समाचार पत्र पर निबंध :- essay on newspaper

समाचार पत्र पर निबंध :- essay on newspaper

भूमिका

आज का युग वैज्ञानिक और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों वाला युग है। वैज्ञानिक युग के अन्य अनेक उपकरणों की तरह समाचार पत्र भी आधुनिक दैनिक जीवन का आवश्यक अंग है। प्रातः आँख खुलते ही सबसे पहले हम जानना चाहते हैं कि हमारे नगर, प्रांत, देश और विदेश में या जीवन के किसी भी क्षेत्र में क्या घटना घटी और उसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। लेकिन ऐसे भी व्यक्ति हैं जो सुबह उठकर जब तक समाचार पत्र न पढ़ ले, उन्हें चैन नहीं पड़ता। यह हर प्रकार से जागरूकता का प्रतीक और सूचक है।

समाचार पत्र पर निबंध :- essay on newspaper

इतिहास

समाचार पत्र का इतिहास देखने पर पता चलता है कि भारत में सन् 1834 ईस्वी में ‘इंडिया गजट’ के नाम से एक समाचार पत्र प्रकाशित हुआ। इसके बाद हिंदी का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र ‘उदंत मार्तंड’ 30 मई सन् 1826 को प्रकाशित हुआ। इसके बाद राजा राममोहन राय ने ‘कौमुदी’ और ईश्वरचंद ने ‘प्रभाकर’ नामक पत्र निकाले। इनके बाद तो एक-एक कर कई समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हो गया। इस समय भारत में करीब 50 हजार दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों का प्रकाशन हो रहा है।

प्राचीन काल में न छापेखाने और न ही समाचार पत्र थे। तब गाँव- मोहल्ले का समाचार तो संभवत: कानों- कान स्थानीय लोगों तक उसी दिन पहुँच जाता होगा, किंतु नगर, प्रांत,देश, विदेश के समाचार या तो कभी भी नहीं पहुँच पाते होंगे ,यदि पहुँचते भी होंगे तो तब, जब उनका महत्व ही शेष न रह जाता होगा। वे भी वास्तविक रूप में कहाँ पहुंचते होंगे! कुछ घटकर, कुछ बढ़कर ! जितने मुँह उतनी बातों के रूप में जब श्रोताओं के पास पहुँचते होंगे, तो समाचार से अधिक अफवाह और अफवाह से अधिक कहानी या किवंदंती बनकर,जिसका व्यवहारिक महत्व ही तब तक समाप्त हो चुका होता है।

मुद्रण कला का विकास

आज जो घटना संसार के किसी भी कोने में घटती है। सूर्योदय से पूर्व ही व प्रामाणिक रूप में हमारी मेज पर पहुँच जाती है। देश-विदेश में समाचार- एजेंसियों का जाल बिछा हुआ है। यूरोप की ‘राइटर’ रूस की ‘तास’ भारत की ‘समाचार भारती’ इंगलैंड की बी०बी०सी आदि बहुत प्रमाणिक एजेंशियाँ मानी जाती हैं। इनके संवाददाता संसार के कोने – कोने में फैले हुए हैं। ये स्थानीय समाचारों का संग्रह कर के तार, बेतार, टेलीफोन या डाक द्वारा अपने कार्यालय में भेज देते हैं,जहाँ से वे टेलीप्रिंटर द्वारा समाचार- पत्रों में स्वयं ही टाइप होते रहते हैं।

संपादक – मंडल उन्हें पढ़कर काटता- छाँटता है। उचित-अनुचित की अपनी नीति और आवश्यकता का पूरा ध्यान रखकर वह समाचारों को चुनकर उनका संशोधन करता है। फिर वे समाचार और विचार रातों-रात छपकर अगली सुबह समाचार- पत्र के रूप में हमारे पास पहुँच जाते हैं। इस प्रकार घर बैठे- बैठे कुछ ही देर में हम सारे संसार की सभी प्रकार की जानकारियाँ पा लेते हैं।

समाचार पत्र के प्रकार

समाचार- पत्र आज के जनजीवन की डायरी है। उनमें प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक रुचि के लोगों को अपने मतलब की बात मिल जाती है। हम लोग केवल ताजा खबरों के लिए अखबार पढ़ते हैं– कुछ देश की, कुछ विदेश की,कुछ चटपटी, कुछ सनसनी पूर्ण ,कुछ व्यक्तिगत, कुछ सामाजिक आदि। राजनीतिज्ञों को उनमें संपादकीय और आलोचनात्मक लेख मिल जाते हैं।

शिक्षित लोगों को सरकार की नीतियों और घोषणाओं का विवरण मिलता है। व्यापारियों को बाजार भाव के उतार-चढ़ाव, खेल प्रेमियों को खेलों में हार – जीत के परिणाम ,सिनेमा के दर्शकों को चलचित्रों के कार्यक्रम’ धार्मिकों को सत्संगों के समय, कलाकारों को गोष्ठियों और सम्मेलनों की सूचनाएँ, बेरोजगारों को रिक्त स्थानों के विज्ञापन, क्रेता और विक्रेताओं को सौदे की वस्तुएँ समाचार- पत्रों में मिलते हैं।

