santulit bhojan par nibandh
भूमिका
भोजन का स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। यह हमारे शरीर की एक मौलिक आवश्यकता है। घर, कपड़ों तथा अन्य सुविधाओं के बिना हम जीवित रह सकते हैं परंतु भोजन के बिना अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते। मानव दिन-रात, सर्दी-गर्मी, सुख-दुख के होते हुए भी अपनी जीविका के लिए प्रयत्न करता है तथा जीवित रहने के लिए भोजन लेता है लेकिन ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जिन्हें यह ज्ञान है कि कौन-सा और कैसा भोजन किस समय खाना चाहिए तथा वह स्वास्थ्य के लिए कितना गुणकारी या हानिकारक है।
व्यक्ति को आयु भर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए यह जानना जरूरी है कि उसके शरीर की क्या आवश्यकता है। भोजन उसके अनुकूल है या नहीं। बूढ़े, बच्चे, जवान, स्त्री, पुरुष तथा गर्भवती स्त्री के लिए एक-सा ही भोजन अनुकूल नहीं रहता। इन सबके अलग-अलग भोजन पदार्थ तथा भोजन के तत्व होते हैं। इसलिए आवश्यकता के अनुसार शरीर के लिए पौष्टिक भोजन बहुत जरूरी है जिससे शरीर सुचारू रूप से चल सकें।
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सन्तुलित भोजन का अर्थ
‘ सन्तुलित भोजन ‘ उस भोजन को कहते हैं जो शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और अपेक्षाओं को तृप्त करता है , जिसमें भोजन के सभी आवश्यक पौष्टिक तत्त्व सम्मिलित हों और इन तत्त्वों का उचित अनुपात व्यक्ति की आयु , लिंग और काम करने की स्थिति आदि का ध्यान रख कर निर्धारित किया गया हो। संतुलित भोजन मनुष्य की भोजन सम्बन्धी समस्त आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करके उसे स्वस्थ रखता है । अतः ऐसे सन्तुलित भोजन सभी पौष्टिक तत्त्व जैसे प्रोटीन , विटामिन कार्बोहाइड्रेट, वसा खनिज लवण तथा जल उचित अनुपात में होते हैं ।
संतुलित भोजन का महत्त्व
● कार्य करने के लिए शरीर को वांछित ऊर्जा सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार ही प्रदान करता है । विभिन्न क्रियाओं और गतिविधियों में नष्ट हुई ऊर्जा को भी सन्तुलित भोजन ही पुनः प्रदान करता है कार्बोहाइड्रेट तथा वसा से युक्त पदार्थ ऊर्जा देने वाले भोज्य पदार्थों के रूप में जाने जाते हैं ।
◆ संतुलित व पौष्टिक भोजन शरीर को स्वस्थ रखता है और विभिन्न रोगों के रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है जिससे शरीर का रोगों से बचाव होता है ।
● सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन शरीर में सामान्य तापक्रम ( 37 ° C ) बनाए रखने में सहायक सिद्ध होता है ।
◆ सन्तुलित आहार से शरीर को सभी रासायनिक पदार्थ यथेष्ट मात्रा में मिलने से बच्चे का स्नायुतंत्र ठीक प्रकार कार्य करता है जिससे बच्चे के मस्तिष्क को शक्ति मिलती है ।
● सन्तुलित भोजन कार्य करने के लिए बच्चों में स्फूर्ति बनाए रखता है । वे प्रसन्नचित्त रहते हुए अपने कार्यों को सम्पन्न करते हैं ।
◆ सन्तुलित व पौष्टिक भोजन शरीर के उत्तको की मुरम्मत करने का कार्य करता है । पुराने टूटे हुए तन्तुओं की मुरम्मत और नवनिर्माण का कार्य भी सन्तुलित भोजन ही करता है ।
अन्य महत्व
● सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन शारीरिक वृद्धि एवं विकास करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ , शरीर निर्माण करने वाले भोज्य पदार्थों के रूप में जाने जाते हैं । मांस , दूध , मछली , अण्डे , दालें , तेल , मूंगफली , अखरोट , बादाम आदि इस प्रकार के उदाहरण हैं । सन्तुलित व पौष्टिक भोजन के बिना मानव शरीर वृद्धि , विकास और क्रिया करने में सक्षम नहीं हो सकता ।
◆ पोषण तथा स्वाद में संतुलित आहार जीवन को अधिक स्वस्थ बनाता है । व्यक्तित्त्व को निखारता है और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण विकसित करता है । अतः यह सच ही है कि ‘ जैसा भोजन वैसा जीवन ‘ ।
● सन्तुलित व पौष्टिक भोजन हमारे शरीर की उपापचयन क्रिया को ठीक बनाए रखता है इससे शरीर के तन्तुओं का निर्माण और कार्य क्षमता ठीक बनी रहती है ।
◆ संतुलित भोजन खाने के साथ-साथ शरीर की कार्य क्षमता व मानसिक क्षमता में भी वृद्धि करने हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष
मनुष्य को जीवित रहने के लिए जिस तरह स्वच्छ हवा , जल , सूर्य के प्रकाश आदि की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर को भोजन की नितांत आवश्यकता होती है। संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है। व्यक्ति का सामाजिक स्तर या आर्थिक स्तर कैसा भी हो लेकिन उसके स्वास्थ का मुख्य आहार भोजन ही होता है। अतः हमें पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन लेने की आवश्यकता है।