उदय शंकर भट्ट पर निबंध | uday shankar bhatt per nibandh

uday shankar bhatt per nibandh

भूमिका

उदय शंकर भट्ट हिंदी साहित्य में एक श्रेष्ठ एकांकीकार एवं नाटककार के रूप में विख्यात है । वे रंगमंच और रेडियो प्रसारण की दुनिया से जुड़े रहे । उन्होंने नृत्य कला की एक नई शैली बनाकर पूरे विश्व में अपना लोहा मनवाया।

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जीवन परिचय

सुविख्यात साहित्यकार उदयशंकर भट्ट का जन्म 3 अगस्त , सन् 1898 ई० को उत्तर प्रदेश के इटावा नगर स्थित उनके ननिहाल में हुआ था । आपके पूर्वज गुजरात से आकर उत्तर प्रदेश में बस गये थे । आपके नाना का परिवार शिक्षा , भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशेष रुचि प्रदर्शित करता था । नाना के यहाँ बचपन में ही भट्ट जी को संस्कृत भाषा का ज्ञान करा दिया गया था तथा बाद में संस्कृत , हिन्दी और अंग्रेजी की शिक्षा आपने अर्जित की । चौदह वर्ष की अवस्था में ही माता – पिता का साया भट्ट जी के सिर से उठ गया । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त आपने पंजाब से ‘ शास्त्री ‘ और कलकत्ता ( कोलकाता ) से ‘ काव्यतीर्थ ‘ की उपाधि भी प्राप्त की ।

सन् 1923 ई ० में जीविका की खोज में आप लाहौर चले गये और वहाँ एक विद्यालय में हिन्दी और संस्कृत का अध्यापन – कार्य करते रहे । आपने भारतीय स्वाधीनता – आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और सन् 1947 ई ० में देश – विभाजन के उपरान्त लाहौर छोड़कर दिल्ली चले आये । यहाँ आप आकाशवाणी में परामर्शदाता एवं निदेशक के रूप में दीर्घकाल तक सेवाएँ अर्पित की । नागपुर और जयपुर आकाशवाणी में प्रोड्यूसर के पद पर भी कार्य किया । सेवा – निवृत्त होने के बाद आप स्वतन्त्र रूप से कहानी , उपन्यास , आलोचना और नाटक आदि विधाओं पर लेखनी चलाते रहे । 22 फरवरी , सन् 1966 ई० को यह महान साहित्यकार गोलोकवासी हो गया ।

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प्रमुख कृतियाँ

भट्ट जी के प्रमुख एकांकी हैं :— समस्या का अन्त , धूमशिखा , वापसी , परदे के पीछे , अभिनव एकांकी , आज का आदमी , आदिम युग , स्त्री का हृदय , अन्त्योदय तथा चार एकांकी । भट्ट जी के प्रथम ऐतिहासिक नाटक ‘ विक्रमादित्य ‘ में पश्चिमी शैली तथा दूसरी रचना ‘ दाहर ‘ अथवा ‘ सिंह पल ‘ में दुःखान्त पद्धति है । ‘ मुक्तिबोध ‘ और ‘ शंका विजय ‘ ऐतिहासिक नाटक , ‘ अम्बा ‘ और ‘ सागर विजय ‘ पौराणिक नाटक , ‘ कमला ‘ और ‘ अन्तहीन अन्त ‘ सामाजिक नाटक हैं तथा ‘ नया समाज ‘ आधुनिक वर्ग का चित्र प्रस्तुत करनेवाला नाटक है । इसके अतिरिक्त भट्ट जी ने कविता , उपन्यास आदि विधाओं पर भी लिखा है ।

साहित्यिक सेवाएँ

बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न भट्ट जी का साहित्यिक जीवन काव्य – रचना से आरम्भ हुआ । सन् 1922 ई० से आपने नाटकों की रचना प्रारम्भ की और आजीवन नाट्य – सृजन में लगे रहे । आपने एकांकी विधा को नयी दिशा प्रदान की । रंगमंच एवं रेडियो – प्रसारण दोनों ही क्षेत्रों में आपके एकांकी सफल सिद्ध हुए हैं । किसी भी समस्या को जीवन्त रूप में प्रस्तुत कर देना भट्ट जी के एकांकियों की सर्वप्रमुख विशेषता है । आपकी नाट्य – कला देश की साहित्यिक प्रगति के साथ – साथ नया मोड़ लेती रही । भट्ट जी के एकांकी पौराणिक , हास्यप्रधान , समस्याप्रधान और सामाजिक विषयों पर आधारित हैं ।

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