हॉकी खेल पर निबंध | hockey Khel par nibandh

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भूमिका

खेल मानव – जीवन का अंग है । यह भी सत्य है कि मानव अपने स्वभाव से ही खिलाड़ी है । खेलों से शरीर में नये रुधिर का संचार होता है और मन में उल्लास का । क्रीड़ा – क्षेत्र में आते ही मनुष्य , शरीर और मन के सब बंधन खोलकर उन्मुक्त वातावरण में आ जाता है । मन भी संकोच का आवरण उतारकर स्वच्छन्द विहार करने लगता है । पाँव बेरोक – टोक भागना चाहते हैं । हाथ पूरी शक्ति से गेंद आदि को उछालना चाहते हैं । कण्ठ अपने उच्चतम स्वर से ‘ अहा और वाह ‘ चिल्लाने को खुलता है । मन कहता है कि दिन – भर की घुटन को निकाल बाहर करूँ ।

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खिलाड़ी अपनी योजना स्वयं बनाता है । अपने प्रयत्न और सूझ – बूझ से वह हार को जीत में बदल सकता है । परन्तु क्रीड़ा – क्षेत्र में हुई पराजय भी मधुर होती है । खेलों से शरीर का व्यायाम होता है , मन को उल्लास मिलता है तथा उस खिलाड़ी – भावना की वृद्धि होती है , जिसे ‘ स्पोर्ट्समैन स्पिरिट ‘ कहा जाता है । इससे व्यावहारिक जीवन को भी नयी गति और दिशा मिलती है । तभी तो मानसिक , बौद्धिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खेल कूद को अत्यावश्यक माना गया है ।

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हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल

खेल कई प्रकार के हैं — मैदानी खेल , कमरे का खेल , देशी खेल , अन्तर्राष्ट्रीय खेल , ओलम्पिक खेल आदि । इनमें सबका अपना-अपना महत्त्व है । किसी में शारीरिक बल की अधिक आवश्यकता होती है , किसी में स्फूर्ति की , किसी में कुशलता और चालाकी की तथा किसी में सूझ-बूझ और सहयोग की ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बहुत पहले से ही हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल चला आ रहा है । इस खेल के कारण कभी हमारे देश की धाक समूचे विश्व में रही है । यह खेल इतना प्राचीन है कि इसके आरंभ का कुछ पता ही नहीं । कुछ लोग कहते हैं कि इसका आरम्भ ईसा से दो सहस्र वर्ष पूर्व ईरान में हुआ था । कुछ कहते हैं ग्रीक में । कुछ का मत है कि 14 वीं शताब्दी में यह खेल रोम में खेला जाता था । कुछ भी हो , यह खेल है बहुत पुराना ।

आधुनिक हॉकी का जन्म 18 जनवरी , 1886 को हुआ , जब कि इंग्लैंड में हॉकी संघ की स्थापना हुई और उसने खेलने के कुछ नियम बनाये । हॉकी का पहला काउण्टी मैच सुरे व मिडिल सैक्स में हुआ । ओलम्पिक खेलों में सर्वप्रथम यह खेल 1908 में खेला गया । तब से लेकर आज तक यह प्रमुख खेलों में एक बना हुआ है और सारे विश्व में बड़े उत्साह से खेला जाता है ।

भारत में हॉकी की शुरूआत

भारत में हॉकी का खेल अंग्रेज अधिकारियों द्वारा ही आरम्भ किया गया था । यहाँ आरम्भ में यह खेल कार्क व शाकास्टिक की गेंद से खेला जाता था । संभवत : यहाँ यह खेल 1905 में आरम्भ होकर शनैः शनैः लोकप्रिय हो गया । फिर 7 नवम्बर , 1925 को अखिल भारतीय हॉकी संघ की स्थापना हुई । भारत में हॉकी को लोकप्रिय बनाने और उसका विकास करने का श्रेय मेजर ध्यानचन्द को है । उनके अथक परिश्रम से 1928 से लेकर 1956 तक ओलम्पिक के हॉकी खेलों में भारत ही विश्व – विजेता रहा है । यदि भारत का यह राष्ट्रीय माना जाने वाला खेल मेरा भी प्रिय खेल हो तो इसमें आश्चर्य ही क्या ?

