vayu pradushan per nibandh
भूमिका
वायु हमारे पर्यावरण का एक महत्त्वपूर्ण अंग है जो हमारे जीवन की आधारशिला है । यदि चन्द्रमा या मंगल पर जीवन नहीं है तो इसका कारण यह भी है कि वहाँ वायु नहीं है । केवल अवायु जीव ही ऐसे सूक्ष्मजीव हैं जो बिना वायु के भी जीवित रह सकते हैं । अन्य जीवों में निरन्तर चलने वाली श्वसन क्रिया के लिए वायु की उपस्थिति आवश्यक है । लेकिन सबसे अति आवश्यक यह है कि प्राणदायी वायु शुद्ध हो ।
वायुमंडल में विभिन्न गैसों को एक निश्चित अनुपात होता है और इस अनुपात में ऑक्सीजन के अतिरिक्त किसी अन्य तत्त्व जैसे ठोस , द्रव या गैस आदि की वृद्धि हो तो इसे ही वायु प्रदूषण कहते हैं । साधारण शब्दों में वायु में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोक्साइड जैसे हानिकारक गैसों की मात्रा का बढ़ना ही वायु प्रदूषण है । वायु प्रदूषण केवल भारत की समस्या हो ऐसी बात नहीं है , आज विश्व की अधिकांश जनसंख्या इसकी चपेट में है । इस गम्भीर समस्या से निपटने के लिए इसके अप्राकृतिक कारणों एंव उनसे पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है ।
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वायु प्रदूषण के कारण
1) बढ़ती हुई जनसंख्या वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है । इसकी वजह से शहरों व नगरों में आवास समस्या उत्पन्न हो गई लोगों ने शहरों के आस – पास बस्तियों का निर्माण करना आरम्भ कर दिया । वहाँ जल – निकासी , सीवरेज की समुचित व्यवस्था न होने से गंदी बस्तियों ने वायु – प्रदूषण को बढ़ावा दिया ।
2) औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के कारण नए – नए कारखानों , ताप एवं बिजली घरों तथा मोटरगाड़ियों का प्रयोग बढ़ा है । इन कारखानों से बड़ी मात्रा में कार्बन , सल्फर , मोनोक्साइड , धुआँ , विषले कार्बनिक पदार्थ हमारे वायुमंडल में पहुंच रहे हैं और वायु को तेजी से दूषित कर रहे हैं ।
3) आधुनिक युग में यातायात साधनों में दिन प्रति – दिन वृद्धि होती जा रही है । छोटे – छोटे गांव में भी इन वाहनों का प्रवेश हो चुका है । एक जानकारी के अनुसार दिल्ली में इन वाहनों की संख्या 22 लाख से भी अधिक बताई गई है । ये वाहन ऑक्सीजन नष्ट करने के साथ ही कई प्रकार की अन्य विषैली गैसें वायुमंडल में पहुँचा रहे हैं । एक मोटरगाड़ी इस प्रकार एक मिनट में इतनी ऑक्सीजन को नष्ट करती है जितनी 1135 व्यक्तियों को श्वसन क्रिया में आवश्यकता होती है ।
4) धूम्रपान द्वारा उड़ने वाला धुआँ भी प्रदूषण फैलाता है । एक अनुमान के अनुसार दुनिया में लगभग 50 लाख से अधिक सिगरेट प्रतिदिन फूंकी जाती हैं जो न पीने वालों के लिए भी खतरनाक होती है ।
5) जैट हवाई जहाजों द्वारा हाइड्रोकार्बन आदि गैसें वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं जो वायुमंडल को दूषित करने के साथ – साथ हमारे सुरक्षा – ओजोन परत को भी हानि पहुँचा रही है ।
6) मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों की कटाई से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है । पेड़ – पौधे हानिकारक प्रदूषण गैस कार्बनडाइऑक्साइड को अपना भोजन बनाने के लिए ग्रहण करते हैं और जीवनदायी गैस ऑक्सीजन प्रदान करते हैं । लेकिन मानव ने अपनी सुविधा हेतु इनकी अंधाधुंध कटाई की है । अतः हरे-भरे पौधों की कमी से वायु का प्रदूषण बढ़ सा गया है।
7) परमाणु परीक्षण से नाभिकीय कण वायुमंडल में फैलते हैं जो वनस्पति तथा प्राणियों पर घातक प्रभाव डालते हैं ।
8) वायु प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से भी होता है जैसे तेज़ हवाएँ व तुफान चलने , वनों में आग लगने , ज्वालामुखी फटने आदि से । इन क्रियाओं से भी वायुमंडल का संतुलन बिगड़ता है और वायु दूषित हो जाती है ।
9) वायु प्रदूषण से प्राणियों पर ही नहीं निर्जीव पत्थरों पर प्रभाव पड़ता है । मथुरा तेल शोधक कारखाने से ताजमहल का रंग काला हो रहा है , जो वायु प्रदूषण का ही कुष्परिणाम है । भोपाल गैस कांड भी वायु प्रदूषण का एक ज्वलंत उदाहरण है जिससे सैकड़ों लोगों का जीवन चला गया व जो जीवित हैं उनकी हालत मरने वालों से भी बदत्तर है ।
