नारी शिक्षा पर निबंध :-hindi essay on female education

नारी शिक्षा पर निबंध :-hindi essay on female education

भूमिका

नारी का महत्व स्वीकार करते हुए धर्मद्रष्टा मनु ने नारी को श्रद्धामयी और पूजनीया मानते हुए अपना विचार इस प्रकार व्यक्त किया —
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता:।

नारी शिक्षा पर निबंध

अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता गण निवास करते हैं। प्राचीन काल में हमारे समाज में नारी का महत्व नर से कहीं बढ़कर था। दुर्गा, काली, सरस्वती, अहल्या, आदि पौराणिक नारियाँ हैं जिन्हें समाज में पूजनीय माना गया और उन्हें पर्याप्त सम्मान और आदर मिला। उस समय तो नारी का स्थान नर से इतना बढ़ गया था कि पिता के नाम के स्थान पर माता का ही नाम प्रधान होकर कुल परिचय का सूत्र बन गया था। इसी से प्रभावित होकर कविवर जयशंकर प्रसाद ने कहा था–
नारी! तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्व रजत नग पगतल में।
पीयूष स्रोत सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में।।

इतिहास

जब समाज में शिक्षा और नैतिकता का वर्चस्व था, तब नारी पुरुष की सह गामिनी थी। किंतु काल में अपने देश की सभ्यता संस्कृति में विद्यार्थी सभ्यता का संक्रमण हुआ। विजातीय सभ्यता तो यहाँ से भिन्न थी ही, उसमें अत्याचार, अशिक्षा और अनैतिकता का भी मेल था। जिसके परिणामस्वरूप भारत में नारी की स्थिति भोग्या की हो गई। यद्यपि कई समाजसुधारक कवियों ने समाज को जगाने का बहुत प्रयत्न किया, किंतु सब विफल हुआ। आक्रामकों द्वारा नारी पर किया गया अत्याचार उसे पर्दे और चारदीवारी के भीतर बंद होने को विवश कर दिया।

(नारी शिक्षा पर निबंध :-hindi essay on female education)

समय परिवर्तनशील है। युग और वातावरण के अनुसार सभ्यता-संस्कृति में भी परिवर्तन होता है। उत्थान-पतन समय की रीति है। धीरे-धीरे समय के अनुसार नारी की स्थिति में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए। अब वह पुरूष के समकक्ष श्रेणी में आ गई। अपने परिवार के भरण-पोषण का उत्तरदायित्व उठाना शुरू कर दिया। इस प्रकार नर और नारी के कार्यों में काफी समानता आ गई और आपसी सामंजस्य बढ़ा।

अब स्त्री की स्थिति गाड़ी के दो पहियों के समान हो गई। एक के भी अभाव में गाड़ी नहीं चल सकती थी। दोनों में समानता थी। ऐसा होने पर भी प्राचीनकाल की नारी ने हीन भावना का परित्याग कर स्वतंत्र और आत्मविश्वास होकर अपने व्यक्तित्व का सुंदर और आकर्षक निर्माण किया। पंडित मंडन मिश्र की पत्नी द्वारा शंकराचार्य जी के परास्त होने के साथ गार्गी, मैत्रीयी, विद्योत्तमा आदि विदुषियों का नाम इसी श्रेणी में उल्लेखनीय है।

विविध मत

विजातीय सभ्यता तो भारत में आज भी बरकरार है। किंतु अत्याचार की भी एक सीमा होती है। आज नारी वह सीमा लाँघकर पुरुष से आगे होने की होड़ में कमर कसकर तैयार हो गई है। यह परिवर्तन भी पश्चात सभ्यता की देन है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के फलस्वरुप अब नारी की वह दुर्दशा नहीं है,जो कुछ अंधविश्वासों ,रूढ़िवादी विचारधाराओं या अज्ञानता के फलस्वरुप हो गई थी। नारी को नर के समानांतर लाने के लिए समाज चिंतकों ने इस दिशा में सोचना और कार्य करना आरंभ कर दिया है। राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने इस विषय में स्पष्ट ही कहा है —
एक नहीं, दो-दो मात्राएँ,नर से बढ़कर नारी।