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खेल के नियम

यह खेल दो दलों द्वारा खेला जाता है । प्रत्येक दल में ग्यारह से अधिक खिलाड़ी नहीं होते । मान्य नियमों के अनुसार प्रायः यह खेल पैंतीस – पैंतीस मिनट की दो पालियों में खेला जाता है । खेल में पाँच – दस मिनट के मध्यावकाश के बाद दोनों दल क्रीड़ा – क्षेत्र में दिशाएँ बदलकर खेलते हैं ।

सबसे पहले रैफरी या कप्तान मैदान की दिशा चुनने के लिए सिक्का उछालता है जिसे ‘ टॉस करना ‘ कहते हैं । खेल का आरम्भ मैदान के बीचोंबीच दोनों दलों के एक एक खिलाड़ी द्वारा किया जाता है । प्रत्येक खिलाड़ी गेंद की बगल में अपनी ओर की धरती को पौटता है और फिर विरोधी की हॉकी की चपटी ओर टक्कर मारता है । इस प्रकार वे तीन बार करते हैं । तत्पश्चात् दोनों खिलाड़ियों में से एक गेंद को हॉकी से मारकर खेल आरम्भ करता है । तब तक दोनों पक्षों के अन्य खिलाड़ी अपनी – अपनी निश्चित स्थिति में खड़े हो जाते हैं और खेल आराम होने की उत्सुकता से प्रतीक्षा करने लगते हैं । इसके बाद हार जीत की भावना से खिलाड़ी गेंद को हॉकी-स्टिकों के द्वारा पूरे मैदान में खेलने लगते है ।

रेफरी का महत्व

प्रत्येक गोल के पश्चात खेल पुनः आरम्भ किया जाता है । गोल तभी होता है जब विरोधी पक्ष के गोल के घेरे ( डी ) के अन्दर जाकर गेंद को हॉकी से मारा जाये और गेंद ठीक गोलचिह्नों के मध्य में गुजरती हुई पार निकल जाये । गोलकीपर अपने घेरे में बॉल रोक सकता है । रेफरी या खेल का नियामक सीटी बजाकर किसी भी नियमोल्लंघन या अनियमितता की घोषणा करके खिलाड़ियों को रोक सकता है । जानबूझकर खेल के नियम तोड़ने पर अपराधी पक्ष को दण्ड देने के लिए क्रीड़ानियामक ( रेफरी ) दूसरे पक्ष को गेंद मारने की सुविधा देता है । जो दल अपने विरोधी दल की अपेक्षा , अधिक गोल कर लेता है , वह विजेता माना जाता है । इसके लिए धीरज , साहस , सूझ – बूझ और साथी खिलाड़ियों के पूर्ण तालमेल की बहुत जरूरत हुआ करती है ।

उपसंहार

हॉकी का खेल जहाँ खिलाड़ियों के लिए व्यायाम और मनोरंजन का साधन है , वहाँ वह दर्शकों का भी कम मनोरंजन नहीं करता । अच्छे खिलाड़ियों का नाम देश और विदेश में प्रसिद्ध होता है । भारत के ध्यानचन्द और दिग्विजय सिंह ‘ बाबू ‘ ; इग्लैंड के शौवेलर ; जर्मनी के हेग तथा बिज ; नीदरलैंड के वन – उन – वर्ग तथा इजर विश्व – प्रख्यात हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं । ध्यानचन्द तो ‘ हॉकी के जादूगर ‘ माने गये हैं । भारत के राष्ट्रीय खेल में भारत को ही सर्वश्रेष्ठ और सरताज रहना चाहिए , यही गौरव की बात है और होगी भी । इसके लिए खिलाड़ियों में कठोर अनुशासन , निरन्तर अभ्यास और साहस की बहुत आवश्यकता है ।

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