इंटरनेट एक संचार क्रांति पर निबंध|Internet ek sanchar kranti

Internet ek sanchar kranti par nibandh in hindi

भूमिका

आज संचार माध्यमों के प्रतिदिन होते नए आविष्कार ने संसार की दूरी को एक सेकंड और एक मिनट की दूरी में समेट दिया है। भौगोलिक सीमाओं में आबध्द व्यक्ति सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी में नित नए आविष्कार और अनुसंधान के चलते संचार के सुगम व्यवस्था की ओर बढ़ता जा रहा है। इसके पहले मात्र टेलीफोन ही विश्व की दूरी कम करने में मददगार था। किंतु अब तो यह आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी अपने आधुनिक व्यवस्था के आलिंगन में समूचे विश्व को समेटती जा रही है। (Internet ek sanchar kranti)

Internet ek sanchar kranti

इंटरनेट एक क्रांति

प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त कर लिए हैं जो हमें जीवन की सभी सुविधाएं, सभी आराम प्रदान कराने में सक्षम है। आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम सूचना और दूरसंचार क्षेत्र में उठाए गए हैं। अनेक नए स्रोत नए साधन और नई सुविधाएं प्राप्त कर ली गई है जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर ले जाकर खड़ा करती है। ऐसे ही सूचना साधनों में इंटरनेट आज एक बहुत बड़ा नाम है।

प्रौद्योगिकी विकास ने सम्पूर्ण विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को अपने सगे संबंधियों एवं व्यापार संबंधित व्यक्तियों से संपर्क स्थापित करा रहा है। कंप्यूटर माध्यम से इंटरनेट का आश्रय लेकर समस्त मानव जाति एक सूत्र में बंधने के लिए अग्रसर हैं। मानव जीवन की सभी गतिविधियाँ राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक आदि इंटरनेट और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं से लाभान्वित हो रही है। (Internet ek sanchar kranti)

इंटरनेट ईमेल का विकास

मॉन्ट्रियल के पीटर ड्यूस ने पहली बार 1989 मैं मैक्-गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयत्न किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉरपोरेशन के बिडस्टर क्रहले ने एक-दूसरा इंडेक्सिंग सिस्टम वाइड एरिया इनफॉरमेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेट्री फॉर पार्टिकल फिजिक्स के बर्नर्स ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नई तकनीक विकसित की, जिसे वर्ल्ड-वाइड वेब के नाम से जाना गया। यह हाइपर टेक्स्ट पर आधारित होता है, जो किसी इंटरनेट यूजर को इंटरनेट की विभिन्न साइट पर एक डॉक्यूमेंट को दूसरे से जोड़ता है। यह काम हाइपर लिंक के माध्यम से होता है। हाइपर लिंक विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफिक्स को कहते हैं।

इलेक्ट्रॉनिकी अनुसंधान में इलेक्ट्रॉनिक डाक उपकरण एक अनूठी खोज है। यह दो तरह का होता है– इंटरनेट ई-डाक या ई-मेल और गैर इंटरनेट डाक । इनके संचालन के लिए डाक कार्यक्रम का उपयोग किया जाता है। तेजी से व कम खर्च में डाक भेजने का साधन है- वर्तमान ई-डाक या ई-मेल प्रणाली। इसके बाद महत्वपूर्ण है डाक सूचियाँ, सूची सेवाएँ और बुलेटिन बिल बोर्ड। डाक सूचियाँ एक ही स्त्रोत वाली सूचनाएं आसानी से और कम खर्च में सुलभ कराती है। सूची सेवाएं एक स्वचालित सर्वर कार्यक्रम से संचालित होती है। यह सुविधाएं विशेष रूचि वाली होती है।

इंटरनेट का जन्म

इंटरनेट का जन्म अमेरिका में शीत युद्ध के दौरान हुआ था। इसकी शुरुआत 1969 में एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसीज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के 4 विश्वविद्यालयों के कंप्यूटरों की नेटवर्किंग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं की सुविधा के लिए किया गया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था, संचार माध्यमों को वैसी आपात स्थिति में भी बनाए रखना जब सारे माध्यम निष्फल हो जाएं। 1971 तक इस कंपनी ने लगभग दो दर्जन कंप्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया था।

1972 में शुरुआत हुई ईमेल अर्थात इलेक्ट्रॉनिक मेल की जिसने सूचना संचार जगत में क्रांति ला दिया। इंटरनेट प्रणाली में प्रोटोकॉल एवं एक फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल की सहायता से इंटरनेट यूजर कंप्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है।1973 में ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल इंटरनेट प्रोटोकॉल के लिए डिजाइन किया गया। सन् 1983 में यह इंटरनेट पर एवं कंप्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया।

इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य अंकीय क्रांति की प्रमुख देन है, जिससे बाजार से संबंधित प्रायः सभी गतिविधियाँ संचालित होती है। किसी भी व्यवसाय के मुख्यत: 3 पहलू होते हैं– उत्पादों का विपणन, खरीद-बिक्री का लेखा-जोखा और उत्पाद या सेवा की प्रस्तुति। इंटरनेट से जुड़ कर प्रयोक्ता व्यवसायिकता के तीनों पहलुओं का आंकिक संपर्क प्राप्त करता है। इंटरनेट की व्यापकता के कारण इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य का बाजार किसी भी भौगोलिक सीमा से मुक्त होकर परिवर्तित होता है। इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं–b2b, c2c और c2b। इसके अंतर्गत व्यवसायिक और उपभोक्ता बाजार से संबंधित सारी प्रक्रियाएं कंप्यूटर पर पूरी होती है।

इंटरनेट का तीव्र विकास

धीरे-धीरे इंटरनेट के क्षेत्र में कई विकास हुए। सन् 1994 में नेटस्केप कम्युनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट के ब्राउज़र बाजार में उपलब्ध हो गए, जिससे इंटरनेट का प्रयोग काफी आसान हो गया। 1996 तक इंटरनेट की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। लगभग 4.5 करोड लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग शुरु कर दिया। इनमें सबसे अधिक संख्या अमेरिका की लगभग तीन करोड़ थी। यूरोप से 90 लाख और 60 लाख एशिया एवं प्रशांत के क्षेत्रों से थे।

ई-कॉम की अवधारणा काफी तेजी से फैलती गई। संचार माध्यम के नए-नए रास्ते खुलते गए। नई-नई शब्दावली जैसे ईमेल,वेबसाइट, वायरस, लवबग आदि इसके अध्ययन में जुड़ते रहे। साल 2000 में इंटरनेट का विस्तार इतना बढ़ गया कि इसमें कई तरह की समस्याएं भी उठने लगी। कई नए वायरस समय-समय पर दुनिया के लाखों कंप्यूटरों को प्रभावित करते रहे। इन समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र आगे बढ़ता रहा। भारत भी अपनी भागीदारी इन उपलब्धियों में जोड़ता रहा। आज भारत में इंटरनेट कनेक्शन और प्रयोगकर्ताओं की संख्या करोड़ों में है।

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