आर्कमिडीज की जीवनी | hindi biography of Archimedes

Archimedes ki jivani

जीवन परिचय

आर्कमिडीज का जन्म इटली के दक्षिणवर्ती द्वीप सिसली के साइराक्यूस नामक नगर में 287 ई० पू० में हुआ था । इनके पिता फिडियस , यूनान नगर के निवासी और खगोल विद्या के विद्वान थे । आर्कमिडीज ने सिकन्दरिया नामक नगर में शिक्षा पाई और युवावस्था तक इसी नगर में रहे । बाद में वे साइराक्यूस चले गये । इनकी मृत्यु 212 ई० पू० में हो गई।

उन दिनों साइराक्यूस का राजा ‘ हीरो ‘ था । वह आर्कमिडीज को अपना मित्र मानता था । राजा बनने की खुशी में उसने एक मंदिर बनवाया और उस मंदिर से प्रतिष्ठित मूर्ति के लिए सोने का एक मुकूट । परन्तु हीरो को यह संदेह हुआ कि इस मुकूट को बनाने में सूनार ने कुछ सोना निकाल लिया है और उसमें उतनी ही मात्रा में चाँदी मिला दी है । इस मिलावट की जाँच करने का काम हीरो ने आर्कमिडीज को सौंप दिया ।

Archimedes ki jivani

Archimedes ki jivani

प्रमुख खोज

एक दिन आर्कमिडीज सार्वजनिक स्नानागार में गया और जैसे ही कपड़े उतार कर होज में स्नान करने के लिए उतरा , कुछ पानी हौज से बाहर निकलने लगा । यह देखकर आर्कमिडीज बड़ा प्रसन्न हुआ और उसको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया जिसके लिए वह परेशान था । वह तत्काल , बिना कपड़े पहने ही यह चिल्लाता हुआ कि – ‘ मिल गया ‘ दौड़ पड़ा । आर्कमिडीज को उस दिन जो तथ्य मिला , उसकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है , ” जब कोई वस्तु किसी द्रव में डूबोई जाती है , तो वह द्रव कुछ ऊपर उठ जाता है और वस्तु का भार कुछ कम प्रतीत होने लगता है । द्रव जितना अधिक ऊपर उठता है उतना ही अधिक उस वस्तु का भार कम हो जाता है । ”

आर्कमिडीज ने इसी सिद्धांत से मुकुट में सोने की मिलावट का पता लगा लिया । उसने देखा कि सोना लगभग सबसे भारी धातु है । अतः सोने को पानी में डुबाने पर अन्य हल्की धातुओं की अपेक्षा इस पानी की उछाल कम होगी । यदि सोने में मिलावट है तो मिश्रित धातु पर , असली सोने की अपेक्षा पानी की उछाल अधिक होगी । इस प्रकार पानी तौलने पर मिलावट का भेद स्पष्ट हो जायेगा । इस सिद्धांत के आधार पर आर्कमिडीज ने इस मिलावट का पता लगा लिया जो मुकुट में की गई थी ।

विशेष यंत्रों का आविष्कार

एक बार साइराक्यूस राज्य पर रोमन लोगों ने आक्रमण कर दिया । साइराक्यूस छोटा – सा राज्य था और रोमन सेनाएँ विशाल थीं । अतः हीरो घबरा गया और उसने राज्य की रक्षा का भार विद्वान आर्कमिडीज को सौंप दिया । आर्कमिडीज ने ऐसे – ऐसे यन्त्र बनाएँ जिनके आगे रोमन सेना के छक्के छूट गये । उसने ऐसे इंजन तैयार किये जो बड़े – बड़े पत्थर शत्रुओं की नावों पर फेंकते थे । इनसे नावें टूट जाती थीं और उसमें बैठे हुए सैनिक समुद्र में डूब जाते थे ।

कभी वह शत्रु की नावों की चरखी वाले रस्से से अपनी ओर खींच लेता तो कभी क्रेननुमा यन्त्रों से जहाज व नावों को आकाश में लटका देता । उसने शीशे के दर्पण द्वारा सूर्य की गर्मी केन्द्रित करके रोमन सेना के जंगी जहाजों को जलाकर राख कर दिया । इससे सेनापति घबरा गया और उसने युद्ध – कौशल के बजाय छल – कपट की नीति अपनाकर साइराक्यूस पर विजय प्राप्त की । साइराक्यूस पर विजय प्राप्त होते ही रोमन सेनापति आर्कमिडीज से मिलना चाहता था क्योंकि वह उसकी प्रतिभा पर मुग्ध था ।

निष्कर्ष

आर्किमिडीज दुनिया के बेहतरीन गणितज्ञों और वैज्ञानिकों में पहले स्थान पर हैं, जिन्होंने न केवल आधुनिक गणित के विकास में योगदान दिया है बल्कि भौतिकी के क्षेत्र में सापेक्ष घनत्व के विचार को भी प्रस्तावित किया है। वह दुनिया को सौर ऊर्जा के प्रभाव से परिचित कराने वाले पहले व्यक्ति भी थे। वह एक यांत्रिक इंजीनियर भी थे जिन्होंने मशीनों में लीवर के उपयोग और आवश्यकता को व्यवहार में लाया। इनके इस बहुमूल्य योगदान को कदापि भुलाया नहीं जा सकता।

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