टी. नटराजन की जीवनी/T. Natarajan ki jivani

टी. नटराजन की जीवनी/T. Natarajan ki jivani

जन्म

टी. नटराजन का जन्म 27 मई 1991 को तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव चेन्नमपट्टी में एक तमिल परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम थंगारासू नटराजन है। नटराजन अपने पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनकी तीन बहनें और एक छोटा भाई भी है। उनके पिता एस. थंगारासू एक कंपनी में बहुत ही कम सैलरी में पावर लूम चलाने का काम करते थे। जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से हो पाता था। इस परेशानी को देखते हुए बाद में नटराजन की माँ ने सड़क के किनारे चिकन बेचने का काम शुरू किया। इससे कम से कम उनके परिवार का गुजारा सही से होने लगा। हालात इतने बदतर थे कि सरकारी स्कूल में पढ़ने के बावजूद भी नटराजन के पास कॉपी ,किताबें और पेंसिल जैसी मूलभूत आवश्यकता की चीजें भी खरीदने के लिए पैसे नहीं होती थी। T. Natarajan ki jivani

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क्रिकेट से लगाव

नटराजन जब पाँचवी कक्षा में पढ़ाई करते थे। तभी उन्होंने टेनिस बॉल से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। जब वह बड़े हुए तो क्रिकेट में ही अपना केरियर बनाने का फैसला किया। उनका तो बस एक ही सपना था, टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनना और उसके लिए वह किसी भी हद तक मेहनत करने के लिए तैयार थे। जिस परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल था।

उस परिवार से निकलकर क्रिकेट की दुनिया में एक अलग पहचान बनाने के सपने को लेकर नटराजन अपने सफर पर निकल पड़े। इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियाँ आई। कभी उनके पास खेलने के लिए अच्छे जूते नहीं थे। कभी अच्छे कपड़े। इतना ही नहीं उनके पास अपने ट्रेनिंग एकेडमी तक यात्रा करने के पैसे भी नहीं हुआ करते थे। इसके लिए वह लोकल टूर्नामेंट खेलते थे। उनसे जो पैसे मिलते उससे वो अपने खर्चों को पूरा किया करते थे।

नटराजन कहते हैं कि मैं एक गेंदबाज हूँ। तो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज मेरे जूते हैं।। प्रायः जब हम किसी टीम के लिए खेलते थे , तो वह टीम ही मेरे जूतें को स्पॉन्सर करती थी। इसीलिए जब भी मैच खेलने के दौरान मुझे जूते मिलते, तो मैं उन जूतों का काफी ध्यान रखता था। ताकि मैं उन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकूँ। क्योंकि मेरे पास इतने पैसे नहीं होते थे कि मैं इतने महँगे जूते स्वयं खरीद सकूँ।

गुरु जयप्रकाश की भूमिका

जब नटराजन पर उनके गुरु जयप्रकाश की नजर पड़ी,तब से नटराजन की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आने लगे। जयप्रकाश ने नटराजन के टैलेंट को देखते हुए उन्हें गेंदबाजी की ट्रेनिंग के लिए चेन्नई भेज दिया। इस दौरान नटराजन के सभी खर्चे जयप्रकाश ने खुद उठाये।

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क्रिकेट केरियर की शुरुआत

साल 2011 में नटराजन ने पहली बार चेन्नई की तरफ से एक फोर्थ डिवीजन टूर्नामेंट में खेलते हुए अपने क्रिकेट केरियर की शुरुआत की। इस टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन कर उनका अगला लक्ष्य तमिलनाडु की रणजी टीम में शामिल होना था। वस्तुतः लोगों को रणजी टीम में आने के लिए अंडर-16 ,अंडर-19 और अंडर-20 टूर्नामेंटों के मैचों में अपनी काबिलियत साबित करनी पड़ती है। लेकिन नटराजन के टैलेंट को देखते हुए साल 2014-15 के रणजी सीजन में तमिलनाडु की टीम ने सीधे ही उन्हें अपनी टीम में ले लिया था। इस तरह जनवरी 2015 में उन्होंने तमिलनाडु की तरफ से बंगाल के खिलाफ खेलते हुए अपने फर्स्ट क्लास केरियर की शुरुआत की और 3 विकेट लेकर मैच को ड्रॉ कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दिया। इसके बाद नटराजन के लिए रास्ते खुलने लगे।

