जगदीश चन्द्र बसु की जीवनी | biography of Jagdish Chandra Basu

Jagdish Chandra Basu ki jivani

जीवन परिचय

जगदीश चन्द्र बसु का जन्म 30 नवम्बर , 1885 ई० को हुआ था । इसके पिता श्री भगवान चन्द्र बसु फरीदपुर में डिप्टी मैजिस्ट्रेट थे । जगदीश चन्द्र बसु की प्रारम्भिक शिक्षा अपने ग्रामीण विद्यालय में ही हुई और सेन्ट जेवियर कॉलेज कलकत्ता से उन्होंने स्नातक ( बी०ए० ) परीक्षा उत्तीर्ण की । तत्पश्चात वे लन्दन गए और वहाँ से उन्होंने बी०एस०सी० की डिग्री प्राप्त की और कलकत्ता लौट आये एवं प्रेसीडेन्सी कॉलेज में भौतिकी के अध्यापक हो गये । जगदीश चन्द्र बसु ने अध्यापन कार्य करते हुए ‘ बेतार के तार ‘ के सम्बन्ध में खोज करना प्रारम्भ किया ।

Jagdish Chandra Basu ki jivani

प्रमुख खोज

जगदीश चन्द्र वसु ने अपने प्रयोगों के माध्यम से यह खोज निकाला कि बौद्धिक कारणों की जैसी प्रतिक्रिया जीवों में होती है , उसने मिलती – जुलती प्रतिक्रिया जड़ पदार्थी में भी होती है । वनस्पति जगत में भी उन्होंने इसी प्रकार के परीक्षण किये और यह सिद्ध किया कि जैसे चोट लगने से प्राणियों को पीड़ा होती है उसी तरह पेड़ – पौधों को भी चोट लगने से पीड़ा होती है । 1901 ई० में जगदीश चन्द्र बसु पुनः इंगलैंड गए और अपनी खोजों को रॉयल सोसाइटी के सम्मुख रखा ।

Jagdish Chandra Basu ki jivani

पुरस्कार व सम्मान

1915 ई० में जगदीश चन्द्र बसु को ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में निमंत्रित किया गया । इन विश्वविद्यालयों में अपना भाषण देने के बाद श्री बसु अमेरिका गये और वहाँ भी उनका बहुत अधिक सम्मान हुआ । राष्ट्रसंघ ने उन्हें अपनी उस समिति का स्थाई सदस्य बनाया । फ्रांस की भौतिक विज्ञान सोसाइटी ने भी उन्हें अपनी कौन्सिल का सदस्य बना कर सम्मानित किया ।

कई विश्वविद्यालयों ने उन्हें डक्टरेट की उपाधि से भी विभूषित किया । भारत सरकार ने उन्हें CIE , CSI , Sir की उपाधियों एवं डिग्रियों ने विभूषित किया । बसु को जार्ज बनार्ड शॉ और रोमारोला आदि साहित्यकारों ने भी सम्मानित किया । 30 नवम्बर 1917 में ‘ बसु विज्ञान मन्दिर ‘ की स्थापना की गई जिसके हेतु जगदीश चन्द्र बसु ने 5 लाख रुपये दिये ।

मृत्यु

23 नवम्बर 1936 ई० को 78 वर्ष की अवस्था में इस महान वैज्ञानिक का देहावसान हो गया ।

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