दीपावली पर निबंध :- hindi essay on deepawali

दीपावली पर निबंध :- hindi essay on deepawali

भूमिका
भारत एक धर्म प्रधान देश है। इस देश में विभिन्न धर्म समुदाय के लोग बसते हैं और अपने धर्म के अनुसार पूजा आराधना करते और पर्व त्यौहार मनाते हैं। यहाँ के प्रत्येक त्यौहार समाज के लिए कोई न कोई संदेश लेकर आते हैं। जहाँ तक हिंदू पर्व-त्यौहारों की बात है। यह कहना गलत नहीं है कि हिंदुओं के पर्व-त्यौहार अन्य सभी जातियों- संप्रदायों और संस्कृतियों से न केवल अधिक हैं, अपितु वे विविध रूपों में है। हिंदुओं के कुछ पर्व- त्यौहार बहुत ही विशिष्ट और महत्वपूर्ण है। उनमें से एक दीपावली का त्यौहार भी है। (Hindi essay on deepawali)

दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के त्यौहार की यह विशेषता है कि इसके साथ चार त्यौहार और मनाए जाते हैं। दीपावली का उत्सव एक दिन नहीं अपितु पूरे सप्ताह भर रहता है। दीपावली से पहले धनतेरस का त्यौहार आता है। सभी हिंदू इस दिन कोई न कोई नया बर्तन अवश्य खरीदते हैं। धनतेरस के दूसरे दिन छोटी दीपावली होती है और फिर अगले दिन बड़ी दीपावली मनाते हैं। उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा तथा इसके बाद भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है।

Hindi essay on deepawali
दीपावली

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
दीपावली के पर्व के साथ हमारी अनेक ऐतिहासिक तथा धार्मिक परम्पराएँ जुड़ी हुई है। रामचंद्र जी 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अत्याचारी एवं दुराचारी रावण का वध करके अयोध्या लौटे तो साकेत वासियों की प्रसन्नता की सीमा न रही। उन्होंने राम का स्वागत किया तथा उस दिन उन्होंने खूब खुशियाँ मनायीं। घर-घर में पूरी और पकवान बने। रात्रि को अयोध्या में दीपावली की गई। तभी से राम के अयोध्या लौटने एवं राम राज्य के प्रारंभ होने की एवं पाप के ऊपर पुण्य की विजय स्मृति में यह उत्सव भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा।

श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के दूसरे दिन दीपावली मनाई जाती है। नरकासुर भी एक लोक प्रपीड़क, नृशंस राक्षस था। उसके बाद से भी जनता में अपार प्रसन्नता फैली। इसी दिन श्री कृष्ण ने इंद्र के कोप से डूबते हुए ब्रजवासियों की गोवर्धन पर्वत को धारण करके रक्षा की थी। राजा बलि की दानशीलता देखकर देवलोक कम्पित हो उठा और देवताओं ने राजा बलि की परीक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। परीक्षा लेने के लिए भगवान गए और तीन पग वसुधा की याचना की और तीन पग में ही तीनो लोक नाप लिए। प्रसन्न होकर उन्होंने यह वरदान दिया कि भूलोकवासी उसकी स्मृति में दीपावली का पवित्र उत्सव मनाया करेंगे।


दीपावली के इन धार्मिक महत्व के अतिरिक्त कुछ ऐतिहासिक महापुरुषों की जन्म- मरण की तिथियाँ भी इस पर्व से संबंधित है। शंकराचार्य जी का निर्जीव शरीर जब चिता पर रख दिया गया तब सहसा उनके शरीर में इसी दिन पुनः प्राण संचार हुआ। रोती हुई आँखे फिर से हँसने लगी। घर-घर खुशियाँ मनाई जाने लगी। जैन मतावलम्बी भी दीपावली को 24वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस मानकर मनाते हैं। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद का निर्वाण भी आज के ही दिन हुआ था तथा स्वामी रामतीर्थ की जन्म एवं निधन तिथि भी दीपावली है। अतः भारतीय आज के ही दिन महापुरुषों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। (Hindi essay on deepawali)

सामाजिक महत्व
धार्मिक तथा ऐतिहासिक कारणों के अतिरिक्त इसका एक प्रमुख सामाजिक कारण भी है। भारतवर्ष एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए होली और दीपावली जैसे बड़े त्यौहार तभी मनाए जाते थे, जबकि खेतों में फैला हुआ किसानों का धन घर आ जाता था। जब रवि की फसल तैयार हो जाती थी तब होली मनाई जाती थी और जब खरीफ की फसल तैयार हो जाती थी तब दीपावली का उत्सव मनाया जाता था। खेतों में फसल कटकर जब घर आ जाती तब किसान फुले नहीं समाते और अपने हृदय के आह्लाद को अगणित दीप जलाकर प्रकट करते हैं। सुखी रोटियों के स्थान पर उस दिन वह पूड़ी खाते हैं। अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं।(दीपावली पर निबंध :-Hindi essay on deepawali)

