हमारी राजधानी दिल्ली पर निबंध|Hamari Rajdhani Delhi nibandh

Hamari Rajdhani Delhi par nibandh

प्रस्तावना

किसी कवि की यह उक्ति दिल्ली की विशेषता व्यक्त करने के लिए बहुत ही सटीक लगती है:–
दिल्ली है दिल हिंदुस्तान का।
ये तो तीरथ है सारे जहान का।।

Hamari Rajdhani Delhi nibandh

दिल्ली वास्तव में भारत का दिल है। इस नगर की यश-गाथा कहने में न जाने कितने साहित्यकारों की लेखनी चली। इस पर विजय प्राप्त करने के लिए न जाने कितने योद्धाओं ने तलवारें खींची। इस पर कब्जा करने के लिए न जाने कितने विदेशियों की आँखें ललचायी। कौन दिल्ली के वैभव पर मोहित नहीं हुआ। दिल्ली संसार के उन इने-गिने प्राचीन नगरों में से है जिसके पूराकाल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास में सभ्यताओं तथा संस्कृतियों के विकास और विनाश की, राजाओं तथा राजवंशों के उत्थान और पतन की तथा पूरे देश के बनने और बिगड़ने की कहानियाँ छिपी हुई हैं। दिल्ली में एक ऐसा आकर्षण है कि ‘जौक’ की ये पंक्तियाँ अतिशयोक्ति नहीं जान पड़ती–
हमने माना दकन में है बहुत कदरे- सुखन।
कौन जाए ‘जौक’ ये दिल्ली की गलियाँ छोड़कर।।

दिल्ली का इतिहास

दिल्ली का प्राचीन नाम इंद्रप्रस्थ है। किंवदंती है कि इस नगर का निर्माण पांडु पुत्र युधिष्ठिर ने कराया था। संस्कृत साहित्य में इसका प्राचीन नाम योगिनी पुर आया है। आज भी योगिनी माता का मंदिर इसी का सूचक है। राजा अनंगपाल के समय में इस नगर को लालकोट कहा जाता था। 11वीं तथा 12वीं सदी में यह नगरी दिल्लिका कही जाने लगी। पृथ्वीराज चौहान के समय में इसे राय पिथौरागढ़ कहते थे। यह भी कहा जाता है कि पृथ्वीराज ने किसी समय एक ज्योतिषी के कहने से कुतुब मीनार के पास एक लोहे की कील गड़वाई थी। वह ढीली रह गयी। ज्योतिषियों ने कहा था कि यदि वह ढीली रह गयी तो तुम्हारा राज्य स्थायी नहीं रहेगा। वह फिर गड़वाई गयी, पर वह ढीली की ढीली ही रही। इसी के आधार पर यह राजधानी ‘ढिल्ली’ या दिल्ली कहलाई। Hamari Rajdhani Delhi nibandh

कुछ लोग कहते हैं कि जब भारत में तुर्क आए तो उन्होंने इस नगर को भारत की ‘देहली’ कहा। इसलिए इसका नाम यही पड़ गया। मुसलमानों के काल से इस नगर में नए अध्याय का प्रारंभ हुआ। मुस्लिम बादशाहों ने इस नगर को सजाया- सँवारा। जब भारत में अंग्रेज आए तो वे भी दिल्ली की ओर आकर्षित हुए तथा कोलकाता का मोह छोड़कर दिल्ली की ओर मुड़े और नई दिल्ली का निर्माण किया। आज भी दिल्ली संसार की पांचवी श्रेष्ठ राजधानी है। दिल्ली 11 बार उजड़ी तथा बसी है।

दिल्ली शिक्षा का केंद्र

दिल्ली आज एक भव्य नगर है जिसमें एक ओर प्राचीन तो दूसरी ओर अत्याधुनिक इमारते हैं। दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा जामिया-मिलिया ये तीन विश्वविद्यालय हैं। आज दिल्ली को शिक्षा का केंद्र माना जाने लगा है। दिल्ली में प्रसिद्ध आई.आई.टी. संस्थान है जो पूरे भारत का दूसरे नंबर का है। शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली पूरे भारत में सर्व अग्रणी है। दिल्ली विश्वविद्यालय एशिया के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक है। यहीं दिल्ली में चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान है जिसकी गणना विश्व में होती है।

इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय यहीं दिल्ली में स्थापित है जिससे विश्व के लोग पत्राचार माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित विश्वविद्यालय ओपन लर्निंग है जहाँ से प्रतिवर्ष बहुत बड़ी संख्या में लोग शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक संस्थान, पॉलिटेक्निक कॉलेज हैं जिसमें प्रतिवर्ष लाखों लोग शिक्षा प्राप्त करके निकल रहे हैं। यहीं पर सीबीएसई बोर्ड है जो पूरे विश्व में स्थान प्राप्त है।

Hamari Rajdhani Delhi nibandh

वर्तमान दिल्ली

यह नगर भौगोलिक दृष्टि से भी निरंतर बढ़ता जा रहा है। जो यहाँ एक बार आ जाता है,वह फिर यहाँ से जाने का नाम नहीं लेता। इसलिए लोग कहते हैं कि “दिल्ली है दिलवालों की, बॉम्बे है पैसे वालों की।”

दिल्ली में लगभग 100 छविगृह हैं। इनमें कुछ तो एशिया के सुंदरतम छविगृहों में गिने जाते हैं। दिल्ली में 19 नवंबर से 4 दिसंबर 1982 तक 9वें एशियाई खेलों का आयोजन हुआ था। उसके कुछ महीने बाद सातवाँ निर्गुट सम्मेलन हुआ। उसमें लगभग 100 से भी अधिक राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। 2012 में कॉमनवेल्थ गेम का आयोजन हुआ। आज नई दिल्ली विश्व के सैलानियों के लिए एक आकर्षण है। दिल्ली के बहुमंजिली इमारतें, आधुनिक भारतीय वास्तुकला के विकास की परिचायक है।

दर्शनीय स्थल

दिल्ली में फाइन आर्टस थियेटर, सप्रू हाउस, कमानी आडिटोरियम, श्री राम सेंटर त्रिवेणी कला संगम, मावलंकर हॉल आदि अनेक स्थानों पर अनेक प्रकार के नाटक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं। दिल्ली के दर्शनीय स्थलों को 3 वर्गों में रखा जा सकता है — प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक। प्राचीन स्थलों में हिंदूकाल में बनवाए हुए ऐतिहासिक स्थल आते हैं, इनमें पुराना किला, अशोक की लाट, अशोक स्तम्भ आदि प्रमुख है। मध्यकाल के भवनों तथा स्थलों में कुतुब मीनार, कोटला फिरोजशाह, जामा मस्जिद, हुमायूँ का मकबरा, लोदी का मकबरा, लालकिला, जंतर- मंतर, निजामुद्दीन की दरगाह आदि प्रसिद्ध है।

आधुनिक दर्शनीय स्थलों में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, सचिवालय, इंडिया गेट,ओबराय, सम्राट, कनिष्क, ताज तथा मौर्य होटल, विज्ञान भवन, आकाशवाणी भवन, बिरला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, क्षतरपुर का मंदिर, बुद्ध विहार, नेहरू संग्रहालय, अंतरराष्ट्रीय डॉल म्यूजियम, पालम हवाई अड्डा, चिड़ियाघर, रेल संग्रहालय, ओखला एयरफोर्स म्यूजियम, उच्च तथा उच्चतम न्यायालय, कनॉट प्लेस, पालिका बाजार, बाल भवन, ताल-कटोरा, तरण ताल, शांतिवन, राजघाट, विजय घाट, आर्ट म्यूजियम, नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गाँधी स्टेडियम, शक्ति स्थल आदि प्रसिद्ध है। दिल्ली से सटे नोएडा में भी अनेक पर्यटन स्थलों का निर्माण हुआ है जो दर्शनीय है। फिल्म सिटी आदि नोएडा के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है।

दिल्ली की समस्या

इस महानगर की कुछ समस्याएँ भी है। इसमें एक है आवास की समस्या। यहाँ लोगों के रहने के लिए मकान बहुत महँगे मिलते हैं। दूसरी समस्या है — परिवहन की। यद्यपि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने बहुत से आवास बनवाये किंतु पूरे भारत से दिल्ली आने वाली भीड़ के कारण आज भी यह समस्या यथावत बनी हुई है। आवास की रतथा दिल्ली परिवहन निगम परिवहन की समस्या को सुलझाने की भरसक प्रयास कर रहा है।

निष्कर्ष

इस प्रकार हम देखते हैं कि दिल्ली भारत का सबसे अधिक प्रसिद्ध, लोकप्रिय, प्रभावशाली तथा दर्शनीय नगर है। भारत की इस गौरवपूर्ण राजधानी का भविष्य उज्ज्वल है।

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