Hindi Essay on Republic Day
भूमिका
गणतंत्र दिवस हमारे देश के गौरव और प्रतिष्ठा का महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भारत में अपना संविधान लागू हुआ था और अंग्रेजों के बने कानून से पूर्ण मुक्ति मिली थी। इसलिए 26 जनवरी हमारा एक महान राष्ट्रीय पर्व बन गया। यह पर्व हमें सदैव स्वतंत्र रहने ,स्वतंत्र सोचने की प्रेरणा प्रदान करता है। यह पर्व हमारी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक और सजीव प्रदर्शन भी है।
इतिहास
26 जनवरी 1929 को अखिल भारतीय कांग्रेस के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास किया गया था।जिसमें कहा गया था कि पूर्ण स्वराज प्राप्त करना ही हमारा उद्देश्य है। रावी नदी के तट पर देश के समस्त देश भक्तों ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक हम अपना पूर्ण स्वराज्य प्राप्त नहीं कर लेंगे, तब तक न स्वयं शांति से बैठेंगे, न शांति से अपने शत्रुओं को बैठने देंगे। तभी से यह दिन स्वराज्य दिवस के नाम से देश के हर क्षेत्र में मनाया जाने लगा। इस दिन सभायें होती, जुलूस निकाले जाते और वह प्रतिज्ञा फिर से दोहराई जाती थी। ( Hindi Essay on Republic Day)
यह वही दिन है जिस दिन देशभक्तों के ऊपर डंडे पड़ते और उन्हें जेलों में बंद कर दिया जाता था। सिर्फ इसलिए कि वे अपने देश की स्वतंत्रता चाहते थे। किंतु अंग्रेजों को यह सब असह्य था। वे इस पवित्र दिवस को मनाने पर प्रतिबंध लगाते थे। प्रतिबंध तोड़ने पर स्वतंत्रता के दीवानों को यातनाएँ सहनी पड़ती थी। परंतु भारतीय देशभक्त अपने पथ पर अडिग थे। उसी का परिणाम है कि आज हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं। जिस स्वतंत्रता का बीजारोपण आज से एक शताब्दी पूर्व हमारे महापुरुषों ने किया था , आज वह पल्लवित और पुष्पित होता हुआ नजर आ रहा है।
गणतंत्र राज्य की घोषणा
भारत में अपना संविधान बनाने का कार्य प्रारंभ करने के लिए एक संविधान निर्मात्री समिति का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान बनाने वाली एक समिति बनी , जिसके अध्यक्ष दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर थे और उन्हीं की देखरेख में जब 1950 में भारतीय संविधान बनकर तैयार हुआ। तब यह विचार किया गया कि किस तिथि को इसे भारत में लागू किया जाए। बहुत विचार- विमर्श करने के बाद 26 जनवरी को ही उपयुक्त तिथि घोषित की गई।
अतः 26 जनवरी 1950 को भारत संपूर्ण प्रभुत्व – संपन्न गणतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया। देश का शासन पूर्ण रूप से भारतवासियों के हाथों में आ गया। प्रत्येक भारतीय अपने देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझने लगा। देश के उत्थान और उसकी मान-मर्यादा की रक्षा को प्रत्येक व्यक्ति अपनी मान-मर्यादा समझने लगा। देश के इतिहास में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि आज ही के दिन एक नए भारत का सूर्य अपने पूर्ण शौर्य के साथ उदय हुआ था।
भारत का संविधान
