मेरा देश भारत महान :-my country india essay

मेरा देश भारत महान :-my country india essay

प्रस्तावना

हमारा देश भारत है । हम इसकी संतान हैं । इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग – अलग मान्यताएँ हैं । ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण – पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मनु द्वारा पालित – पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया । यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा ।

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प्राकृतिक बनावट व सम्पदा

भारत की प्राकृतिक बनावट व सम्पदा अद्भुत है। लगता है कि प्रकृति देवी ने स्वयं इसकी रचना की है । उत्तर में बर्फ से ढ़की हिमालय की पर्वत श्रेणियों हैं जो इस देश का मुकुट बनी हुई है । दक्षिण में हिन्द महासागर हिलोरें लेता है । ऐसा लगता है जैसे वह इस देश के चरणों को धो रहा है । हिमालय से निकलने वाली नदियों- गंगा , यमुना , ब्रह्मपुत्र , रावी , झेलम आदि सदैव जलराशि से पूर्ण रहती है और देश की धरती को शस्य श्यामल बनाती हैं । गंगा , यमुना और सतलुज के उपजाऊ मैदान दुनिया में दूसरे नहीं हैं । विभिन्न ऋतुएँ इसकी प्राकृतिक छटा को निखारती रहती है । ऐसा लगता है कि भारत देवी हमेशा अपना परिधान बदलती है और नित्य नये सुगन्धित आवरण से अपनी सज्जा करती रहती है । यह हमारा सौभाग्य है कि प्रकृति की इस क्रीड़ास्थली भारत में हमारा जन्म हुआ है।

गौरवपूर्ण अतीत

हमारे देश का अतीत बहुत गौरवपूर्ण रहा है । इस देश में बड़े – बड़े ज्ञानी – ध्यानी , ऋषि – मुनि और महात्मा हुए हैं जिन्होंने दुनिया को ज्ञान सूर्य का दर्शन कराया । संसार में सभ्यता और संस्कृति का प्रवर्तन हमारे यहाँ से हुआ । हमारे देश में महावीर , गौतम बुद्ध , मर्यादा पुरुषोत्तम राम , गीतायोगी कृष्ण जैसे महापुरुष हुए । यह बड़े – बड़े कवियों- तुलसी , सूरदास , कबीर , रहीम , रसखान , बिहारी , भूषण , जयशंकर प्रसाद , मैथिलीशरण गुप्त , निराला और पंत- की जन्मभूमि रही है । हमारे देश के प्रचुर धन – धान्य से देश – विदेश सभी लाभान्वित होते रहे हैं ।

धार्मिक सहिष्णुता और सौहाद्र

यहाँ कई जातियाँ आईं और इसकी धरती पर हिलमिल गई । हमारे देश में विभिन्न जाति , वर्ण व संप्रदाय के लोग मिलकर रहते हैं । कहीं मन्दिरों के घण्टे – घड़ियाल बज रहे हैं , तो कहीं मस्जिदों में अजान दी जा रही है । यह विविध धर्मों का देश है । धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द का जैसा संगम यहाँ देखने की मिलता है , वैसा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है । संसार के इतिहास में कई सभ्यताएँ पनपी और अस्त हो गई , लेकिन भारत की सभ्यता अभी तक मुखर है । इसलिए कहते हैं:—-

जिस चोटी पे पहुँचने की कल्पना, किये थे हमारे वीर जवान।

उस चोटी पर अब पहुँच चुका , मेरा देश भारत महान।।

उपसंहार

ऐसे गौरवपूर्ण देश के वासी होने के नाते हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी उन्नति के लिए सतत् सजग रहें । आपसी फूट और वैमनस्य की जड़ें उखाड़ कर फेंक दें । भाषा और संस्कृति के झगड़े इस देश की विरासत नहीं हैं । विदेशियों ने अपनी कूटनीति के कारण देश को खंड – खंड करना चाहा है , हमें एकता का बिगुल बजाकर भारत को संसार का शिरोमणि बनाना है ।

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