पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध :-प्रदूषण :कारण और निवारण

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध :-प्रदूषण :कारण और निवारण

भूमिका

मनुष्य पर्यावरण की उपज होती है, अर्थात मानव जीवन को पर्यावरण की परिस्थितियाँ व्यापक रूप से प्रभावित करती है। पृथ्वी के समस्त प्राणी अपनी बुद्धि व जीवन क्रम को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए संतुलित पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं। संतुलित पर्यावरण में सभी तत्व एक निश्चित अनुपात में विद्यमान होते हैं किंतु जब पर्यावरण में निहित एक या एक से अधिक तत्वों की मात्रा अपने निश्चित अनुपात से बढ़ जाती है, या पर्यावरण में विषैले तत्वों का समावेश हो जाता है तो वह पर्यावरण प्राणियों के जीवन के लिए घातक बन जाता है। पर्यावरण में होने वाले इस घातक परिवर्तन को ही प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषण का अर्थ

वास्तव में प्रदूषण जलवायु या भूमि के भौतिक , रासायनिक और जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछनीय परिवर्तन है जिससे मनुष्य ,अन्य जीवों, औद्योगिक प्रक्रियाओं, सांस्कृतिक तत्वों एवं प्राकृतिक संसाधनों को हानि हो या होने की संभावना हो। प्रदूषण में वृद्धि का कारण मनुष्य द्वारा वस्तुओं के प्रयोग करने के बाद फेंक देने की प्रवृत्ति और मनुष्य की बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आवश्यकताओं में वृद्धि है। इस प्रकार प्रदूषण मनुष्य की वांछित गतिविधियों का अवांछनीय प्रभाव है।

Essay on environmental pollution

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध :-प्रदूषण :कारण और निवारण

प्रदूषण के प्रकार

(1)वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण अधिक व्यापक एवं हानिकारक है। वायुमंडल में विभिन्न गैसों की मात्रा लगभग निश्चित रहती है,जिसमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की मात्रा सबसे अधिक है। औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड गैसें वायुमंडल में पहुँचकर पुनः वर्षा के जल के साथ मिलकर पृथ्वी तक पहुँचती है और गंधक का अम्ल बनाती है जो प्राणियों और अन्य पदार्थों को काफी हानि पहुँचता है।

नाइट्रोजन ऑक्साइड जल से मिलकर अम्लीय वर्षा करती है। वायु प्रदूषकों में क्लोराइड का भी प्रमुख स्थान है। ये गैसीय पदार्थ एलुमिनियम के कारखानों में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाते हैं। पौधों पर इसका प्रभाव पत्तियों को नष्ट करने के रूप में होता है। इसके अतिरिक्त भूसे और चारे के साथ जली हुई पत्तियाँ पशुओं के पेट में पहुँचने पर अत्यंत घातक सिद्ध होती है।

इसके साथ ही कीटनाशक, शाकनाशक, आर्सेनिक, पारा, शीशा आदि के कार्बनिक यौगिकों के कण भी वायु में रहते हैं। इनका घातक प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसका सामान्य प्रभाव एलर्जी उत्पन्न करना है जिसका कोई विशेष उपचार नहीं हो पाता। अन्य प्रभावों में फेफड़ों के रोग अधिक पाए जाते हैं।
मनुष्य, जीव -जंतुओं को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए अनेकानेक रसायनों का प्रयोग कर रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में भी असंख्य रसायनों के प्रयोग में वृद्धि हो रही है, जो तत्व कभी पर्यावरण में विद्यमान नहीं थे। ऐसे सैकड़ों रसायन मनुष्य प्रतिवर्ष संश्लेषित कर रहा है जिसके घातक परिणाम भी हमारे सामने नजर आ रहे हैं।