भारतीय मूल संविधान में 22 भाग , 8 अनुसूचियाँ और 395 अनुच्छेद हैं। संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत समस्त राज्यों का एक संघ होगा। जिसके अंतर्गत चार प्रकार के राज्य होंगे। प्रथम वे राज्य जो अब तक ब्रिटिश शासन के अंतर्गत प्रांतों के नाम से प्रसिद्ध थे। जैसे-मुंबई, उत्तर प्रदेश ,चेन्नई और बिहार आदि। दूसरे वे राज्य जो देशी राज्यों के विलय के करण बने हैं। जैसे – हैदराबाद और मैसूर आदि। तीसरे वे राज्य जो परिस्थिति विशेष पर बने थे। जैसे – दिल्ली , हिमाचल प्रदेश आदि। चौथे प्रकार के राज्य अंडमान और निकोबार द्वीप है। भारतीय संविधान में सभी भारतीय नागरिकों के अधिकार की रक्षा का वचन दिया गया है। लोकतंत्रात्मक परंपराओं के निर्वाह की पूर्ण रूप से व्यवस्था की गई है और इस प्रकार भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता की अडिग शीला पर दृढ़ता से आधारित है।
राष्ट्र का पावन पर्व
26 जनवरी हमारे देश का एक महान राष्ट्रीय पर्व है। देशभक्तों के बलिदानों की स्मृति लेकर यह दिन हमारे समक्ष उपस्थित होता है। अनेक देशभक्तों ने हँसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दी। कितनी माताओं ने अपनी गोद की शोभा ,कितनी पत्नियों ने अपनी माँग का सिंदूर और कितनी बहनों ने अपना रक्षा-बंधन का त्यौहार स्वतंत्रता संग्राम की भेंट कर दी। इस दिन सहज ही हमारे मन-मस्तिष्क में उसकी याद तरोताजा हो जाती है। आज के दिन हम उन अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। (Hindi Essay on Republic Day)
महत्व
गणतंत्र दिवस समस्त देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली में इस दिन की शोभा अनुपम होती है। देश के विभिन्न भागों से इस दिन समारोह को देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं। प्रातः लगभग 8:00 बजे राष्ट्रपति की सवारी विजय चौक पर पहुँच जाती है। जिसकी अगवानी प्रधानमंत्री करते हैं। हर वर्ष विश्व का कोई न कोई महान व्यक्ति इस अनुपम दृश्य को देखने के लिए दिल्ली आते हैं। 26 जनवरी को इंडिया गेट के मैदान में जल , थल और वायु सेना की टुकड़ियाँ राष्ट्रपति को 31 तोपों की सलामी देती है।
सैनिक वाद्य यंत्र बजते हैं और राष्ट्रपति अपने भाषण में राष्ट्र को कल्याणकारी संदेश देते हैं। भिन्न – भिन्न राज्यों की मनोहारी झाँकियाँ प्रस्तुत की जाती है। जगह-जगह राष्ट्रीय झंडे फहराये जाते हैं। रात्रि को समस्त राजधानी विद्युत दीपों के प्रकाश से जगमगा उठती है। देश के अन्य भागों में भी इस प्रकार इस समारोह का आयोजन किया जाता है। खेल तमाशे , सभाएं ,भाषण , कवि सम्मेलन वाद- विवाद प्रतियोगिता आदि अनेक प्रकार के आयोजन संपन्न होते हैं। जनता और सरकार दोनों ही मंगल पर्व को मनाते हैं। संपूर्ण देश में प्रसन्नता और आनंद की लहर दौड़ जाती है।
उपसंहार
वास्तव में 26 जनवरी एक महत्वपूर्ण तिथि है। इसके पीछे भारतीय आत्मा के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी निहित है , जो सदैव भावी संतति एक अमर संदेश लेकर प्रेरणा का अक्षुण्ण स्त्रोत बहाती रहेगी। भारतीय इतिहास में यह दिन स्वर्ण अक्षरों में उल्लेखित होगा। प्रत्येक भारतीय का यह परम कर्तव्य है कि वह इस पर्व को अधिकारिक हर्ष और उल्लास के साथ मनाएँ और अनंत प्रयास के फलस्वरूप प्राप्त स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए कटिबद्ध रहे। परंतु स्वतंत्रता की अक्षुण्णता के लिए आवश्यक होगा कि हम पारस्परिक भेदभाव को छोड़कर आपसी सहयोग और एकता में विश्वास करें। अज्ञान के अंधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाश मार्ग पर अग्रसर हो। तभी हम इस तिथि की मान- मर्यादा की रक्षा कर सकेंगे।