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वायु प्रदूषण के प्रभाव
1) यदि वायुमंडल में लगातार अवांछित रूप से कार्बनडाइऑक्साइड , कार्बन मोनोआक्साइड , हाइड्रोकार्बन , सल्फरडाइऑक्साइड आदि मिलते रहें तो स्वाभाविक है कि ऐसे प्रदूषित वातावरण में श्वास लेने से श्वास संबंधी रोग होंगे । साथ ही उल्टी , घुटन , सिरदर्द , आंखों में जलन आदि बीमारियाँ होना सामान्य बात है ।
2) वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएँ में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है , जिससे दमा रोग हो जाता है ।
3) कुछ रासायनिक गैसें वायुमंडल में पहुँचकर वहाँ ओजोन – मंडल से क्रिया कर उसकी मात्रा को कम करती हैं । ओजोन मंडल अंतरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकिरणों को अवशोषित करती है । ओजोन मंडल हमारे लिए ढाल का काम करता है लेनिक जब ओजोन मंडल की कमी होगी तब त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग से ग्रस्त हो सकती है ।
4) वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर कम होना भी प्राणियों के लिए घातक है , क्योंकि ऑक्सीजन की कमी में प्राणियों को श्वसन में बाधा आयेगी ।
5) वायु प्रदूषण के कारण भवनों , धातु स्मारकों आदि का क्षरण होता है ।
6) कारखानों से निकले रासायनिक पदार्थ व गैसों का फसलों व वृक्षों द्वारा अवशोषण करने से प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ता । इस प्रकार वायु प्रदूषण से व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय स्तर पर बहुत हानि होती है , अतः इसे नियंत्रित करने के लिए यथासंभव उपाय करने चाहिए ।
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वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय
1) कारखानों को शहरी क्षेत्र की आबादी से दूर स्थापित करना चाहिए । साथ ही हमें ऐसे उपाय उपयोग में लाने चाहिएं जिनसे कि धुएँ का अधिकतम भाग अवशोषित हो जाए और अवशिष्ट पदार्थ व गैसें अधिक मात्रा में वायु में न मिल पाएँ ।
2) धुआँ रहित चूल्हे , बायो – गैस व सौर ऊर्जा की तकनीकी को प्रोत्साहित करना चाहिए ।
3) ऐसे ईंधन का प्रयोग करना चाहिए जिसका पूर्ण ऑक्सीकरण हो जाए व धुआँ कम से कम निकले । उदाहरणतया वाहनों तथा घरों में सी.एन.जी. ( CNG ) गैस का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
4) शहरों – नगरों में अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन हेतु सीवरेज की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
5) वनों की हो रही अंधाधुंध कटाई को रोकना चाहिए । खुले स्थानों पर स्कूलों में अधिकाधिक पेड़ – पौधे लगाने चाहिए ।
6) ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे वृक्ष अधिक लगाने चाहिए जिनकी लकड़ी से धुआँ कम होता है , जैसे बबूल ।
7) हमें जनसाधारण को सूचित करना चाहिए और उनमें जागरूकता लानी चाहिए कि पेड़ों और पौधों से पर्यावरण कैसे शुद्ध होता है ।
8) वायु – प्रदूषण को पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों में इसके प्रति चेतना जागृत की जानी चाहिए ।
9) सरकार द्वारा बनाए गए वायु – प्रदूषण को रोकने हेतु नियमों का पालन करना चाहिए । व इन नियमों को कठोरता से लागू करना चाहिए ।
10) संचार माध्यम जैसे अखबार , रेडियो , टी.वी. से समय – समय पर प्रसारित होने वाले प्रदूषण रोकने हेतु उपायों की जानकारी देनी चाहिए एवं प्रचार करना चाहिए ।
11) घरों के साथ – साथ सार्वजनिक स्थानों पर सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
12) वायु – प्रदूषण रोकने के नियमों का उल्लंघन करने वालों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए एवं प्रचार करना चाहिए ।
उपसंहार
वायु प्रदूषण काफी खतरनाक है। इसे नियंत्रित करना आवश्यक है; अन्यथा, पृथ्वी पर जीवन के सभी चिन्ह नष्ट हो जाएंगे। वायु प्रदूषण तब तक नियंत्रित नहीं होगा जब तक हम सब इसके बारे में नहीं सोचेंगे। हमारी सरकार हर गली और मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण को नियंत्रित नहीं कर पाएगी, इसलिए हमें आगे बढ़कर इसके बारे में जागरुकता फैलानी होगी।