pustak mela par nibandh
भूमिका
ज्यों-ज्यों पुस्तकों का प्रकाशन होता गया और पुस्तकों के अध्ययन-अध्यापन में लोग रुचि लेने लगे, त्यों-त्यों पुस्तक मेला की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। पुस्तक मेलों में पुस्तकों की प्रदर्शनी के साथ उनकी बिक्री की भी व्यवस्था रहती है।पुस्तक मेला वह स्थान है, जहाँ प्रकाशक, लेखक, शिक्षक, पुस्तक प्रेमी, छात्र और विद्वान, सभी उपस्थित होते हैं और अपनी पसंद की पुस्तक चुनते और खरीदते है। इस मेले में बच्चे, जवान, बूढ़े, लड़के – लड़कियाँ, सभी उम्र और वर्ग के लोग जाते हैं और अपनी – अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें चुनते और उनके अध्ययन से लाभ उठाते हैं। वास्तव में, यह मेला ज्ञान का प्रकाश बिखेरता है। बच्चे रंग – बिरंगी पुस्तके चुनते हैं , नौजवान अपनी पसंद की उपयोगी पुस्तकें खरीदते हैं और बड़े – बुजुर्ग ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें पसंद करते हैं।
उद्देश्य
पुस्तक मेला का मुख्य उद्देश्य पुस्तक प्रेमी जनता में ज्ञान और रुचि की भूख जगाना है। इसके साथ ही देश-विदेश के प्रकाशकों को अपने प्रकाशनों का प्रचार-प्रसार और विज्ञापन करना भी है ताकि लोग अपनी पसंद की पुस्तकें खरीद सकें। इन मेलों में उन्हीं पुस्तकों का प्रदर्शन होता है, जो मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक है, जो मनुष्य की प्रतिभा, बुद्धि और शिक्षा की उन्नति और प्रगति में सहायक हैं। पुस्तक एक प्रकार से हमारा मार्गदर्शन करती है। अंधकार दूर कर प्रकाश लाती है।
pustak mela par nibandh
व्यवस्था
पुस्तक मेला किसी खुले स्थान पर लगता है। अनेक पंक्तियों में प्रकाशकों की दूकानें लगायी जाती है। हर दूकान इस प्रकार सजायी जाती है कि लोगों का ध्यान उस ओर आप ही चला जाय। रात के समय मेला की सजावट देखते ही बनती है। लगता है, जैसे दीवाली का दृश्य हो। यहाँ मनोरंजन की भी सामग्री जुटायी जाती है, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, तरह – तरह के खेल – तमाशे भी होते हैं। इन आयोजनों से दर्शकों के मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्द्धन भी होता है ।
सुरुचि और सौंदर्य का ध्यान रखा जाता है। हर दूकान के सामने भीड़ जमा होती है और लोग पुस्तकों के चुनने में लग जाते हैं। इन पुस्तकों से मन की भूख मिटती है और प्रतिभा तथा ज्ञान को विकसित करने का अवसर मिलता है। इस प्रकार इस तरह के मेले बड़े उपयोगी होते हैं क्योंकि एक ही स्थान पर हमें सभी प्रकार की पुस्तकें देखने, पढ़ने और चुनने का मौका मिल जाता है।
आरंभ
पुस्तक मेला का इतिहास बहुत पुराना नहीं है । विदेशों में जर्मनी, अमेरिका , इंगलैंड आदि देशों में इस तरह के मेले लगते रहे हैं। जर्मनी में फ्रैंकफर्ट पुस्तक काफी प्रसिद्ध है। हमारे देश में आजादी के बाद कुछ प्रकाशकों ने मिलकर पहले पहल दिल्ली में इसका आयोजन किया। आज भी हर साल दिल्ली में पुस्तक मेला का आयोजन होता है। भारत का सबसे लोकप्रिय मेला कलकत्ते में लगता है। दिल्ली और कलकत्ता पुस्तक मेला में भाग लेने के लिए विदेशों से भी प्रकाशक आते हैं। अब देश के अन्य नगरों में भी पुस्तक मेला का नियमित आयोजन होने लगा है। इन मेलों में पाठकों को देश-विदेश से प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों को देखने का अवसर मिलता है।
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निष्कर्ष
पुस्तक मेलों का आयोजन हर दृष्टि से उपयोगी और शिक्षाप्रद है। प्रकाशकों को पुस्तक का प्रचार कर यश और धन दोनों का लाभ होता है। पुस्तक प्रेमियों को मनोरंजन के साथ ज्ञान और शिक्षा के अर्जन में सहायता मिलती है। अब तो विश्व स्तर पर भी इस तरह के पुस्तक मेलों का आयोजन होता है।