आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Adarsh Vidyarthi par nibandh

Adarsh Vidyarthi par nibandh

भूमिका

आदर्श अर्थात् हर प्रकार से अच्छा , सभी प्रकार के मानवीय गुणों वाला व्यक्ति । इस प्रकार का आदमी बन पाना सरल नहीं होता । आदर्श आदमी बनने के लिए शुरू से ही तैयारी करनी पड़ती है । इस तैयारी का सम्बन्ध क्योंकि आदमी की शिक्षा-दीक्षा से भी है , इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि आज जो आदर्श विद्यार्थी है , वही कल का आदर्श आदमी या नागरिक भी बन सकता है । आदर्श विद्यार्थी कैसा और कौन होता है , अथवा हो सकता है , इस प्रश्न पर कई तरह से विचार किया जाता और किया जा रहा है । विद्यार्थी क्योंकि पढ़ने लिखने वाले , औसतन कम आयु वाले व्यक्ति को कहा जाता है , अत : पहले हम इसी दृष्टि से देखें और विचार करेंगे कि आदर्श विद्यार्थी कौन और कैसा हुआ करता है ।

Adarsh Vidyarthi par nibandh

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सदाचार की भावना

विद्यार्थी को विद्यार्थी इसीलिए कहा जाता है कि वह अनेक प्रकार की विद्याएँ ग्रहण करने की इच्छा रखता है । सो कहा जा सकता है कि बाकी सब प्रकार की बेकार की बातों को भुलाकर जो विद्यार्थी अपना तन – मन विद्या का अध्ययन करने के लिए अर्पित कर दिया करता है , वही आदर्श हुआ करता है । आदर्श विद्यार्थी विद्याओं का अध्ययन तो मन लगा कर किया ही करता है , अपने गुरुजनों , संगी – साथियों , सहपाठियों के प्रति भी आदर और सम्मान का भाव रखता ।

वह हर प्रकार के नियमों , विधियों को कर्त्तव्य मान कर पालन करने वाला भी हुआ करता है । उसके लिए जीवन का एक – एक पल कीमती होता है । वह उसका सदुपयोग करके हर कदम पर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता है । किसी भी व्यक्ति या विद्यार्थी के लिए आदर्श बनने के लिए विद्याध्ययन के साथ – साथ और बहुत सारी बातों का – ऐसी बातों का कि जिनका सम्बन्ध उसकी शिक्षा और आयु के साथ ही रहता है , ध्यान रखना भी आवश्यक हुआ करता है ।

एक कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन , बुद्धि और आत्मा का निवास हुआ करता है । सो अच्छा और आदर्श विद्यार्थी केवल किताबों का कीड़ा बन कर ही नहीं रह जाया करता । वह सुबह उड़कर भ्रमण , व्यायाम , योगासन आदि पर भी उचित ध्यान रखा करता है । वह अपने विद्यालय में खेले जाने वाले हर तरह के खेलों में भी भाग लिया करता है । ऐसा करने से उसका शरीर तो स्वस्थ सुन्दर रहता ही है , उसके मन – मस्तिष्क का भी स्वस्थ विकास होता हैं । उसकी आत्मा प्रसन्न और आनंदित रहती है , ऐसी दशा में जो भी कार्य करता है , उसमें उसे अवश्य ही हर प्रकार की सफलता मिलती है ।

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व्यवहारिक लक्षण

आदर्श विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम का अध्ययन करने , व्यायाम और खेल – कूद आदि से समय बचाकर ऐसे साहित्य , इतिहास आदि का अध्ययन भी अवश्य किया करता है , जिससे इसको व्यावहारिक जानकारियाँ बढ़ती हैं । उसे तरह – तरह उपयोगी विषयों का ज्ञान भी प्राप्त हो जाता है और स्वस्थ मनोरंजन भी होता है । इस सबसे भी उसे अपने सभी प्रकार के विकास में उचित सहायता और सहयोग मिलते हैं । उसके सोचने – समझने की शक्ति बढ़ती है । वह हर बात और हर चीज़ को उसके अच्छे – बुरे असली रूप में देख समझ पाने में समर्थ हो जाता है ।

आदर्श कहा जाने वाला विद्यार्थी अपने आस – पास के जीवन की तरफ से भी आँखें बन्द नहीं किये रहता । वह हर प्राणी , हर वस्तु को ध्यान से देख – सुनकर उसे समझने की कोशिश करता है । उसमें जो कुछ भी उसके अपने , अपने घर – परिवार , समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी प्रतीत होता है , उसे ग्रहण कर बाकी सब व्यर्थ के चक्करों अपनी आँखें मूंद लिया करता है । इस प्रकार वह चारों तरफ के वातावरण और उसके प्रभावों से जो आदर्श है , वह तो ले लेता है , जो बुरा है , उसे ठीक उसी प्रकार त्याग देता है कि जैसे हंस नामक पक्षी दूध को ग्रहण कर , पानी को छोड़ देता है ।

