रामनरेश त्रिपाठी पर निबंध | ram naresh tripathi par nibandh

ram naresh tripathi par nibandh

जीवन परिचय

रामनरेश त्रिपाठी का जन्म 4 मार्च, 1889 ई० को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के कोइरीपुर गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। शुरू से ही परिवार के धार्मिक माहौल और पिता के भगवान के प्रति समर्पण का बालक रामनरेश पर गहरा प्रभाव पड़ा। मुश्किल से नौवीं कक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। बाद में उन्होंने स्व-अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया और हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, संस्कृत और गुजराती का अध्ययन करते हुए साहित्यिक अभ्यास को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। 16 जनवरी 1962 ई० को उनका निधन हो गया।

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त्रिपाठी जी एक विचारशील, सुशिक्षित और मेहनती व्यक्ति थे। वे द्विवेदी युग के लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने द्विवेदी मंडल के प्रभाव के बावजूद अपने अद्वितीय कौशल से साहित्य के क्षेत्र में कई रचनाएँ कीं। त्रिपाठी जी एक रोमांटिक कवि और पहले लोकगीत संकलनकर्ता थे। कविता, कहानी, रंगमंच, निबंध, समालोचना और लोक-साहित्य जैसे विषयों पर उनका पूर्ण अधिकार था।

साहित्यिक परिचय

त्रिपाठी आदर्शों में विश्वास करने वाले थे। उनके रचनाओं में नए विचारों और नए युग की छाप है। उन्होंने खंडकाव्य ‘पथिक’ और ‘मिलन’ की रचना की, जो अत्यधिक लोकप्रिय थे। उनकी रचनाएँ देशभक्ति और मानव सेवा की अच्छी भावनाओं को बहुत ही आकर्षक तरीके से चित्रित करने के लिए उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा उन्होंने अपनी कविता में भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य और पवित्र प्रेम का अद्भुत चित्रण किया है। त्रिपाठी ने प्रकृति वर्णन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आलम्बन और उद्दीपन की आड़ में उन्होंने प्रकृति को अपना लिया है। उनका स्वभाव-चित्रण इस मायने में अद्वितीय है कि वे जिन दृश्यों का वर्णन करते हैं वे उनके अपने व्यक्तिगत अनुभव हैं। भारत सरकार ने उन्हें हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया।

प्रमुख रचनाएँ

मिलन , पथिक , स्वप्न , मानसी , हे प्रभो आनन्ददाता , कविता कौमुदी , ग्राम्यगीत (संपादित) , गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता , (आलोचना) , वीरांगना , प्रेमलोक (नाटक) महात्मा बुद्ध तथा अशोक , (जीवन चरित) , फूलरानी , आकाश की बातें , बुद्धि विनोद (बाल साहित्य) , सुभद्रा , स्वजनों के चित्र (कहानी संग्रह)। ram naresh tripathi par nibandh

भाषा शैली

खड़ीबोली त्रिपाठी जी की साहित्य की भाषा है। यह माधुर्य और प्रतिभा से भरा है। कहीं न कहीं लोकप्रिय उर्दू शब्दों का प्रयोग उन्होंने अपनी रचनाओं में किया है। सरल, स्वाभाविक और प्रवाहमयी इनकी शैली की विशेषता रही है। उनकी लेखन शैली को वर्णनात्मक और उपदेशात्मक दो श्रेणियों में बांटा गया है।

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निष्कर्ष

रामनरेश त्रिपाठी को व्यापक रूप से एक रोमांटिक कवि के रूप में माना जाता है। श्रीधर पाठक ने इससे पहले हिंदी कविता में रूमानियत का बीड़ा उठाया था। रामनरेश त्रिपाठी की रचनाओं ने उक्त विरासत को और भी आगे बढ़ाया। उनके लेखन में देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावनाओं का बोलबाला रहा है। हिन्दी कविता के मंच पर वे राष्ट्रीय भावनाओं के गायक के रूप में प्रसिद्ध हुए। जब प्रकृति का चित्रण करने की बात आती है तो उन्होंने इसमें खूब सफलता हासिल की हैं।

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