IPL में चयन

आखिरकार साल 2017 में नटराजन की किस्मत ने करवट ली। क्योंकि फर्स्ट क्लास क्रिकेट और कई घरेलू क्रिकेट में किए गए नटराजन की शानदार गेंदबाज़ी को देखते हुए साल 2017 के आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें तीन करोड़ में खरीद लिया था। अब बस नटराजन को अपना सर्वश्रेष्ठ देने की जरूरत थी। लेकिन इस बार नटराजन ने इस मौके को सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाए और 6 मैचों में केवल 2 विकेट ही ले सके। इसके बाद रणजी ट्रॉफी खेलने के दौरान उन्हें कोहनी में चोट भी लग गई और उन्हें सर्जरी भी करानी पड़ी।

सनराइजर्स हैदराबाद टीम में चयन

कोहनी की चोट के कारण वे कई सारे प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेल पाए। जिसका परिणाम अच्छा नहीं रहा और साल 2018 के IPL सीजन में उनकी कीमत 3 करोड़ से घटकर 40 लाख हो गई। हालांकि इस साल उनके बेस्ट प्राइस पर सनराइजर्स हैदराबाद ने उन्हें अपनी टीम में लिया। हैदराबाद के लिए पहले दो IPL सीजन में उन्हें परफॉर्म करने का मौका भी नहीं मिला। लेकिन इस दौरान रणजी ट्रॉफी में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा था।

आखिरकार साल 2020 के IPL सीजन में उन्हें हैदराबाद की टीम ने मैदान में उतरने का मौका दिया। इस बार नटराजन ने इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं दिया। शानदार गेंदबाजी करते हुए टूर्नामेंट में 16 विकेट चटकाए। जिसकी मदद से हैदराबाद की टीम प्ले ऑफ के लिए क्वालीफाई करने में कामयाब रही। इतना ही नहीं वह हैदराबाद की तरफ से राशिद खान के बाद दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भी बने।

भारतीय क्रिकेट टीम में चयन

हैदराबाद की तरफ से खेलने के दौरान वह मुथैया मुरलीधरन और वी. वी. एस. लक्ष्मण जैसे महान खिलाड़ियों से भी मिले, जहाँ उन्हें इन दिग्गज खिलाड़ियों के साथ रहते हुए बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। इस आईपीएल सीजन में नटराजन ने जिस तरह से डेथ ओवरों में गेंदबाजी की थी, उसने सभी को बहुत प्रभावित किया। खासकर इंडियन क्रिकेट टीम के सिलेक्टर को सबसे अधिक प्रभावित किया। उनके इस टैलेंट को देखते हुए आखिरकार उन्हें इसी साल अक्टूबर मैं आस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के चार अतिरिक्त गेंदबाजों में शामिल किया गया। इस तरह उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे और अंतिम एक दिवसीय मैच में खेलते हुए इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया।

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अंतरराष्ट्रीय मैच में प्रदर्शन

अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में ही उन्होंने अच्छी गेंदबाजी करते हुए 2 विकेट लेकर अपनी उपयोगिता भी साबित कर दी और टीम की जीत में अपना अहम योगदान भी दिया। इसी दौरे में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही खेलते हुए T-20 क्रिकेट में भी अपना कदम रखा और अपने पहले ही T-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में तीन महत्वपूर्ण विकेट लेकर सुर्खियों में आ गए। इसके अगले मैच में भी उन्होंने दो विकेट लेकर भारतीय टीम को सीरीज में 2-0 की अजय बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि तीसरे T-20 मैच में वह अच्छी गेंदबाजी करने के बावजूद एक विकेट ही निकाल सके और भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से यह मैच 12 रन से हार गई। इसके बावजूद नटराजन इस मैच में अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे।

निष्कर्ष

नटराजन अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने गुरु जयप्रकाश को देते हैं। वे कहते हैं कि यदि जयप्रकाश जी नहीं होते,तो मैं आज भी अपनी गलियों में टेनिस बॉल टूर्नामेंट ही खेलता रहता। 2017 के IPL से हुई कमाई के द्वारा अपने गुरु जयप्रकाश की मदद से नटराजन ने एक क्रिकेट एकेडमी भी खोली। जहाँ वे बच्चों को नि:शुल्क ट्रेनिंग दिया करते हैं। साथ ही अपने माता-पिता के लिए एक अच्छा घर बनवाया। अपने एक बहन की शादी की और अन्य छोटे भाई-बहनों के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की। नटराजन एक अच्छे भाई होने के साथ-साथ एक अच्छे बेटे का भी कर्तव्य निभा रहे हैं।

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