदूषण पर निबंध | hindi essay on soil pollution

mrida Pradushan par nibandh

भूमिका

भूमि के भौतिक , रासायनिक तथा जैविक गुणों में ऐसा कोई आवांछनीय परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य तथा अन्य जीवों पर पड़े अथवा जिससे भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो , उसे मृदा प्रदूषण कहते हैं । मृदा एक ऐसा माध्यम है जिसमें सभी प्रकार के पेड़ – पौधे और फसलें उगती है । इसी से हमें रोटी , कपड़ा व जीवन की अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है । अन्य जीव भी अपने भोजन के लिए वनस्पति पर निर्भर करते हैं ।

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अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी विभिन्न प्रकार के प्राणियों के जीवन का आधार है । इस प्रकार जैव मंडल में पाए जाने वाले सभी संसाधनों में मृदा सबसे महत्त्वपूर्ण है । हालांकि मृदा एक नवीकरण योग्य संसाधन है फिर भी दो समस्याएं ऐसी हैं जिनसे मृदा संरक्षण आवश्यक है वे हैं – मृदा अपरदन व मृदा की उपजाऊ शक्ति का ह्रास । मृदा संरक्षण का तात्पर्य है कि मृदा का प्रयोग इस ढंग से किया जाए कि इसकी उत्पादकता का हनन न हो ।

मृदा प्रदूषण के कारण

1) मृदा अपरदन की समस्या के कारण – जल तथा वायु के प्रभाव से मृदा की ऊपरी परत का बह जाना या उड़ जाना मृदा अपरदन कहलाता है । प्रतिवर्ष मिट्टी का औसतन 2 % से अधिक भाग बहकर चला जाता है । महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मिट्टी की 1 सेंमी मोटी परत बनने में 100 से 200 वर्ष लग जाते हैं । परन्तु यह मिट्टी जो बनी हुई है कुछ समय में नष्ट हो सकती है ।

2) मृदा अपरदन के कारण – बाढ़ का जल , मूसलाधार वर्षा , वनों की अंधाधुंध कटाई , शुष्क भागों में तेज हवाएं , अनियंत्रित पशु चारण , कृषि के अवैज्ञानिक ढंग , स्थानांतरी कृषि आदि ।

3) मृदा की उपजाऊ शक्ति के ह्रास की समस्या – संसार की विशाल जनसंख्या के भरण-पोषण हेतु फसलें उगाने के लिए मिट्टी का लगातार उपयोग होता रहता है । इससे मिट्टी का प्राकृतिक उपजाऊपन घट जाता है ।

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मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय

1) मृदा अपरदन रोकना – मृदा अपरदन को हम निम्न उपायों से रोक सकते हैं —
( i ) वृक्षारोपण ( ii ) बांध बनाना ( iii ) नियंत्रित पशुचारण ( iv ) पंक्तिबद्ध पौधारोपन ( v ) कृषि के वैज्ञानिक ढंग ।
2) मृदा की उर्वरा शक्ति बनाए रखना – संसार की विशाल जनसंख्या के भरण पोषण हेतु फसल उगाने के लिए मिट्टी का लगातार उपयोग होता रहता है । इससे मिट्टी का प्राकृतिक उपजाऊपन घट जाता है । मृदा की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए हम निम्न उपाय कर सकते हैं—

◆ फसलों का हेर – फेर कर उगाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है ।
● फसल काटते समय डंठल छोड़कर काटना
◆ खेतों में गोबर व जैविक खाद का अधिक उपयोग करना
● हरी खाद के लिए खेतों में पत्तेदार फसलें उगाना जिससे पत्तों के गिरने से मिट्टी की शक्ति बनी रहती है ।
◆ भू-जल की जांच कराना जिसे हम खेती में उपयोग करते हैं ।
● मिट्टी की जांच कराना व कमी वाले तत्त्वों की भरपाई करना ।
◆ समोच्य रेखीय जोताई ।
● खेतों की मेड़बंदी ताकि वर्षा के पानी के जमीन के उपजाऊ तत्त्व न बह सकें ।
◆ जमीन की समयानुसार जुताई व फसलों की गोड़ाई करना ।
● खेतों में फसल के बचे डंठल व अवशेषों को आग से न जलाना ।

मृदा प्रदूषण के प्रभाव

1) मनुष्य, जानवर और पौधे सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी के दूषित होने से प्रभावित होते हैं।

2) मृदा संदूषण के कारण मृदा की आवश्यक विशेषताओं का ह्रास होता है। नतीजतन, इसकी उत्पादन क्षमता कम हो जाती है, जिससे फसल और वनस्पति विकास असंभव हो जाता है।

3) रासायनिक प्रदूषण का पौधों और फसलों पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह मिट्टी के साथ मिल जाता है। इसका जानवरों पर अधिक प्रभाव पड़ता है, विशेषकर उन पर जो काफी बड़े होते हैं। इन सबका असर इंसानों पर भी पड़ता है।

4) कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं का क्षरण होता है। नतीजतन, मिट्टी की उर्वरता और उत्पादन क्षमता कम हो जाती है।

5) मृदा संदूषण का खाद्य श्रृंखला पर उच्चतम पोषण स्तर तक हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इस परिदृश्य में, मिट्टी में रासायनिक पदार्थ पौधों और फसलों के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं, जिससे बीमारी होती है।

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निष्कर्ष

हमारी प्राथमिक आवश्यकता भूमि ही है। अगर इसी तरह से भूमि दूषित होती रही, तो हमारा जीवन असंतुलित हो जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा जब हम भोजन के बिना मर जाएंगे । इसलिए भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
इस बात से कोई इंकार नहीं है कि हमारे जीवन को और अधिक सुखद बनाने के हमारे प्रयास पर्यावरण पर कहर बरपा रहे हैं। स्वस्थ और सुखी जीवन जीने के लिए हमें मृदा प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए। भूमि संदूषण कई बीमारियों का कारण बनता है और एक स्वस्थ जीवन शैली जीना कठिन बना देता है। भूमि प्रदूषण, अन्य प्रकार के प्रदूषणों की तरह, पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा बन गया है। अतः मृदा का प्रदूषण होने से बचाना ही हमारा परम कर्तव्य है ।

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