Sonia Gandhi par nibandh
जीवन परिचय
भारत की सबसे सशक्त महिला श्रीमती सोनिया गाँधी भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व० राजीव गाँधी की धर्म पत्नी और श्रीमती इन्दिरा गांधी की पुत्र वधू हैं । सोनिया गाँधी का जन्म इटली में तूरीन के निकट बार्सोनो में स्टीफानों पाब्लो मेनो , एक रोमन कैथोलिक परिवार में 9 दिसम्बर , 1946 में हुआ । जब वे कैम्ब्रिज स्कूल ऑफ लैंग्वेज में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं , वहीं उनकी मुलाकात राजीव गाँधी से हुई । वहीं दोनों की आपस में मुलाकातें बढ़ीं और दोनों आपस में प्रेमसूत्र में बंध गये ।
25 फरवरी , सन् 1968 में सोनिया गाँधी राजीव गाँधी से परिणय – सूत्र में बंध गयीं और शुरू हुआ उनका दाम्पत्य जीवन । जिस समय उनकी मुलाकात राजीव गाँधी से हुई , उस समय वे 18 वर्ष की थीं । राजीव गाँधी से सोनिया की मुलाकात उनके एक जर्मन मित्र ने कराई थी । सन् 1970 और 1972 में राहुल और प्रियंका का जन्म हुआ ।
राजनीतिक जीवन
श्रीमती सोनिया गाँधी राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद सन् 1997 में कांग्रेस की सदस्य चुनी गयीं और सन् 1998 में वे कांग्रेस अध्यक्ष बन गईं । फिर सन् 1999 में अमेठी लोकसभा क्षेत्र से तथा 2004 में रायबरेली से सांसद बनीं । सोनिया गाँधी की वर्तमान राजनीतिक उन्नति को देखकर यह सहज ही विश्वास नहीं होता कि महज सात – आठ वर्षों में उन्होंने यह सफलता अर्जित की । उन्होंने कई परिस्थितियों में अपनी सूझ – बूझ का कुछ ऐसा कारनामा दिखाया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मात खा गये । इसके उदाहरण के रूप में सन् 1998 के कांग्रेस विभाजन को रोकना तथा कांग्रेस की दुर्दशा को 2004 तक ऐसी स्थिति तक सुधारना जिससे कि कांग्रेस फिर से सत्ता में लौट सकी ।
सोनिया गाँधी 2006 में उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से फिर से चुनी गईं। 2009 के लोकसभा चुनाव में, उन्हें रायबरेली सीट से तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में चौथी बार रायबरेली लोकसभा सीट जीती थी।
कांग्रेस की छवि भारतीय राजनीति में काफी धूमिल पड़ती जा रही थी । लगभग पूरे भारत से काँग्रेस का सफाया हो गया था । सोनिया गाँधी ने कई अर्थों में कुछ ऐसी मिसालें कायम कीं जो निःसन्देह सराहनीय हैं । राजीव गाँधी की मृत्यु के पश्चात उन्होंने अपने को राजनीति से बिल्कुल अलग कर लिया था । उन्होंने अपना सारा ध्यान अपने परिवार की ओर दिया । जब उनके बेटे राहुल और बेटी प्रियंका ने अपनी जिम्मेदारियाँ खुद सँभाल लीं तो सोनिया गाँधी ने राजनीति की कमान थामी ।
Sonia Gandhi par nibandh
त्याग की मूर्ति
जिस सोनिया को सही ढंग से हिन्दी शब्दों का उच्चारण ठीक से नहीं आता , उसने भारत की जनता पर अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि सन् 2004 के लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस देश में सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में उभर कर सामने आयी और कुछ सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में हो गई । सोनिया गाँधी को इस गठबन्धन का नेता चुना गया । परन्तु अचानक उन्होंने प्रधानमंत्री का पद अस्वीकार कर दिया । अपने इस त्याग से सोनिया गाँधी भारतीय मानसिकता पर राज करने लगीं । लोग उनके इस त्याग को महानतम कहने लगे । उनका इस पद से अस्वीकार करना एक ऐसा धमाकेदार कदम था कि जहाँ एक और अपने समर्थकों के बीच उन्होंने अपनी गहरी पैठ बनाई , वहीं दूसरी ओर विपक्ष के सारे मुद्दों को एक झटके में मटियामेट कर दिया ।
व्यक्तिगत विशेषता
सोनिया गाँधी में अपूर्व साहस है , विवेक है और एक कुशल शासन करने का गुण है । ये अपने सामने वाले को प्रभावित करने का सशक्त गुण रखती हैं । इनमें विनम्रता है , शालीनता है और दुख – दर्द समझने का जज्बा है । यही गुण उन्हें देश के शीर्ष पर पहुँचने में सहायक हुआ है । सोनिया गाँधी का सबसे बड़ा गुण यह है कि वे किसी के दबाव पर काम नहीं करतीं । वह स्वविवेक से निर्णय लेती हैं । उनका अपने परिवार के प्रति लगाव , संयम , निष्ठा , धैर्य एवं उत्तरदायित्वों का सहज निर्वाहन उन्हें कई अर्थों में एक अलग पहचान देता है ।
निष्कर्ष
सोनिया गाँधी एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता हैं, जो अपने विदेशी मूल के बावजूद, भारत की प्रगति में लगातार सबसे आगे हैं। भारतीय राजनीति में, उन्हें त्याग की देवी के रूप में भी जाना जाता है।