टेलीफोन पर निबंध | telephone par nibandh

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भूमिका

टेलीफोन या दूरभाष का आविष्कार ग्राहम बेल ने किया था। यह आविष्कार विज्ञान का एक अद्भुत आविष्कार है, जो आज तक की आवश्यकता बन गया है। यह विज्ञान की ऐसी अद्भुत खोज है, जो विश्व की दूरी कम करने में सहायक हुआ है। दूरसंचार प्रणाली इतनी विकसित हो गई है कि मनुष्य एक कमरे में बैठे सुदूर अमेरिका, इंग्लैंड में बैठे अपने सगे संबंधियों से क्षण मात्र में संपर्क कर सकता है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में इतनी प्रगति हो चुकी है कि बात करते समय ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्ष आमने-सामने बैठ कर बात कर रहे हैं। इस प्रकार यह विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का अनुपम चमत्कार है जिससे आज सारा संसार लाभान्वित हो रहा है।

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इससे पूर्व हमारे प्राचीन काल के ऋषि – महर्षि अपने मंत्र – बल द्वारा जिस समय और जिससे चाहते थे, बातचीत कर लेते थे। इससे यह सिद्ध होता है कि पुराकाल भी इस प्रकार की सुविधाओं से सम्पन्न था। आज भी वैसे ही टेलीफोन के द्वारा हम दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से बातचीत कर सकते हैं।

लाभ

हमें टेलीफोन से अनेक लाभ हैं । टेलीफोन के द्वारा हम घर बैठे अपने व्यापारिक संस्थानों , कार्यालयों आदि का समाचार आसानी से प्राप्त कर लेते हैं । आजकल टेलीफोन प्रणाली इतनी विकसित हो गयी है कि घर बैठे कक्षा में पढ़ाई गई जानकारी , किसी विषय की जानकारी , कोई विशेष समाचार आदि अपने किसी सहयोगी द्वारा जान लेते हैं । टेलीफोन के द्वारा हम किसी विशेष स्थान के बारे में भी जान सकते है, जहाँ हमारा जाना उचित है या नहीं अथवा कब तक उचित है और कब तक नहीं । टेलीफोन ही एक ऐसा साधन है , जिसके द्वारा हम प्रत्येक क्षेत्र से जन – सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं ।

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जीवन का अनिवार्य अंग

ग्राहम बेल के द्वारा आविष्कृत टेलीफोन हमारे जीवन का एक अनिवार्य अंग बन गया है । इसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना असम्भव सा दिखाई पड़ता है । इस तरह विज्ञान ने हमें बहुत सी सुविधाएँ दी हैं। आज का चाहे व्यापारी वर्ग हो या अध्यापक वर्ग हो , राजनेता हो या कोई नौकरीपेशा या कोई भी धन्धा करने वाला सामान्य व्यक्ति हो , प्रत्येक को इसकी बहुत जरूरत पड़ती है ।

यह सत्य है कि विज्ञान ने परिवहन के विभिन्न सुविधाओं से हमारी यात्रा की दूरियों को आसान बना दिया है। जिससे हम लंबी से लंबी दूरियों के सफर को भी कुछ ही मिनटों में समाप्त कर लेते हैं , लेकिन टेलीफोन की मदद से हम वहाँ पल भर में ही पहुँच सकते हैं या जहाँ पहुँचना हमारी शक्ति के बाहर है वहाँ कुछ ही मिनटों में बातचीत के द्वारा सम्पर्क करके अपनी इस असुविधा को भूल जाते हैं । अतएव टेलीफोन हमारे लिए एक ऐसा सुविधाजनक विज्ञान प्रदत्त साधन है जिसके द्वारा हमारे सारे कार्य – व्यापार , चाहे फौज हो , पुलिस हो , मंत्रालय , देश – विदेश आदि से सम्बन्धित कोई भी कार्य हो , हम टेलीफोन के द्वारा सम्पर्क कर के साध लेते हैं ।

कार्य में तेजी

टेलीफोन की सहायता से हमारे कार्य में तेजी आती है । टेलीफोन से हमें जैसे ही सूचना प्राप्त होती है, वैसे ही हम आसानी से सम्पर्क स्थापित कर लेते हैं । इस प्रकार टेलीफोन हमारे जीवन – प्रक्रियाओं के लिए बहुत उपयोगी है । इस प्रकार से हम देखते हैं कि टेलीफोन हमारे जीवन के प्रत्येक अंग को प्रभावित करते हुए हमारे लिए बहुत ही अधिक सुविधाजनक साधन है । टेलीफोन के महत्त्व को समझने के लिए हम यों कह सकते हैं कि आज टेलीफोन के अभाव में हमारा सम्पर्क जोड़ना असम्भव और बहुत कठिन है । इसलिए टेलीफोन का महत्त्व प्रत्येक वैज्ञानिक उपलब्धियों की अपेक्षा सुविधा की दृष्टि में सर्वाधिक है ।

असुविधा

टेलीफोन से जितनी बड़ी सुविधा है , उतनी ही असुविधा भी है । अगर टेलीफोन करते समय कोई गलत नम्बर मिल जाता है , तो कुछ देर तक सही नम्बर की तलाश में भटकते फिरते हैं । टेलीफोन की लाइन कटी हो या टेलीफोन में कोई गड़बड़ी हो तो हम किसी प्रकार से टेलीफोन से कोई सम्पर्क नहीं कर सकते । टेलीफोन की सबसे बड़ी असुविधा यह भी है कि कभी – कभी तो टेलीफोन असमय आ जाता है । रात के बारह बजे , एकदम तड़के या सोते – पढ़ते या कोई बातचीत करते समय अगर टेलीफोन आ जाता है , तो हमें इससे भारी असुविधा हो जाती है । हम झल्ला उठते हैं , और मन में यही आता है कि अगर टेलीफोन न होता तो अच्छा था ।

सुविधा

टेलीफोन हमें जहाँ असुविधाएँ देता है , वहाँ यह कहीं अधिक सुविधाएँ भी प्रदान करता है , जो इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण है । सब कुछ मिलाकर टेलीफोन आज मनुष्य की एक महत् आवश्यकता बनकर उभरा है जिसके बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है । मनुष्य का विकास अधूरा है । अब तो टेलीफोन का महत्त्व इतना बढ़ गया है कि यदि आप के पास टेलीफोन नहीं है तो लोग काम देना ही पसन्द नहीं करते । लेकिन टेलिफोन सुविधा आरम्भ हो जाने से देश में बेरोजगारी भी बढ़ी है ।

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