स्वच्छता का महत्व
दीपावली के उत्सव का दूसरा कारण हमारे स्वास्थ्य के नियमों से संबंधित है। वर्षा ऋतु में हमारे घर सील जाते हैं,चारों ओर गंदगी फैल जाती है। स्वास्थ्य के भयंकर शत्रु मक्खी और मच्छर पैदा हो जाते हैं। वर्षा की समाप्ति पर हम अपने घरों को साफ करते हैं। पुताई करवाते हैं और तरह-तरह से सजाते हैं। रात्रि को इतनी अधिक संख्या में दीपक जलाने का मुख्य कारण यह भी है कि छोटे-छोटे उड़ने वाले कीटाणु भी शिखा पर आकर्षित होकर अपने प्राणों को दे दें, जिससे उनके द्वारा होने वाले रोग कुछ समय के लिए टल जाए।(दीपावली पर निबंध :-Hindi essay on deepawali)

लक्ष्मी पुजा का विधान
दीपावली के दिन व्यापारी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। उनका विश्वास है कि आज हमारे यहाँ लक्ष्मी जी आएंगी। पुराने बही-खाते बदल दिए जाते हैं और नए प्रारंभ किए जाते हैं। दीपावली से ही व्यापारी वर्ग का नया वर्ष प्रारंभ होता है। इसका यही कारण है कि वर्षा के दिनों में व्यापारियों का व्यापार कुछ ठंडा पड़ जाता है और जैसे ही वर्षा ऋतु समाप्त होती है। व्यापार बढ़ने लगता है, तभी व्यापारी यह आशा करते हैं कि हमारे यहाँ लक्ष्मी आएगी।(दीपावली पर निबंध :-Hindi essay on deepawali)

रोशनी का महत्व
दीपावली का वास्तविक आनंद संध्या के घनीभूत अंधकार में आता है। जब चारों और अनंत दीपों से पंक्तियां अपने प्रकाश में जगमगा उठती है। आज के विज्ञान ने यद्यपि प्रकाश के अनेक अद्भुत साधन समाज को प्रदान किए हैं किंतु सरसों के तेल भरे दीपों की पंक्तिबद्ध प्रकाश में जो शांति और सौंदर्य है वह नेत्रदाही बल्बों में नहीं? अपने-अपने घरों में रोशनी करने के बाद लोग अपने-अपने बच्चों को लेकर बाजारों की रोशनी देखने जाते हैं। बाजारों में मिठाई और खिलौनों की दुकानों पर खरीदारी की भीड़ लगी रहती है। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाजार जगमगा उठता है।

पहले तो आज के दिन लोग नफीरी और नगाड़े बजाया करते थे। बड़े-बड़े धनी व्यापारी पंडितों से गोपाल सहस्र नाम का पाठ कराते थे और स्वयं भी रात्रि जागरण करते थे। परंतु आजकल इन सबका स्थान माइक, ग्रामोफोन और रेडियो ने ले लिया है। बाजारों में इतना कोलाहल होता है कि कुछ सुनाई नहीं पड़ता। मोहल्लों में, गलियों में,बच्चे आतिशबाजी छोड़ते हैं, फुलझड़ियों की चमक और पटाखों के शोर से एक अनोखा दृश्य उपस्थित हो जाता है।

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दोष
प्रत्येक वस्तु के अच्छे और बुरे दो रूप होते हैं। जहाँ दीपावली आनंद का उत्सव है, वहाँ विनाश का दिन भी है। आतिशबाजी आनंद और उल्लास में छोड़ी जाती है परंतु कभी-कभी देखा गया है कि इन छोटी फुलझड़ियों की चिंगारियाँ बड़े-बड़े भवनों को भस्मीभूत कर देती है। कितनी ही माताओं के लाल सदा के लिए सो जाते हैं। जुआ खेलने की भी बुरी लत है। दीपावली के बहाने से नगरों में महीनों तक का जुआ होता रहता है और अपने-अपने परिश्रम से कमाए हुए धन को लोग जुए में गँवाते हैं और जब यह आदत अपना विशाल रूप धारण कर लेती है तब घर का सत्यानाश हुए बिना नहीं रहता।

जब आज का सभ्य व्यक्ति दीपावली के दिन जुआ खेलना अपना धर्म समझता है तब फिर बताइए चोर पीछे कैसे रह जाएंगे? वह भी अपने भाग्य परीक्षण के लिए कार्तिक की अमावस्या की अंधकारमयी रजनी में घात लगाने निकलते हैं। उनका भी विश्वास है कि अगर आज के दिन अच्छा माल हाथ लगा तो पूरे वर्ष उन्हें सफलता मिलती रहेगी। इधर जनता का विश्वास है कि यदि आज के दिन रात भर घर के दरवाजे खुले रहे तभी लक्ष्मी आएगी और बंद कर दिए तो शायद लक्ष्मी लौट न जाए। फिर फिर क्या है चोरों को भी मौका मिल जाता है। लक्ष्मी आती तो नहीं बल्कि निकल जाती है।बस इसलिए यह आवश्यक है कि अपनी और अपने देश की समृद्धि के लिए हम पुरातन अंधविश्वासों को छोड़ दें और दीपावली के राष्ट्रीय पर्व को खुशी से मनायें।

उपसंहार
हम दीपावली के पुनीत अवसर पर अपने समस्त दूषित कार्यों का परित्याग कर दीपावली से प्रेरणा लेकर अपने शुभ कर्मों से संसार को आलोकित करें।

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