सेठ गोविन्द दास पर निबंध | seth govind das per nibandh

seth govind das per nibandh

भूमिका

सेठ गोविंददास एक गांधीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे। आपका व्यक्तित्व आपके विचारों की शुद्धता, आपके कार्यों की सादगी और आपके अस्तित्व की सादगी से परिभाषित होता है। एक प्रसिद्ध रंगमंच के लेखक और राष्ट्रीय चेतना के एकल कलाकार के रूप में आपकी स्थिति महत्वपूर्ण है।

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जीवन परिचय

सेठ गोविन्ददास का जन्म सन् 1896 ई ० में मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर शहर में हुआ था । इन्होंने घर पर रहकर ही हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया था । इनके घर का वातावरण आध्यात्मिकता की भावना से परिपूर्ण था । बाल्यावस्था से ही आप अपने परिवार के बीच रहते हुए वल्लभ सम्प्रदाय के धार्मिक उत्सवों , रास लीलाओं और नाटकों का आनन्द लेते रहे । नाटक लिखने की प्रेरणा भी इन्हें यहीं से प्राप्त हुई ।

साहित्य में रुचि होने के साथ ही इन्होंने देश के स्वाधीनता – आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया और अनेक बार जेल गये । अनेक रचनाएँ इन्होंने जेल में ही लिखीं । सन् 1947 ई ० में देश के स्वतन्त्र होने पर संसद सदस्य हुए और जीवनपर्यन्त इस पद पर बने रहे । हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने के आप पक्षधर रहे । हिन्दी के प्रति आपका लगाव इसलिए था , क्योंकि यह भारत के विस्तृत भू-भाग में बोली जानेवाली ही भाषा नहीं थी , अपितु स्वाधीनता – आन्दोलन की भाषा भी थी । सन् 1974 ई ० में आपका निधन हो गया ।

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प्रमुख कृतियाँ

सेठ जी ने अधिकांशतः नाटक एवं एकांकियाँ ही लिखी हैं । ‘ विश्व – प्रेम ‘ आपके द्वारा लिखा गया सर्वप्रथम नाटक है , जिसे अपने परिवार द्वारा स्थापित श्री शारदा भवन पुस्तकालय के वार्षिकोत्सव के लिए लिखा था । पाश्चात्य नाटककार बर्नार्ड शॉ , इब्सन व ओनील की नाट्य – शैलियों का आपके नाटकों पर विशेष प्रभाव परिलक्षित होता है , फिर भी आपके नाटकों की मुख्य धारा भारतीयता पर ही आधारित है । आपके नाटकों के विषय पौराणिक , ऐतिहासिक , सामाजिक , राष्ट्रीय और राजनीतिक धरातल तक फैले हुए हैं । कुछ एकांकी एकपात्रीय हैं । भाषा पात्रानुकूल , सरल एवं सहज है । आप गाँधीवाद से भी प्रभावित रहे हैं । आपकी प्रमुख एकांकियाँ हैं — ‘ सप्त रश्मि ‘ , ‘ एकादशी ‘ , ‘ पंचभूत ‘ , ‘ चतुष्पथ ‘ और ‘ आप बीती जग बीती ‘ आदि ।

साहित्यिक अवदान

सेठ जी ने लेखन के अतिरिक्त सांसद के रूप में भी आजीवन हिन्दी की उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया । आपके एकांकी विचारों को जन्म देनेवाले हैं । काल – संकलन के प्रति आप अधिक सजग दिखायी देते हैं । अधिकांश एकांकी अनेक दृश्योंवाले हैं , जिनमें से कुछ में उपसंहार और उपक्रम की व्यवस्था है । आपके कुछ एकांकी व्यंग्य – विनोद – प्रधान , तो कुछ पात्रों की अन्तर्वृत्तियों का विश्लेषण करते दिखायी पड़ते हैं । आपके एकांकियों के कथानक जीवन्त एवं प्रभावपूर्ण हैं ।

भाषा-शैली

सेठ गोविंददास एक नाटककार के रूप में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। इनकी भाषा पूरी तरह से साहित्यिक खड़ी बोली है। इनकी रचनाओं में तत्सम ,तद्भव देशज और उर्दू जैसे शब्दों का अद्भुत समावेश है। इनकी भाषा अपनी चित्रात्मकता, जीवंतता और प्रवाह के लिए उल्लेखनीय है। सेठ गोविंददासजी की शैली में भावनाओं पर जोर दिया गया है। उन्होंने अपने काम में मुख्य रूप से नाट्य शैली को नियोजित किया है। इनके नाटकों में चरित्र चित्रण और बातचीत की जीवंतता को आसानी से देखा जा सकता हैं।

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