शिवानी पर निबंध | Shivani per nibandh in hindi

Shivani per nibandh

व्यक्तित्व

शिवानी का जन्म राजकोट ( सौराष्ट्र : गुजरात ) में 17 अक्टूबर , सन् 1924 ई० को विजयादशमी के दिन हुआ था । शान्ति निकेतन और कलकत्ता विश्वविद्यालय में आपने शिक्षा पाई । पर्वतीय समाज से आपकी सम्बद्धता रही है । आप लोकप्रिय लेखिका रहीं । आपकी कहानियाँ प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं । 79 साल की शिवानी ने 21 मार्च 2003 ई० को दुनिया से अपना नाता तोड़ चली गई ।

Shivani per nibandh

कृतित्व

शिवानी ने कहानियाँ , उपन्यास और संस्मरण लिखे हैं । प्रकाशित कथा संग्रह हैं- विषकन्या , करिये छिमा , लाल हवेली , अपराधिनी , पुष्पहार तथा चार दिन ।
कृष्णकली , चौदह फेरे , सुरंगमा , श्मशान चम्पा , कैजा , मायापुरी , भैरवी आदि उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं ।

Shivani per nibandh

कथा शिल्प

शिवानी की कहानियों में अधिकतम पर्वतीय समाज से सम्बन्धित समस्याओं , प्रथाओं और मनोभावों का चित्रण किया गया है । आपने भावात्मक और सामाजिक – आर्थिक समस्याओं से जूझती टकराती नारी को बड़े रोचक और मार्मिक रूप में चित्रित किया है । अधिकतम कहानियों के कथानक आपके निजी अनुभवों पर आधारित हैं । आपकी कहानियों में, कथानक का ताना-बाना या तो किसी घटना के इर्द-गिर्द बुना जाता है, या घटना-उन्मुख कथा साहित्य में, एक चरित्र जिज्ञासा और चमत्कारी की विशेषता का निरीक्षण कर सकता है ।

चरित्र-चालित कहानियाँ एक प्रमुख सामाजिक या मानसिक मुद्दे के एक चलते-फिरते चित्र को चित्रित कर सकती हैं। कहानियों में चरित्र लगभग हमेशा उच्च वर्ग के होते हैं। नारी और पुरुष दोनों के ही जीवन्त शब्दचित्र उभारने में आप कुशल रहीं । ‘ लाल हवेली ‘ , ‘ करिये छिमा ‘ , ‘ के ‘ , ‘ चीलगाड़ी ‘ , ‘ मधुयामिनी ‘ आदि आपकी श्रेष्ठ कहानियाँ हैं ।

भाषा शैली

बंगला कथा शैली का आप पर व्यापक प्रभाव पड़ा है । कहानियों की भाषा तत्सम प्रधान है , जिसमें कथावस्तु के अनुरूप आंचलिक शब्दावली , मुहावरों लोकोक्तियों और काव्य पंक्तियों का सुरुचि पूर्ण प्रयोग मिलता है । शब्द – रचना कोमल तथा मोहक है । कवित्व पूर्ण चित्रण और सटीक उपमाओं के कारण आपकी कहानियों का एक विशिष्ट वातावरण है , जिसका सम्मोहन कथा के अन्त तक पाठक पर छाया रहता है । यह लालित्य और कवित्व पूर्ण सम्मोहन ही शिवानी की निजी विशेषता थी , जो उन्हें अन्य कथाकारों से अलग करती है ।

निष्कर्ष

आपकी कहानियों की एक विशेषता उनकी व्यंग्यशीलता भी है । एक बहुत ही बुनियादी और विनम्र दृष्टिकोण में, आपने सामाजिक पूर्वाग्रहों, कटाक्षों और बाह्याडम्बरों पर व्यंग्य किया है । इस व्यंग्य में बुद्धि और मस्ती का एक प्यारा रंग भी है।

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