भविष्य के निर्माता

आज का आदर्श विद्यार्थी ही कल का आदर्श नागरिक और नेता आदि सब कुछ बना करता है , इस कारण वह जीवन और समाज के हर रंग रूप को निकट से , गहरी दृष्टि से देखने – समझने का यत्न भी करता रहता है । वह उस व्यक्ति की सहायता करता है जिसे वास्तव में उसकी आवश्यकता हुआ करती है । वह भूले – भटकों का हाथ पकड़ कर उन्हें सही – सीधी राह पर लगाया करता है । दुखियों , अत्याचार – पीड़ितों को दुखों और अत्याचारों से बचाने की हर संभव कोशिश किया करता है । जहाँ कहीं भी उसे अच्छाई दिखाई देती है , उसे ग्रहण करके बुराइयों से दूर भागता है ।

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हमेशा दूसरों की सहायता और छोटे – मोटे काम कर देने के लिए तत्पर रहा करता है । वह उन तत्वों से हमेशा सावधान रहा करता है कि जो पढ़ाई – लिखाई तथा हर अच्छाई की राह में बाधाएँ खड़ी करने और कष्ट बिखेरने को चेष्टा में लगे रहते हैं । जो जीवन और समाज की शान्ति , व्यवस्था और सद्भाव को नष्ट कर देना चाहते हैं , आदर्श विद्यार्थी ऐसे लोगों से स्वयं तो सावधान रहा ही करता है , बाकी सभी को भी सावधान करके उनके जाल में नहीं फँसने देता ! आदर्श बनने की इच्छा रखने वाला विद्यार्थी जिस वातावरण में रहता है ,उसमें उसके । कुछ सहपाठी , कुछ साथी गप्पी , बातूनी और बुरे स्वभाव वाले भी हो सकते हैं । ऐसे लोग इधर – उधर मटरगश्ती करके , गप्पें हाँकते रह कर या शरारतों में डूब अपना समय तो बरबाद करते ही हैं , बाकी का समय भी नष्ट कर दिया करते हैं ।

ऐसे लोग कुसंगति में पड़कर आजकल धूम्रपान , शराब , स्मैक आदि नशों का शिकार होकर अपना जीवन बरबाद कर लिया करते हैं । आदर्श बनने का इच्छुक विद्यार्थी अपने – आपको इस प्रकार की बुराइयों का शिकार कभी नहीं बना सकता । इस प्रकार के लोगों से हमेशा दूर ही रहा करता है । इन बुराइयों ने आज के समाज को खोखला कर रखा है । ये बुराइयाँ अच्छे – भले घर – परिवारों को तबाह कर रही हैं । आदर्श विद्यार्थी सावधान रहकर और प्रयत्न करके इस तरह की बुराइयों का शिकार हो चुके लोगों को नया जीवन दान दे सकता है।

आदर्श विद्यार्थी के गुण

अच्छा और आदर्श विद्यार्थी वहीं होता है , जो राजनीति करके अपनी रोटी – रोज़ी चलाने वाले बनावटी राजनेताओं के चक्कर में नहीं फँसा करता ! राजनीति के नाम पर होने वाली चोंचलेबाजी और तोड़ – फोड़ से दूर रहता है । इस प्रकार की कार्यवाहियों को अपनी तथा साथियों की शिक्षा में बाधक नहीं बनने देता । न स्वयं भटका करता है , न दूसरों को भटकाया करता है !

आदर्श विद्यार्थी सादगी का महत्त्व समझता है । स्वयं तो सीधा – सादा और सरल जीवन व्यतीत करता ही है , दूसरों को भी प्रेरणा दिया करता है । वह समय का भी बड़ा पाबन्द होता है । एक – एक पल से ही हमारा जीवन बनता है , ऐसा जानते हुए वह हमेशा समय का सदुपयोग किया करता है । कहा जा सकता है कि घड़ी की सुइयाँ उसका आदर्श बन जाया करती हैं ! कुल मिलाकर अच्छा या आदर्श विद्यार्थी वही हो सकता . जो हर मूल्य पर पानवीय अच्छाइयों को मान देता और उनका उचित निर्वाह किया करता है।

उपसंहार

आज का हमारा जीवन एवं समाज जिस तरह की कठोर – विषम परिस्थितियों से गुज़र रहा है , चारों तरफ जिस प्रकार हर स्तर पर भ्रष्टाचार का राज पनप रहा है , उन सब के रहते आदर्श बन पाना , आदों का निर्वाह कर पाना सरल कार्य नहीं ! फिर भी सत्य यही है कि आदर्श बनकर , आदर्शों की रक्षा करके ही जीवन , समाज और राष्ट्र की रक्षा हो सकती है , अन्य कोई उपाय नहीं !

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