(2) जल प्रदूषण

जल सभी जीवों के लिए एक अनिवार्य वस्तु है। पेड़- पौधे पोषक तत्व जल से घुली अवस्था में ग्रहण करते हैं। जल में विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थ ,अकार्बनिक पदार्थ, खनिज तत्व व गैसें घुली होती है। यदि इन तत्वों की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो जल हानिकारक हो जाता है और उसे हम प्रदूषित जल कहते हैं। जल का प्रदूषण अनेक प्रकार से हो सकता है। पीने योग्य जल का प्रदूषण रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु, विषाणु,कल कारखानों से निकले हुए वर्जित पदार्थ, कीटनाशक पदार्थ व रासायनिक खाद से हो सकता है। ऐसे जल के उपयोग से पीलिया आँतों के रोग व अन्य संक्रामक रोग हो जाते है। महानगरों में भारी मात्रा में गंदे पदार्थ नदियों के पानी में प्रवाहित किए जाते हैं जिससे इन नदियों का जल प्रदूषित होकर हानिकारक बनता जा रहा है।

(3) ध्वनि प्रदूषण

महानगरों में अनेक प्रकार के वाहन, बाजे , लाउडस्पीकर एवं औद्योगिक संस्थानों की मशीनों के शोर ने ध्वनि प्रदूषण को जन्म दिया है। ध्वनि प्रदूषण से केवल मनुष्य की श्रवण शक्ति का ह्रास नहीं होता है वरन उसके मस्तिष्क पर भी इसका घातक प्रभाव पड़ता है। परमाणु शक्ति उत्पादन व नाभिकीय विखंडन ने वायु , जल व ध्वनि तीनों प्रदूषणों को बहुत अधिक बढ़ावा दे दिया है। इसके दुष्परिणाम न सिर्फ वर्तमान प्राणियों को बल्कि उसकी भावी पीढ़ियों को भी भुगतने पड़ सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध :-प्रदूषण :कारण और निवारण

प्रदूषण के कारण

पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखानों और मोटर- गाड़ियों से निकले धौओं का सबसे अधिक हाथ है। प्रिज़ ,कूलर ,वातानुकूलन, विभिन्न प्रकार के रसायन आदि का अधिक प्रयोग भी इसके दोषी है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से मौसम का संतुलन बिगड़ता है। जिससे प्राकृतिक संतुलन खराब होता है और प्रदूषण बढ़ता है।

प्रदूषण को रोकने के उपाय

आधुनिक युग में प्रदूषण की समस्या अत्यधिक गंभीर रूप धारण करती जा रही है। इस समस्या का निराकरण समय रहते न किया गया, तो एक दिन ऐसा आएगा,जब प्रदूषण की समस्या संपूर्ण मानव जाति को निकल जाएगी। अतः प्रदूषण से बचने के लिए निम्नलिखित उपायों पर अमल करना अति आवश्यक है—
1) वृक्षारोपण तेजी से कराया जाए एवं अधिक संख्या में नए वृक्ष लगाए जाएं।
2) वनों के विनाश पर रोक लगाई जाए।
3) बस्ती व नगर के समस्त वर्जित पदार्थों के निष्कासन हेतु सुदूर स्थानों पर उचित प्रबंध कराया जाए।
4) बस्ती व नगर में स्वच्छता व सफाई की ओर विशेष ध्यान दिया जाए।
5) पेयजल की शुद्धता की ओर विशेष ध्यान दिया जाए।
6) परमाणु विस्फोट पर पूर्णता नियंत्रण लगाया जाए।

उपसंहार

आज प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर, जटिल और विश्वव्यापी होती जा रही है। यद्यपि विश्व के सभी देश प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत हैं, फिर भी औद्योगिक विकास, नागरीकरण,वनों का विनाश और जनसंख्या में अतिशय वृद्धि होने के कारण यह समस्या निरंतर गंभीर होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अनेक संस्थाओं जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन , विश्व पर्यावरण संस्था , अंतरराष्ट्रीय वन संरक्षण संस्था ने प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए बहुत सारे उपाय किए हैं, फिर भी अभी तक कोई आशाजनक परिणाम सामने नहीं आए हैं और निकट भविष्य में भी प्रदूषण की समस्या के निराकरण और पर्यावरण की शुद्धता के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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