राष्ट्रीय एकता पर निबंध : Hindi Essay on National Unity
अर्थ और महत्व
राष्ट्रीय एकता का अर्थ है- राष्ट्र के विभिन्न विचारों और आस्थाओं में भिन्नता के बावजूद लोगों में आपसी प्रेमभाव , भाईचारा और अनेकता में एकता का बनें रहना । अर्थात् देश में भिन्नताएँ क्यों न हों ? फिर भी सभी आपसी राष्ट्रीय प्रेम से जुड़े हों । सबसे पहले वे देश के नागरिक है, फिर हिंदू या मुसलमान हो । राष्ट्रीय एकता का भाव देश रूपी भवन में सीमेंट का काम करता है । जिस प्रकार किसी भवन में ईंट ,बालू,पत्थर, छड़ , बजरी आदि भिन्न – भिन्न पदार्थ होते हैं , और सीमेंट उन्हें जोड़कर रखता है । उसी प्रकार राष्ट्रीय एकता का भाव सम्पूर्ण राष्ट्र को शक्तिशाली और समृद्ध बनाता है ।
भारत में विभिन्नता
भारत अनेकताओं का देश है । यहाँ अनेक धर्मों , जातियों , वर्गा , संप्रदायों और भाषाओं के लोग निवास करते हैं । यहाँ सभी का रहन – सहन , खान – पान , चाल-ढाल और पहनावा में भी भिन्नता है । भौगोलिक , सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ भी बहुत हैं ।
राष्ट्रीय एकता पर निबंध : Hindi Essay on National Unity
अनेकता में एकता
भारतीयों में विभिन्नता होते हुए भी उनमें एकता का भाव विद्यमान है । यहाँ सभी तरह की जातियाँ आपस में घुल – मिलकर रहती रही हैं । प्रायः सभी लोग एक – दूसरे के धर्म का आदर एवं सम्मान करते हैं । आदर न भी करें तो दूसरे के प्रति सहनशील हैं । भारत की यह दृढ़ मान्यता है कि ‘ एक सत्यं विप्रा बहुधा वदन्ति । ‘ अर्थात् सत्य एक है । उस तक पहुँचने के मार्ग भिन्न भिन्न है । गीता में उसी दृष्टि को श्रेष्ठ कहा गया है जो अनेकता में से एकता को पहचान सकती है ।
राष्ट्रीय एकता के बाधक तत्त्व
भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए बहुत सारे खतरे है । सबसे बड़ा खतरा भारत की कुटिल राजनीति है। भारत के राजनेता अपनी वोट – बैंक समृद्ध करने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं ,तो कभी आरक्षण के नाम पर पिछड़ी जातियों को देश की मुख्य धारा से अलग करने की साजिश करते हैं । कभी किसी विशेष जाति या भाषा के नाम से देश को तोड़ते हैं । जम्मू काश्मीर का विशेष दर्जा हो , खालिस्तान की माँग हो , आसाम या गोरखालैंड की पृथकता का आंदोलन हो, सबसे ऊपर वोट बैंक नजर आते हैं । भारत देश के हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई सभी आपस में परस्पर प्रेमभाव से मिलकर रहना चाहते हैं , लेकिन यहाँ के भ्रष्ट राजनेता उनकी एकता को तोड़ना चाहते हैं। जातिगत असमानता एवं आर्थिक असमानता आदि भी राष्ट्रीय एकता में अन्य बाधक तत्त्व हैं।
परस्पर संघर्ष के दुष्परिणाम
जब भी देश में किसी दो समुदायों के बीच आपसी संघर्ष होता है तो उसका दुष्परिणाम सम्पूर्ण देश को भुगतना पड़ता है । चाहे वह मामला आरक्षण का हो या अयोध्या के राम – मंदिर का , उसकी गूंज पूरे देश के जनजीवन को कुप्रभावित करती है । इतिहास इसका साक्षी है । आरक्षण के नाम पर देशभर में युवक जले , सड़कें रुकी , संपत्तियों नष्ट हुई । अयोध्या का प्रकरण देश की सीमाओं को पार करके विदेशों में रह – रहे लोगों को भी कँपा गया ।
राष्ट्रीय एकता पर निबंध : Hindi Essay on National Unity
समाधान
अब प्रश्न उठता है कि राष्ट्रीय एकता को बल कैसे मिल सकता है ? इसका एक ही जवाब है कि शांति और सुख सभी को एक समान प्राप्त हो, न किसी को बहुत अधिक हो और न ही किसी को कम हो ।। ( कुरुक्षेत्र से ) अर्थात् देश में सभी असमानता लाने वाले कानूनों को समाप्त किया जाए । मुस्लिम पर्सनल लॉ . हिंदू कानून आदि जैसे अलगाववादी कानूनों को हटा दिया जाए । उसकी जगह एक ही प्रकार का कानून सभी के लिए लागू किया जाए ।
प्रत्येक भारतीय नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों । किसी को किसी नाम पर भी विशेष सुविधा या विशेष दर्जा न दिया जाय । भारत में तुष्टिकरण की नीति बंद हो । राष्ट्रीय एकता को बनाने का दूसरा उपाय यह है कि हर भारतीय लोगों में परस्पर आदर का भाव जागृत किया जाए । यह कार्य हमारे देश के साहित्यकार , विचारक और पत्रकार कर सकते हैं । वे ही अपने कलम के जादू और कला से देशवासियों में एकता का मंत्र फूँक सकते हैं ।