समाचार-पत्र का वर्गीकरण

समाचार- पत्रों के कई वर्ग हैं। जैसे— दैनिक , सायंकालीन ,साप्ताहिक, पाक्षिक ,मासिक, त्रैमासिक ,अर्धवार्षिक और वार्षिक आदि। इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय दैनिक पत्र हैं जिनमें दिन- प्रतिदिन के समाचार, सूचनाएँ, विज्ञापन तथा सामाजिक घटनाओं पर समीक्षाएं छपती है। साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक ,और त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक पत्रों के लिए पत्रिका का नाम अधिक उपयुक्त है। वे समाचार -प्रधान न होकर लेख प्रधान होते हैं, जिनमें समाचारों का उल्लेख होता तो है किंतु समीक्षा रूप में। इसमें राजनीतिक, सामाजिक ,साहित्यिक आदि विषयों पर लेख कहानियाँ और कविताएँ मुख्य होती है।

(समाचार पत्र पर निबंध :- essay on newspaper)

हिंदी में हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स आदि प्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र हैं। धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान व दिनमान साप्ताहिक पत्र हैं। कुछ पत्र हिंदी धार्मिक संस्थाओं अथवा राजनीतिक दलों की ओर से भी निकाले जाते हैं। सभी का अपना- अपना मान,मुल्य और महत्व है। अब संध्याकालीन समाचार -पत्रों का महत्व और माँग भी निरंतर बढ़ती जा रही है।

समाचार-पत्रों से लाभ

समाचार पत्र पढ़ने के अनेक लाभ हैं। वे जनता का सामान्य ज्ञान बढ़ाते हैं। वे लोगों को जीवन की आवश्यकताओं से परिचित कराते हैं। दैनिक घटनाओं के रूप में बौद्धिक सामग्री देकर व पाठकों के विचारों के लिए खुला क्षेत्र प्रस्तुत कर देते हैं, ताकि वे स्वयं निष्कर्ष निकाल सके कि जीवन में क्या श्रेय है और क्या हेय है। समाचार पत्रों ने पिछड़ी जातियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समाचार पत्रों से जन चेतना को स्फूर्ति मिलती है और लोगों को मौलिक तथा स्वतंत्र चिंतन की आदत पड़ती है।

चित्रों,व्यंगचित्रों व हास्य- कविताओं और कविता -कहानियों द्वारा वे पाठकों का मनोरंजन भी करते हैं। समाचार पत्रों से पाठक का दृष्टिकोण व्यापक बनता है और उसमें अंतरराष्ट्रीय चेतना का विकास होता है। वे शिक्षा का प्रसार करते है। संबंध विभागों तक हमारी शिकायतें पहुँचाकर जनहित के कार्य करवाते हैं। इन प्रकार समाचार -पत्र आज के जीवन में रक्त- प्रवाह करने वाली धमनी के समान आवश्यक बनकर कार्य कर रहे हैं।

समाचार-पत्रों से हानि

समाचार पत्र जहाँ हमारी सर्वांगीण सहायता करते हैं वहाँ अनेक बार उनसे जनहित और राष्ट्रहित दोनों को बड़े घातक परिणाम भी भोगने पड़ जाते हैं। कभी-कभी स्वार्थी प्रकृति के प्राणी अपनी दूषित और विषैली विचारधाराओं को समाचार पत्रों में प्रकाशित करके दूसरी जाति या देश के साथ घृणा की भावना उत्पन्न कर देते हैं। इससे राष्ट्र में अराजकता फैल जाती है, सांप्रदायिक उपद्रव होने लगते हैं और एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को शत्रु की दृष्टि से देखने लगता है। शारीरिक दृष्टि से समाचार पत्र कभी-कभी देश को पतन के गर्त में धकेल देते हैं। अश्लील विज्ञापनों तथा नग्न चित्रों द्वारा लोगों के विचार ही दूषित नहीं होते अपितु उनका आत्मिक और मानसिक पतन भी होता है।

उपसंहार

आज समाचार- पत्र युग की एक महान शक्ति है। वे किसी बातों को जिस रंग में रँगकर प्रस्तुत करते हैं, पाठकों पर वही रंग चढ जाता है। अतः समाचार-पत्रों का मुख्य आधार निष्पक्षता ही है।संपादकों में इतना मनोबल होना चाहिए कि वह भयंकर दबाव के बावजूद सच्ची बात को कह सकें। अफवाहों से बचाव भी जरूरी है। समाचार- पत्रों के पाठकों में भी इतना विवेक होना चाहिए कि वे सत्य और असत्य में अंतर जान सकें। इस प्रकार समाचार- पत्र और जागरूक पाठक मिलकर समूची मानवता का कल्याण कर सकते हैं। कल्याणकारी विश्व निर्माण में सहायक हो सकते हैं। यही उनकी वास्तविक उपयोगिता एवं सार्थकता भी है।

(समाचार पत्र पर निबंध :- essay on newspaper)

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