उपेंद्रनाथ अश्क पर निबंध | upendranath ashk par nibandh

upendranath ashk par nibandh

भूमिका

उपेंद्रनाथ अश्क हिन्दी के बेहतरीन कवि, लेखक, नाटककार और एकांकीकार हैं। उन्हें एक कर्तव्यनिष्ठ साहित्यकार के रूप में माना जाता है, जिन्होंने सामाजिक परिस्थितियों और वर्जनाओं के बारे में अपनी भावुक भावनाओं को संप्रेषित करने के लिए अपने लेखन का उपयोग किया। कविता के क्षेत्र में उन्होंने नए प्रतिमान स्थापित किए। सामाजिक मुद्दों पर उनके नाटकों और एकांकियों का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। प्रेमचंद युग की कहानी-परंपरा को आज के समय से जोड़ने वाले वे पहले लेखक थे।

upendranath ashk par nibandh

जीवन परिचय

प्रसिद्ध नाटककार एवं एकांकीकार उपेन्द्रनाथ ‘ अश्क ‘ का जन्म 14 दिसम्बर , 1910 ई० को जालन्धर ( पंजाब ) में एक मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था । डी० ए० वी० कॉलेज जालन्धर से बी०ए० करने के बाद अध्यापन और फिर लाहौर में पत्रकारिता किया । 1936 ई० में कानून की परीक्षा में विशेष योग्यता लेकर उत्तीर्ण हुए । 1939-41 ई० तक ‘ प्रीत लड़ी ‘ के उर्दू – हिन्दी संस्करणों का सम्पादन किया । 1941-44 ई० तक ऑल इण्डिया रेडियो दिल्ली में नाटककार और हिन्दी सलाहकार के रूप में रहे । 1944 ई० में ‘ सैनिक समाचार ‘ के हिन्दी संस्करण का सम्पादन किया । 1944-46 ई० तक ‘ फिल्मिस्तान ‘ ( मुम्बई ) में पटकथा और गीत लिखने के साथ – साथ अभिनय किया ।

1947 ई ० में यक्ष्मा रोग से ग्रस्त होकर पंचगनी सेनेटोरियम में रहे । 1948 में रोग – मुक्त होकर इलाहाबाद ( उ० प्र० ) में स्थायी निवास बनाया और पूर्ण रूप से लेखन – कार्य में जुट गये । 1951 ई० में प्रगतिशील लेखक संघ के स्वागताध्यक्ष हुए । 1965 ई० में केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किये गये । 1972 ई० में ‘ सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार ‘ आपको प्राप्त हुआ । 1974 ई० में उत्तरप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘ साहित्य वारिधि ‘ की उपाधि दी गयी । 1980 ई० में आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के मानद प्रोड्यूसर हुए । 1956-83 ई० के बीच रूस , इंग्लैण्ड , जर्मनी , हॉलैण्ड , मॉरिशस और पाकिस्तान की यात्राएँ आपने की । 19 जनवरी , 1996 ई ० को आप गोलोकवासी हो गये ।

upendranath ashk par nibandh

प्रमुख कृतियाँ

‘अश्क’ जी की लेखन क्षमता परिष्कृत है, और उनका भावनात्मक ब्रह्मांड विशाल है। उन्होंने कहानी, नाटक, उपन्यास , कविता, निबंध, संस्मरण, और बहुत कुछ विभिन्न विधाओं में विपुल रूप से लिखा है , किन्तु इनकी उपलब्धि नाटक , एकांकी , उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में विशेष महत्त्वपूर्ण है । नाटक के प्रति आपकी रुचि बचपन से ही थी । ‘ अश्क ‘ जी के लगभग 11 नाटक और 40 एकांकी प्रकाशित हो चुके हैं । इनके नाटकों में बड़े खिलाड़ी , अंजो दीदी , अलग – अलग रास्ते , जय – पराजय , आदि मार्ग , पैंतरे , छठा बेटा , स्वर्ग की झलक , अन्धी गली , मेरा नाम बिएट्रिस है , भंवर आदि हैं । आपकी प्रमुख एकांकियों में पर्दा उठाओ : पर्दा गिराओ , चरवाहे , तौलिये , चिलमन , कइसा साब : कइसी आया , मैमूना , मस्केबाजी का स्वर्ग , कस्बे का क्रिकेट क्लब का उद्घाटन , सूखी डाली , चुम्बक , अधिकार का रक्षक , तूफान से पहले , लक्ष्मी का स्वागत , किसकी बात , पापी , दो कैप्टन , गुंजलक , नानक इस संसार में ..आदि हैं ।

साहित्यिक अवदान

‘ अश्क ‘ जी ने मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण बड़ी सूक्ष्मता से किया है । सामाजिक और व्यक्तिगत दुर्बलताओं पर प्रहार करनेवाले व्यंग्य और प्रहसन एकांकी भी लिखे हैं । इनमें चरित्र – चित्रण की मनोवैज्ञानिक गहराई रहती है । रंगमंच की दृष्टि से अश्क जी के एकांकी बहुत सफल हैं । वे प्रायः जीवन की अति साधारण और परिचित समस्याओं घटनाओं पर निर्मित होते हैं और बिना कल्पना का सहारा लिये ही मन में उतर जाते हैं । इनके संवाद आडम्बरहीन , चुस्त और सहज होते हैं । उनमें बोलचाल की सहजता , प्रवाह , आंचलिकता और पात्र की अनुकूलता रहती है ।

हिन्दी भाषा के सम्बन्ध में अश्क जी ने कहा था कि “ मैं 1926 से 1946 ई० तक लगभग 20 वर्ष उर्दू में लिखता रहा हूँ । जब 1933-34 ई० में मैंने उर्दू के साथ – साथ हिन्दी में भी लिखना शुरू किया तो मुझे भाषा का कोई ज्ञान नहीं था । 1947 ई० तक तो मैं अपनी रचनाओं के पहले मसौदे उर्दू ही में तैयार करता रहा – विशेषकर कहानियों और एकांकियों में ।

निष्कर्ष

एक हिंदी नाटककार, लेखक, कवि और एकांकीकार के रूप में उपेन्द्रनाथ अश्क जी को उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए सदैव याद किया जाएगा। उनकी कला मानवीय भावनाओं के प्राकृतिक चित्रण के लिए जानी जाती है। उन्हें हिंदी साहित्य की सफलता में उनके योगदान के लिए पहचाना जाएगा।

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