हरिवंश राय बच्चन पर निबंध | Harivansh Rai Bachchan par nibandh

Harivansh Rai Bachchan par nibandh

भूमिका

हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के छायावादोत्तर काल के प्रमुख कवियों में से एक माने जाते हैं। उन्हें हालावाद के प्रवर्तक के रूप में श्रेय दिया जाता है। उनकी आधुनिक हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। उन्होंने साहित्य को प्रेम और आनंद से भरकर एक नया मोड़ दिया। उन्होंने प्रेम और सौंदर्य को अस्तित्व के आवश्यक पहलुओं के रूप में दिखाया है। वे प्रेम में डूबकर रस की ऐसी धारा बहाते हैं, कि वे पूरे ब्रह्मांड को मोहित कर लेते हैं।

Harivansh Rai Bachchan par nibandh

जीवन परिचय

हरिवंशराय बच्चन का जन्म प्रयागराज में मार्गशीर्ष कृष्ण 7 , संवत् 1964 वि ० ( 27 नवंबर ,1907 ई ० ) में हुआ । बच्चन जी के पिता का नाम प्रताप नारायण और माता का नाम सरस्वती देवी था। इन्होंने काशी और प्रयागराज में शिक्षा प्राप्त की । कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने डॉक्टरेट की । कुछ समय ये प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे और फिर दिल्ली स्थित विदेश मन्त्रालय में कार्य किया और वहीं से अवकाश ग्रहण किया । बच्चन उत्तर छायावादी काल के आस्थावादी कवि थे । इनकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की सामान्य एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है ।

सरलता , संगीतात्मकता , प्रवाह और मार्मिकता इनके काव्य की विशेषताएँ हैं और इन्हीं से इनको इतनी अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई । बच्चन जी को उनकी आत्मकथा के लिये भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘ सरस्वती सम्मान -1991 ‘ से सम्मानित किया गया । इसके अतिरिक्त इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार , सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो – एशियन राइटर्स कान्फ्रेन्स का लोटस पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है । राष्ट्रपति ने भी इन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया । 18 जनवरी , सन् 2003 ई ० में बच्चनजी का निधन हो गया ।

वैवाहिक जीवन

हरिवंश राय बच्चन ने अपने जीवन में दो शादियाँ किये थे। पहली शादी उन्होंने श्यामा देवी से की। शादी के वक्त उनकी उम्र महज 19 साल और पत्नी की उम्र 14 साल थी। यह बहुत ही अफ़सोस की बात थी कि श्यामा देवी की 24 वर्ष की आयु में तपेदिक से मृत्यु हो जाने के बाद से उनका विवाहित संबंध लंबे समय तक नहीं चला। परिणामस्वरूप, वर्ष 1936 में उनकी युवावस्था में मृत्यु हो गई। समय बीतता गया। पांच साल हो गए हैं जब उन्होंने आखिरी बार एक दूसरे को देखा था। फिर बच्चन ने 1941 में तेजी बच्चन से शादी की, जो उनकी दूसरी शादी थी। इन दोनों के दो बच्चे हुए , जिनमें से एक बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन है और दूसरा सबसे छोटा बेटा अजिताभ एक व्यवसायी हैं।

Harivansh Rai Bachchan par nibandh

प्रमुख रचनाएँ

बच्चन सबसे पहले उमर खय्याम के जीवन दर्शन से काफी प्रभावित थे। इससे उनका जीवन और भी सुखमय हो गया।
इनकी काव्य – कृतियों में प्रमुख हैं —
मधुशाला (1935)
मधुबाला (1936)
मधुकलश (1937)
निशा निमन्त्रण (1938)
एकान्त संगीत (1939)
आकुल अंतर (1943)
सतरंगिणी (1945)
मिलन यामिनी (1950)
प्रणय पत्रिका (1955)
बुद्ध का नाचघर (1958)
आरती और अंगारे (1958)
त्रिभंगिमा (1961)
जाल समेटा ( 1973) ।
प्रतीक के रूप में, उन्होंने मधुशाला, मधुबाला, हाला और प्याला को स्वीकार किया।

निबंध-संग्रह

नए पुराने झरोखे (1962)
टूटी-छूटी कड़ियाँ (1973)

डायरी :- प्रवास की डायरी (1971)

आत्मकथा
क्या भूलूँ क्या याद करूं (1969 ई.)
नीड़ का निर्माण फिर (1970 ई.)
बसेरे से दूर (1978 ई.)
दशद्वार से सोपान तक (1985 ई.)। यह चार खंडों में विभाजित है।

साहित्यिक सेवाएँ

बच्चन जी की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उनके जीवन में दुःख और निराशा की काली छाया पड़ गई थी। इसके स्वर ‘निशा-निमंत्रण’ और ‘एकांत संगीत’ गीतों में सुने जा सकते हैं। इसी समय से इनके हृदय की गम्भीर वृत्तियों का विश्लेषण आरम्भ हुआ , किन्तु ‘ सतरंगिणी ‘ में फिर नीड़ का निर्माण किया गया और जीवन का प्याला एक बार फिर उल्लास और आनन्द के आसव से छलकने लगा । बच्चन वास्तव में व्यक्तिवादी कवि रहे हैं ।

‘ बंगाल का काल ‘ तथा इसी प्रकार की अन्य रचनाओं में इन्होंने अपने जीवन के बाहर विस्तृत जनजीवन पर भी दृष्टि डालने का प्रयत्न किया । इन परवर्ती रचनाओं में कुछ नवीन विषय भी उठाये गये और कुछ अनुवाद भी प्रस्तुत किये गये । इनमें कवि की विचारशीलता तथा चिन्तन की प्रधानता रही । वास्तव में इनकी कविताओं में राष्ट्रीय उद्गारों , व्यवस्था में व्यक्ति की असहायता और बेबसी के चित्र दिखायी पड़ते हैं ।

भाषा शैली

परवर्ती रचनाओं में कवि की वह भावावेशपूर्ण तन्मयता नहीं है , जो उसकी आरम्भिक रचनाओं में पाठकों और श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध करती रही । इन्होंने सरस खड़ीबोली का प्रयोग किया है । शैली भावात्मक गीत शैली है , जिसमें लाक्षणिकता और संगीतात्मकता है ।

Harivansh Rai Bachchan par nibandh

निष्कर्ष

हरिवंशराय बच्चन एक ऐसा नाम है जिसे आज भी हिंदी साहित्य जगत में गर्व के साथ याद किया जाता है। हरिवंशराय बच्चन जी एक प्रसिद्ध भारतीय हिंदी कवि और लेखक थे, जिन्होंने अपने महान रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य में एक नए युग की शुरुआत की। उन्हें नई सदी के लेखक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जीवन की सच्चाई को बखूबी अभिव्यक्त किया है। उसकी रचनाएँ हृदयस्पर्शी हैं, और हर कोई जो उन्हें पढ़ता है, मोहित हो जाता है।

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