नारी के प्रति अब श्रद्धा और विश्वास की पूरी भावना व्यक्त की जाने लगी है। आज के युग में नारी कितनी ही सुशील और शिष्ट क्यों न हो, अगर वह शिक्षित नहीं है, तो उसका व्यक्तित्व बड़ा नहीं हो सकता है। क्योंकि आज का युग प्राचीन काल को बहुत पीछे छोड़ चुका है। आज नारी पर्दा और लज्जा की दीवारों से बाहर आ चुकी है। वह पर्दा प्रथा से बहुत आगे निकल चुकी है। वह शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों के कान काटने लगी है। नारी उत्थान के विषय में सरकार भी अनेक प्रयास कर रही है। उन्हें समाज के प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है जिससे उनकी शिक्षा, रहन-सहन से लेकर राजनीति में प्रवेश करने तक कोई परेशानी ना हो।

(नारी शिक्षा पर निबंध :-hindi essay on female education)

भारत में नारी शिक्षा का महत्व

नारी-शिक्षा बहुत जरूरी है। क्योंकि नारी शिक्षा के परिणामस्वरूप वह पुरुष के समान आदर और सम्मान का पात्र समझी जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि नारी जन्मदात्री है। बच्चे को जन्म देकर एक स्वस्थ और सभ्य समाज के निर्माण की प्रेरणा यह बालक को जन्म से ही देती है। यदि वह अशिक्षित होगी तो बच्चे को क्या शिक्षा दे सकेगी।

आज का युग शिक्षा के प्रचार-प्रसार का युग है। आज अनपढ़ होना एक अपराध है। शिक्षा के माध्यम से ही नारी पुरुष के समान पढ़-लिखकर किसी भी क्षेत्र में अपनी योग्यता और प्रतिभा का परिचय दे सकती है।

वर्तमान में नारी शिक्षा

शिक्षित होने के फलस्वरूप नारी आज समाज के एक से एक ऐसे बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रही है, जो पुरुष भी नहीं कर सकता है। शिक्षित नारी में आज पुरुष की शक्ति और पुरुष का वही तेज दिखाई पड़ता है। वह एक महान नेता, मंत्री, प्रधानमंत्री,राष्टपति, वकील, समाज सेविका, निदेशक, चिकित्सक, अध्यापिका आदि महान पदों पर कुशलतापूर्वक कार्य करके अपने अद्भुत क्षमता को दिखा रही है।

शिक्षित होने के कारण ही आज नारी समाज में पूर्णरूप से सुरक्षित है। शिक्षित नारी आज के समाज का अत्याचार नहीं कर सकती है और आज समाज नारी पर कोई अत्याचार नहीं करता। शिक्षित होने के कारण ही आज नारी में आत्मनिर्भरता आई है। वह स्वावलंबी होकर पुरुष को चुनौती दे रही है। अपने स्वालंबन के गुणों के कारण ही नारी पुरुष की दासी या उसके अधीन नहीं है, अपितु वह पुरुष के समान ही स्वतंत्र और स्वच्छंद है।

उपसंहार

शिक्षा के कारण ही नारी की स्थिति आज सुदृढ़ होती जा रही है। अब जो शिक्षा का जागरण नारी में प्रारंभ हो गया है। लगता है वह नारी को दुर्गा, काली के स्तर तक ले जाएगा। क्योंकि नारी और पुरुष का नाजायज वर्चस्व स्वीकार करती प्रतीत नहीं हो रही है। शिक्षित होने के कारण अब नारी पुरुष के कुकर्म का जवाब अपने अधिकार, शक्ति और कलम से देने को तैयार हो गई हैं।

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