नेल्सन मंडेला पर निबंध | Hindi Biography of Nelson Mandela

nelson mandela par nibandh

भूमिका

नेलसन रोलीह्लला मंडेला पहले अश्वेत राष्ट्रपति हैं जिन्हें राष्ट्र ने यह सम्मान उनकी बहुत कठिन परीक्षा लेकर प्रदान किया । वे राष्ट्रपति बनने से पूर्व दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके सशस्त्र गुट उमखेतों वे सिजवे के अध्यक्ष रहे । रंगभेद विरोधी संघर्ष में भाग लेने व इसका नेतृत्व करने के दंड स्वरूप उन्हें सत्ताईस वर्ष का कारागार भुगतना पड़ा । वे रोबेन द्वीप के कारागार में कोयला खनिक के रूप में बिताए ।

सन् 1990 में गोरी ( श्वेत ) सरकार से हुए एक समझौते के अन्तर्गत वे जेल से मुक्त हुए और दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया । इसके साथ ही सम्पूर्ण विश्व में खासकर दक्षिणी अफ्रीका में उन्हें रंग भेद का विरोध करने वाले प्रथम पुरुष के रूप में प्रतिष्ठा मिली । संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्मदिन को नेल्सनमंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की ।

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जीवन परिचय

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई , 1918 को दक्षिण अफ्रीका संघ के म्वेजो , ईस्टर्न केप में हुआ था । इनके पिता का नाम गेडला हेनरी म्फाकेनिस्वा और माता का नाम नेक्यूफी नोसकेनी था । नक्यूफी नोसकेनी उनके पिता की तीसरी पत्नी थी । वह अपनी माता का ज्येष्ठ पुत्र और अपने पिता का तीसरा पुत्र था। वैसे वे कुल 13 भाई थे। उनके पिता हेनरी मुएजो, शहर के जनजाति प्रमुख थे। सरदार के बच्चे को स्थानीय बोली में मंडेला के नाम से जाना जाता था, और परिणामस्वरूप, उनके नाम के अंत में मंडेला शब्द दिखाई देने लगा। इनके पिता इनका नामकरण ‘ रोलीह्लला ‘ किये थे जिसका खोजा में अर्थ उपद्रवी होता है ।

इनकी शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में हुई थी । उसके आगे की शिक्षा इन्होंने मेथाडिस्ट मिशनरी स्कूल से प्राप्त की । जब वे 12 वर्ष के हुए तभी उनके पिता का निधन हो गया । यह समय उनके लिए बहुत कठिनाई का था । मंडेला ने तीन शादियाँ की थीं । पहली पत्नी इल्विनमेस थीं । इल्विनमेस उनके मित्र व सहयोगी वाल्टर सिसुलू की बहन थी । दूसरी पत्नी का नाम नोनजामो विनी मेडीकिजाला था । उनकी तीसरी पत्नी श्रीमती ग्रेस मेकल थीं , जिनसे उन्होंने अस्सी वर्ष के उम्र में विवाह किया ।

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राजनीतिक सफर

सन् 1941 में मंडेला जोहान्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वाल्टर सिसुलू और वाल्टर एल्बरटाइन से हुई । उन दोनों ने मंडेला को राजनीति में भाग लेने के लिए उकसाया । उन्हें सबसे पहले रोजी – रोटी की व्यवस्था की चिन्ता थी इसलिए उन्होंने सर्वप्रथम एक कानूनी फर्म में क्लर्क का काम करने लगे । इसके बाद उनकी रुचि धीरे – धीरे राजनीति में बढ़ती गयी । रंगभेद के भाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में सक्रिय भाग लेना शुरू कर दिया । सन् 1944 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया और उसका सदस्य बन गये । इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों की सहायता से अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की । सन् 47 में लीग के सचिव चुने गये ।

सन् 1961 में उनके और उनके सहयोगियों के विरुद्ध देश – द्रोह का मुकद्दमा चला । उसमें वे निर्दोष सिद्ध हुए । इसके बाद उन्हें सन् 1962 में मजदूरों को हड़ताल करने के लिए उकसाने के लिए पुनः गिरफ्तार कर लिया गया । उनपर मुकद्दमा चला और सन् 64 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी । किन्तु इससे वे हतोत्साहित नहीं हुए । 27 वर्षों के जेल जीवन बिताने के बाद सन् 1990 में उन्हें कारागार से मुक्त किया गया । रिहाई के बाद उन्होंने शान्ति की नीति का अनुसरण करते हुए एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी ।

पहले अश्वेत राष्ट्रपति

सन् 1994 में चुनाव हुए । देश में 62 प्रतिशत वोट के साथ, अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस ने बहुमत के साथ सरकार बनाई। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। मई 1996 में संसद द्वारा दक्षिण अफ्रीका के नए संविधान की पुष्टि की गई। 1997 में, उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया, और दो साल बाद, 1999 में, उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

नेलसन मंडेला महात्मा गाँधी के विचारों से प्रभावित थे और उन्हीं के सिद्धान्तों के समर्थक थे । वे गाँधी के अहिंसा के सिद्धान्तों के समर्थक थे । इन्हें दक्षिण अफ्रीका के लोग राष्ट्रपिता मानते हैं । उन्हें ‘ लोकतन्त्र का प्रथम संस्थापक ‘ , ‘ राष्ट्रीय मुक्तिदाता , ‘ उद्धारकर्ता ‘ के सम्मान से देखा जाता है । दक्षिण अफ्रीका के ‘ मदीबा ‘ के नाम से विख्यात हैं ।

पुरस्कार

नेलसन मंडेला को विश्व के लगभग ढाई सौ सम्मान प्राप्त हैं । इन्हें सन् 1993 में अफ्रीकी के पूर्व राष्ट्रपति के एफ० डब्ल्यू० डी० क्लार्क के साथ नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । इन्हें ‘ प्रसीडेंट मेडल आफ फ्रीडम ‘ , ‘ आर्डर आफ लेनिन ‘ , ‘ भारत रत्न ‘ , ‘ निशान – ए – पाकिस्तान ‘ , और ‘ गाँधी शान्ति पुरस्कार ‘ से सम्मानित किया गया । सन् 2004 में जोहांसबर्ग स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम नेलसन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया । रंगभेद विरोधी आंदोलन में नेल्सन मंडेला के योगदान को मान्यता देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2009 में 18 जुलाई को मंडेला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

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निधन

5 दिसम्बर , सन् 2013 को नेलसन मंडेला की 95 वर्ष की आयु में उनके फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण होंटन , जोहांसबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी । मृत्यु के समय उनके परिवार के सभी सदस्य उनके साथ थे । उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने की । इनकी मृत्यु की सूचना प्रसारित होते ही सारा संसार शोकग्रस्त हो गया । पूरे विश्व से एक दूसरे गाँधी की मृत्यु हो गयी जो अहिंसा , सत्य और समानता के सच्चे समर्थक थे ।

उपसंहार

नेलसन मंडेला सच्चे अर्थों में स्वतंत्रता प्रेमी और एक देशभक्त इंसान थे । उन्हें श्वेतों के रंगभेद से बहुत चिढ़ थी और इसके लिए उन्होंने अनेक प्रकार के कष्ट सहते हुए भी अपना संघर्ष जारी रखा और अश्वेतों को सम्मान दिलाने के लिए अपना जीवन होम कर दिया । 27 वर्षों तक जेल का कष्टमय जीवन व्यतीत करने के बाद अंत में उन्हें अपने लक्ष्य में सफलता मिली और दक्षिण अफ्रीका विरासत में अपना नाम दर्ज कर दिया ।

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