सोहनलाल द्विवेदी पर निबंध | Sohanlal Dwivedi par nibandh in hindi

Sohanlal Dwivedi par nibandh

भूमिका

सोहनलाल द्विवेदी को न केवल एक प्रसिद्ध गांधीवादी कवि के रूप में माना जाता है, बल्कि एक तरह के राष्ट्रीय जागरूकता कवि के रूप में भी जाना जाता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सोहनलाल द्विवेदी की कविताओं ने आग में घी का काम किया। आनंद और उत्सव की कविता लिखने के साथ-साथ, उन्होंने वर्तमान घटनाओं और चिंताओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ने का शुभ भी दिया।

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जीवन परिचय

सोहनलाल द्विवेदी का जन्म 22 फरवरी 1906 ई ० में उत्तरप्रदेश राज्य के फतेहपुर जिले के बिन्दकी नामक कस्बे में हुआ था । द्विवेदीजी का परिवार सुखी सम्पन्न था, अतः इनकी शिक्षा की व्यवस्था बचपन से ही बहुत अच्छी थी । हाईस्कूल तक की शिक्षा फतेहपुर में हुई । उच्च शिक्षा के लिए यह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय , वाराणसी गये । वहीं से इन्होंने एम. ए. और एल. एल.बी. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं । हिन्दी के सुयोग्य अध्यापक पं ० बलदेवप्रसाद शुक्ल से इन्हें साहित्यिक संस्कार प्राप्त हुए ।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ये मदनमोहन मालवीय के सम्पर्क में आये । इनके मन में देश – प्रेम की भावना दृढ़ हुई । महात्मा गाँधी की विचारधारा से यह परिचित हुए । स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और जेल भी गये । सन् 1938 से 1942 ई ० तक दैनिक राष्ट्रीय पत्र ‘ अधिकार ‘ का लखनऊ से सम्पादन करते रहे । कुछ वर्षों तक ‘ बालसखा ‘ के अवैतनिक सम्पादक भी रहे । स्वतन्त्रता के बाद गाँधीवाद की मशाल जलाये रखने वाले इस कवि योद्धा का निधन 29 फरवरी , सन् 1988 ई ० को हुआ ।

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साहित्यिक सेवाएँ

द्विवेदीजी ने किसानों की दशा , खादी का प्रचार , ग्रामोद्योग की उन्नति आदि विषयों को लेकर अपने गीतों की रचना की है । अपनी कविताओं के माध्यम से इन्होंने देश के नवयुवकों में अभूतपूर्व उत्साह एवं देश – प्रेम की भावना का संचार किया । इनकी बाल – कविताएँ भी नवीन उत्साह और जागरण का मन्त्र फेंकने वाली हैं । सन् 1941 ई ० में इनका प्रथम काव्य – संग्रह ‘ भैरवी ‘ प्रकाशित हुआ । इसके बाद द्विवेदी जी निरन्तर साहित्य – साधना में लगे रहे । बालकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से भी इन्होंने श्रेष्ठ साहित्य का सृजन किया ।

रचनाएँ

द्विवेदीजी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:–
( 1 ) कविता संग्रह – भैरवी , पूजा गीत , चेतना , प्रभाती आदि । इनमें राष्ट्रीयता , समाज – सुधार एवं मानवोत्थान का आह्वान करने वाली कविताएँ संकलित हैं ।
( 2 ) बाल कविता संग्रह – शिशु भारती , दूध बतासा , बाल भारती , बिगुल , बाँसुरी , झरना तथा बच्चों के बापू द्विवेदीजी के बाल – कविता संग्रह हैं ।
( 3 ) प्रेमगीत संग्रह — ‘ वासन्ती ‘ द्विवेदीजी का प्रेम के गीतों का संग्रह है , जिसमें प्रेम के उदात्त रूप की सरस अभिव्यक्ति हुई है ।
( 4 ) आख्यान काव्य – विषपान , वासवदत्ता , कुणाल द्विवेदीजी के प्रसिद्ध प्रबन्ध आख्यान काव्य हैं । इनमें इतिहास तथा कल्पना का अद्भुत समन्वय है ।

भाषा शैली

द्विवेदीजी की भाषा सरल , परिष्कृत खड़ीबोली है । कहीं – कहीं पर संस्कृत शब्दों का तत्सम रूप में प्रयोग किया गया है । भाषा में व्यावहारिक शब्दों तथा मुहावरों का अनेक स्थलों पर प्रयोग कवि ने किया है । कुछ स्थानों पर उर्दू भाषा के प्रचलित शब्दों के प्रयोग भी देखने को मिलते हैं । इन्होंने प्रबन्ध एवं मुक्तक दोनों ही शैलियों में काव्य रचना की है ।

Sohanlal Dwivedi par nibandh

निष्कर्ष

सोहनलाल द्विवेदी हिंदी साहित्य के एक ऐसे कवि हुए , जिन्होंने राष्ट्रसेवा की नव विकास और समाज सेवा के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा प्रदान की। जनता के मानस में उन्होंने राष्ट्रीय चेतना का संचार किया है। फलतः लोगों में नई जोश और उमंग जागृत करने के कारण उन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित भी किया गया। वे भारतीय जन मानस में सदैव स्मरणीय रहेंगे।

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